वाशिंगटन,18 अगस्त (युआईटीवी)- अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने एक बार फिर से यूक्रेन युद्ध को लेकर बड़ा बयान दिया है। उन्होंने कहा कि यूक्रेन के राष्ट्रपति वोलोडिमिर जेलेंस्की चाहें तो रूस के साथ चल रहा युद्ध लगभग तुरंत खत्म कर सकते हैं,लेकिन इसके लिए उन्हें कुछ कठोर फैसले लेने होंगे,जिनमें सबसे अहम है क्रीमिया को रूस को छोड़ देना और नाटो में शामिल होने की अपनी महत्वाकांक्षा को स्थायी रूप से त्याग देना। ट्रंप ने रविवार को अपने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म ट्रुथ सोशल पर यह टिप्पणी की और स्पष्ट किया कि अब ओबामा के समय की तरह क्रीमिया की वापसी संभव नहीं है और न ही यूक्रेन के लिए नाटो की सदस्यता की राह बची है।
ट्रंप का यह बयान ऐसे समय पर आया है,जब यूक्रेन के राष्ट्रपति जेलेंस्की और यूरोप के शीर्ष नेताओं का बड़ा प्रतिनिधिमंडल व्हाइट हाउस में अमेरिकी राष्ट्रपति से मिलने वाला है। यह वार्ता न केवल युद्धविराम की संभावनाओं को लेकर अहम मानी जा रही है,बल्कि यूरोप की सुरक्षा संरचना और भविष्य की रणनीति पर भी इसका सीधा असर होगा। ट्रंप ने अपनी पोस्ट में कहा कि युद्ध को खत्म करना पूरी तरह जेलेंस्की की इच्छा पर निर्भर करता है,यदि वे चाहें तो रूस की शर्तों को मानकर तुरंत शांति स्थापित कर सकते हैं,अन्यथा संघर्ष लंबा खींच सकता है।
गौरतलब है कि रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने पहले ही साफ कर दिया था कि युद्ध समाप्ति के लिए यूक्रेन को दो शर्तों पर सहमत होना होगा। पहली,क्रीमिया को रूस का हिस्सा मानना और दूसरी,नाटो में शामिल होने की योजना छोड़ देना। ट्रंप ने भी लगभग यही दोहराया और कहा कि यही वास्तविकता है,जिससे जेलेंस्की और पश्चिमी देशों को आँख नहीं मूँदनी चाहिए। ट्रंप ने कहा कि अमेरिका और यूरोप को इस मुद्दे पर व्यावहारिक होना पड़ेगा क्योंकि बीते एक दशक में हालात बहुत बदल गए हैं।
इस बयान ने यूरोप के नेताओं के बीच चिंता पैदा कर दी है। सोमवार को व्हाइट हाउस पहुँचने वाले प्रतिनिधिमंडल में फ्रांस के राष्ट्रपति इमैनुएल मैक्रों,जर्मनी के चांसलर फ्रेडरिक मर्ज, ब्रिटेन के प्रधानमंत्री कीर स्टार्मर, इटली की प्रधानमंत्री जॉर्जिया मेलोनी,यूरोपीय आयोग की अध्यक्ष उर्सुला वॉन डेर लेयेन,फिनलैंड के राष्ट्रपति अलेक्जेंडर स्टब और नाटो महासचिव मार्क रुटे शामिल होंगे। ये सभी नेता इस बात को लेकर सतर्क हैं कि कहीं ट्रंप जेलेंस्की पर पुतिन की शर्तों को स्वीकार करने के लिए दबाव न बना दें।
यूरोपीय नेताओं की सबसे बड़ी चिंता यह है कि यदि यूक्रेन क्रीमिया पर समझौता कर लेता है और नाटो सदस्यता से पीछे हट जाता है,तो यह रूस की रणनीतिक जीत होगी और पूर्वी यूरोप में उसकी ताकत और प्रभाव और भी बढ़ जाएगा। इसके साथ ही,यह संदेश भी जाएगा कि अमेरिका और नाटो रूस की आक्रामक नीतियों के सामने टिक नहीं पाए। यूरोप की सुरक्षा संरचना के लिहाज से यह बेहद खतरनाक संकेत हो सकता है। यही कारण है कि मैक्रों,मर्ज और स्टार्मर जैसे नेता ट्रंप से यह स्पष्ट करना चाहते हैं कि अगर शांति समझौता होता है,तो अमेरिका भविष्य में यूक्रेन की सुरक्षा की क्या गारंटी देगा।
ट्रंप की पोस्ट में एक और दिलचस्प बात यह रही कि उन्होंने सोमवार की बैठक को ऐतिहासिक बताया। उन्होंने लिखा, “कल व्हाइट हाउस में बड़ा दिन है। इतने सारे यूरोपीय नेता एक साथ कभी नहीं आए। उनकी मेजबानी करना मेरे लिए सम्मान की बात है।” उनके इस बयान से संकेत मिलता है कि वे इस बैठक को अपनी राजनीतिक सफलता के रूप में भी देख रहे हैं।
विश्लेषकों का मानना है कि ट्रंप का रुख यह बताता है कि वे युद्ध को लंबा खींचने के बजाय रूस के साथ किसी न किसी तरह का समझौता करवाने की कोशिश करेंगे। हालाँकि,आलोचकों का कहना है कि इस तरह का समझौता यूक्रेन के लिए घातक साबित हो सकता है क्योंकि इससे उसकी संप्रभुता और स्वतंत्रता को स्थायी नुकसान होगा।
जेलेंस्की ने कई बार स्पष्ट किया है कि यूक्रेन अपनी जमीन का कोई भी हिस्सा रूस को देने के लिए तैयार नहीं है। उन्होंने यह भी कहा है कि नाटो में शामिल होना उनकी दीर्घकालिक सुरक्षा रणनीति का हिस्सा है। ऐसे में सवाल उठता है कि ट्रंप की शर्तों और पुतिन की माँगों के बीच वह किस तरह संतुलन बनाएँगे। सोमवार की बैठक इसलिए अहम होगी क्योंकि इसमें यह साफ हो सकता है कि अमेरिका और यूरोप किस हद तक जेलेंस्की का समर्थन जारी रखेंगे और क्या वे रूस पर दबाव बनाने के बजाय समझौते का रास्ता चुनेंगे।
ट्रंप के बयान ने एक बार फिर से यूक्रेन युद्ध की राजनीति को नए सिरे से गरमा दिया है। एक ओर जहाँ जेलेंस्की और यूरोपीय नेता यूक्रेन की संप्रभुता और स्वतंत्रता पर कोई समझौता नहीं करना चाहते,वहीं ट्रंप व्यावहारिक राजनीति की बात कर रहे हैं और संकेत दे रहे हैं कि बिना रूस की शर्तें मानें शांति संभव नहीं है। अब देखना यह होगा कि सोमवार की व्हाइट हाउस बैठक में कौन सा रास्ता निकलता है,क्या शांति की ओर कोई ठोस कदम बढ़ेगा या युद्ध और लंबा खींच जाएगा।