नई दिल्ली,19 अगस्त (युआईटीवी)- प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन के बीच सोमवार को एक अहम टेलीफोन वार्ता हुई। इस बातचीत के दौरान राष्ट्रपति पुतिन ने हाल ही में अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के साथ अलास्का में हुई मुलाकात के बारे में विस्तार से जानकारी साझा की। प्रधानमंत्री मोदी ने पुतिन का आभार जताते हुए कहा कि भारत लगातार यूक्रेन संघर्ष के शांतिपूर्ण समाधान की वकालत करता रहा है और भारत इस दिशा में उठाए गए हर सकारात्मक प्रयास का समर्थन करता है। मोदी ने स्पष्ट किया कि संवाद और कूटनीति ही विवाद समाधान का एकमात्र रास्ता है और भारत इसी नीति के प्रति समर्पित रहेगा।
प्रधानमंत्री मोदी ने इस बातचीत की जानकारी सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर साझा करते हुए लिखा, “मेरे मित्र, राष्ट्रपति पुतिन को उनके फोन कॉल और अलास्का में राष्ट्रपति ट्रंप के साथ हालिया मुलाकात की जानकारी साझा करने के लिए धन्यवाद। भारत लगातार यूक्रेन विवाद के शांतिपूर्ण समाधान की अपील करता रहा है और हर प्रयास का समर्थन करता है। मैं आगे भी हमारे निरंतर संवाद की आशा करता हूँ।” मोदी का यह बयान ऐसे समय पर आया है,जब अंतर्राष्ट्रीय समुदाय यूक्रेन युद्ध को समाप्त करने के लिए कई स्तरों पर बातचीत और समझौते की संभावनाओं पर विचार कर रहा है।
इस टेलीफोनिक वार्ता के दौरान दोनों नेताओं ने भारत-रूस विशेष और विशेषाधिकार प्राप्त रणनीतिक साझेदारी को और गहराने की प्रतिबद्धता को भी दोहराया। उन्होंने द्विपक्षीय सहयोग से जुड़े विभिन्न मुद्दों पर चर्चा की और इस बात पर सहमति जताई कि दोनों देश आपसी संपर्क बनाए रखते हुए सहयोग को और मजबूत करेंगे। भारत और रूस के बीच दशकों पुराना संबंध ऊर्जा,रक्षा,व्यापार,विज्ञान और प्रौद्योगिकी सहित कई क्षेत्रों में विस्तारित है। मौजूदा वैश्विक परिदृश्य में दोनों देशों के बीच इस रणनीतिक साझेदारी को नई दिशा देने की आवश्यकता और भी बढ़ गई है।
यह पहली बार नहीं है,जब मोदी और पुतिन के बीच इस तरह की बातचीत हुई हो। इससे पहले 8 अगस्त को भी दोनों नेताओं के बीच फोन पर वार्ता हुई थी। उस दौरान भी राष्ट्रपति पुतिन ने प्रधानमंत्री मोदी को यूक्रेन से जुड़े हालिया घटनाक्रमों की जानकारी दी थी। उस समय भी मोदी ने भारत की स्थायी और स्पष्ट नीति को दोहराते हुए कहा था कि किसी भी संघर्ष का समाधान केवल बातचीत और कूटनीति से ही संभव है। भारत की यह स्थायी भूमिका अंतर्राष्ट्रीय मंचों पर भी परिलक्षित होती रही है,जहाँ नई दिल्ली ने बार-बार युद्धविराम,मानवीय सहायता और संवाद की अपील की है।
प्रधानमंत्री मोदी ने इस अवसर पर राष्ट्रपति पुतिन को भारत में इस साल के अंत में होने वाले 23वें भारत-रूस वार्षिक शिखर सम्मेलन में भाग लेने के लिए आमंत्रित भी किया। उन्होंने कहा कि वह इस अवसर पर राष्ट्रपति पुतिन की मेजबानी को लेकर उत्सुक हैं। यह वार्षिक शिखर सम्मेलन भारत-रूस संबंधों की मजबूती का प्रतीक है और दोनों देशों के बीच रणनीतिक साझेदारी के नए आयाम खोलने में इसकी अहम भूमिका रही है। गौरतलब है कि राष्ट्रपति पुतिन आखिरी बार दिसंबर 2021 में भारत आए थे,जब उन्होंने 21वें भारत-रूस शिखर सम्मेलन में हिस्सा लिया था। वहीं,प्रधानमंत्री मोदी ने पिछले वर्ष रूस की दो महत्वपूर्ण यात्राएँ की थीं। जुलाई 2024 में वह 22वें भारत-रूस शिखर सम्मेलन में शामिल हुए थे और इसके बाद अक्टूबर में कजान में आयोजित ब्रिक्स शिखर सम्मेलन में भी उन्होंने सक्रिय भागीदारी की थी।
भारत-रूस संबंधों का इतिहास दशकों पुराना है और यह समय-समय पर बदलते भू-राजनीतिक हालातों में और भी गहराया है। रूस भारत का सबसे विश्वसनीय रक्षा साझेदार रहा है और ऊर्जा क्षेत्र में भी दोनों देशों का सहयोग लगातार बढ़ रहा है। रूस से सस्ती ऊर्जा की आपूर्ति ने भारत की ऊर्जा सुरक्षा को मजबूती दी है,वहीं भारत ने रूस को वैश्विक स्तर पर एक भरोसेमंद आर्थिक भागीदार साबित किया है। ऐसे में प्रधानमंत्री मोदी और राष्ट्रपति पुतिन की यह बातचीत केवल यूक्रेन युद्ध के समाधान तक ही सीमित नहीं है,बल्कि यह द्विपक्षीय संबंधों की मजबूती और भविष्य की दिशा तय करने का भी प्रतीक है।
वर्तमान समय में जब वैश्विक राजनीति अस्थिरता के दौर से गुजर रही है,भारत ने अपनी स्वतंत्र विदेश नीति का परिचय देते हुए लगातार शांति और स्थिरता की वकालत की है। यूक्रेन युद्ध को लेकर पश्चिमी देशों के रुख से अलग भारत ने हमेशा संवाद और कूटनीति पर बल दिया है। प्रधानमंत्री मोदी का यह रुख अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर भी व्यापक सराहना प्राप्त कर चुका है। उनका यह प्रसिद्ध कथन कि “आज का युग युद्ध का नहीं है” कई वैश्विक मंचों पर गूँज चुका है।
प्रधानमंत्री मोदी और राष्ट्रपति पुतिन के बीच हुई यह वार्ता न केवल यूक्रेन युद्ध को लेकर वैश्विक राजनीति में भारत की संतुलित भूमिका को रेखांकित करती है,बल्कि भारत-रूस संबंधों की गहराई और भविष्य की संभावनाओं को भी सामने लाती है। इस बातचीत से स्पष्ट है कि भारत आने वाले समय में भी शांति और स्थिरता की दिशा में सक्रिय भूमिका निभाएगा और रूस के साथ अपनी रणनीतिक साझेदारी को और गहराने की दिशा में आगे बढ़ेगा।