फॉक्सकॉन

बेंगलुरु में फॉक्सकॉन ने शुरू किया आईफोन 17 का उत्पादन,भारत बना एप्पल का नया मैन्युफैक्चरिंग हब

नई दिल्ली,18 अगस्त (युआईटीवी)- भारत में आईफोन उत्पादन की कहानी तेजी से नए आयाम छू रही है। ताइवान की इलेक्ट्रॉनिक्स दिग्गज और एप्पल की सबसे बड़ी सप्लायर फॉक्सकॉन ने बेंगलुरु के देवनहल्ली स्थित अपने नए विशाल कारखाने में आईफोन 17 का उत्पादन शुरू कर दिया है। यह उपलब्धि केवल फॉक्सकॉन के लिए ही नहीं बल्कि भारत की मैन्युफैक्चरिंग क्षमताओं और वैश्विक आपूर्ति श्रृंखला में उसकी बढ़ती भूमिका के लिए भी मील का पत्थर साबित हो रही है। लगभग 2.8 बिलियन डॉलर यानी करीब 25,000 करोड़ रुपए के निवेश से बनी यह फैक्ट्री चीन के बाहर फॉक्सकॉन की दूसरी सबसे बड़ी आईफोन निर्माण इकाई है।

इस नई यूनिट के संचालन से एप्पल के उत्पादन नेटवर्क को भारत में नई ताकत मिली है। अब तक कंपनी का चेन्नई प्लांट आईफोन निर्माण का मुख्य केंद्र था,लेकिन बेंगलुरु के सक्रिय होने के साथ ही उत्पादन क्षमता में भारी इजाफा हुआ है। सूत्रों के अनुसार,यह वही रणनीति है,जिसका इस्तेमाल पिछले साल आईफोन 16 के निर्माण के दौरान भी किया गया था। उस समय भी एप्पल ने भारत में उत्पादन को वैश्विक और घरेलू लॉन्च से पहले ही गति दे दी थी। हालाँकि,इस बार कंपनी ने कोई आधिकारिक बयान नहीं दिया है,लेकिन उद्योग जगत इसे एप्पल की दीर्घकालिक योजना का हिस्सा मान रहा है।

बेंगलुरु फैक्ट्री को शुरुआत में कुछ चुनौतियों का सामना करना पड़ा था। इस साल की शुरुआत में बड़ी संख्या में चीनी इंजीनियर अचानक चले गए,जिससे तकनीकी संचालन और उत्पादन योजना प्रभावित हुई,लेकिन फॉक्सकॉन ने इस कमी को तेजी से पूरा करते हुए ताइवान और अन्य देशों से विशेषज्ञ इंजीनियर बुलाए और उत्पादन प्रक्रिया को पटरी पर लाया। यही कारण है कि अब यह यूनिट पूरी क्षमता के साथ सक्रिय हो गई है और आईफोन 17 के उत्पादन का जिम्मा संभाल रही है।

भारत में एप्पल की यह आक्रामक रणनीति सिर्फ उत्पादन तक सीमित नहीं है,बल्कि इसके पीछे बड़ा आर्थिक दृष्टिकोण भी है। कंपनी ने इस वर्ष अपने उत्पादन को 6 करोड़ यूनिट तक ले जाने का लक्ष्य रखा है,जबकि पिछले वित्त वर्ष यानी 2024-25 में यह आँकड़ा करीब 3.5 से 4 करोड़ यूनिट था। 31 मार्च 2025 को समाप्त हुए वित्त वर्ष में ही एप्पल ने भारत में 60 प्रतिशत अधिक आईफोन असेंबल किए,जिनकी अनुमानित कीमत 22 अरब डॉलर आंकी गई। यह संकेत देता है कि भारत एप्पल की सप्लाई चेन में अब केवल विकल्प नहीं बल्कि अनिवार्य हिस्सा बन गया है।

एप्पल के सीईओ टिम कुक ने भी हाल ही में भारत की बढ़ती भूमिका को सार्वजनिक रूप से स्वीकार किया। 31 जुलाई को वित्तीय परिणामों की घोषणा के बाद कुक ने बताया कि जून 2025 में अमेरिका में बेचे गए अधिकांश आईफोन भारत में बने थे। इतना ही नहीं,दूसरी तिमाही के दौरान अमेरिका में बेचे गए सभी आईफोन सीधे भारत से भेजे गए थे। यह खुलासा न केवल भारत की उत्पादन क्षमता को दर्शाता है,बल्कि वैश्विक बाजार में इसकी मजबूती का प्रमाण भी देता है।

एक रिपोर्ट के मुताबिक,2024 में अमेरिका में आईफोन की बिक्री 75.9 मिलियन यूनिट तक पहुँची थी। मार्च 2025 तक भारत से 3.1 मिलियन यूनिट का निर्यात हो चुका था। विश्लेषकों का कहना है कि इस माँग को पूरा करने के लिए एप्पल को या तो अपनी भारतीय क्षमता को और दोगुना करना होगा या फिर घरेलू बाजार के लिए अधिक संख्या में डिवाइस आवंटित करने होंगे। यह स्थिति बताती है कि एप्पल के लिए भारत अब केवल ‘सपोर्ट सिस्टम’ नहीं बल्कि एक निर्णायक निर्माण केंद्र है।

भारत में स्मार्टफोन बाजार में एप्पल की उपस्थिति भी लगातार मजबूत हो रही है। 2025 की पहली छमाही में एप्पल की आपूर्ति 21.5 प्रतिशत बढ़कर 5.9 मिलियन यूनिट तक पहुँच गई। इसमें आईफोन 16 सबसे अधिक बिकने वाला मॉडल साबित हुआ। केवल जून तिमाही की बात करें तो भारत में एप्पल की शिपमेंट सालाना आधार पर लगभग 20 प्रतिशत बढ़ी,जिससे कंपनी की बाजार हिस्सेदारी बढ़कर 7.5 प्रतिशत तक पहुँच गई।

हालाँकि,पूरे भारतीय स्मार्टफोन बाजार पर अभी भी चीनी कंपनियों का दबदबा है। आईडीसी के आँकड़ों के अनुसार,जून तिमाही में वीवो 19 प्रतिशत हिस्सेदारी के साथ शीर्ष पर रहा। इसके बावजूद,एप्पल ने प्रीमियम सेगमेंट में अपनी पकड़ मजबूत कर ली है और लगातार विकास की राह पर है। विश्लेषकों का मानना है कि बेंगलुरु फैक्ट्री का शुभारंभ एप्पल को भारतीय बाजार में और मजबूती देगा तथा वैश्विक स्तर पर भी कंपनी की प्रतिस्पर्धा क्षमता बढ़ाएगा।

बेंगलुरु फैक्ट्री का शुभारंभ केवल आर्थिक दृष्टि से ही नहीं,बल्कि रणनीतिक दृष्टिकोण से भी अहम है। एप्पल लंबे समय से चीन पर निर्भरता कम करने और सप्लाई चेन को विविध बनाने की कोशिश कर रहा है। अमेरिका और चीन के बीच तनावपूर्ण रिश्तों के बीच भारत एप्पल के लिए सुरक्षित और भरोसेमंद विकल्प बनकर उभरा है। भारत सरकार की प्रोडक्शन लिंक्ड इंसेंटिव (पीएलआई) योजना और डिजिटल अर्थव्यवस्था को बढ़ावा देने वाली नीतियाँ भी इस प्रक्रिया को गति दे रही हैं।

बेंगलुरु फैक्ट्री का संचालन भारत को वैश्विक मैन्युफैक्चरिंग हब बनाने की दिशा में एक बड़ा कदम है। इससे न केवल एप्पल और फॉक्सकॉन को लाभ होगा,बल्कि भारत की अर्थव्यवस्था और रोजगार सृजन में भी बड़ा योगदान मिलेगा। आने वाले वर्षों में आईफोन उत्पादन और निर्यात में भारत की हिस्सेदारी और बढ़ने की संभावना है,जिससे यह देश दुनिया की सबसे बड़ी तकनीकी आपूर्ति श्रृंखलाओं में निर्णायक भूमिका निभाएगा।