संसद भवन की सुरक्षा में बड़ी चूक (तस्वीर क्रेडिट@ManishPDA)

संसद भवन की सुरक्षा में फिर सेंध: पेड़ पर चढ़कर शख्स ने फांदी दीवार,सुरक्षा एजेंसियाँ अलर्ट

नई दिल्ली,22 अगस्त (युआईटीवी)- देश की सर्वोच्च लोकतांत्रिक संस्था संसद भवन की सुरक्षा एक बार फिर सवालों के घेरे में है। शुक्रवार सुबह संसद परिसर में उस वक्त हड़कंप मच गया,जब एक शख्स पेड़ के सहारे दीवार पर चढ़कर भीतर घुस गया। यह घटना ऐसे समय हुई जब संसद का मानसून सत्र महज एक दिन पहले ही समाप्त हुआ था। सुबह लगभग 6.30 बजे घुसपैठिये ने रेल भवन की तरफ से दीवार फांदकर संसद परिसर में प्रवेश किया और नई संसद भवन के गरुड़ द्वार तक पहुँच गया। हालाँकि,वहाँ मौजूद सतर्क सुरक्षाकर्मियों ने तुरंत उसे पकड़ लिया और हिरासत में लेकर पूछताछ शुरू कर दी।

घुसपैठिये के संसद परिसर में दाखिल होने का तरीका बेहद चौंकाने वाला था। बताया जा रहा है कि उसने एक पेड़ के सहारे चढ़कर ऊँची दीवार को पार किया और सीधे अंदर कूद गया। संसद भवन के भीतर इस तरह की घुसपैठ ने न केवल सुरक्षा एजेंसियों को सतर्क कर दिया है,बल्कि यह भी सवाल खड़े किए हैं कि देश की सबसे सुरक्षित मानी जाने वाली इमारत में इस तरह की चूक कैसे संभव हो सकती है।

इस घटना का एक कथित वीडियो भी सामने आया है,जिसमें संदिग्ध व्यक्ति शॉर्ट्स और टी-शर्ट पहने हुए नजर आ रहा है। वीडियो में देखा जा सकता है कि सीआईएसएफ के जवानों ने उसे दबोच रखा है। तलाशी के दौरान उसके पास से कोई हथियार या आपत्तिजनक वस्तु नहीं मिली,लेकिन घटना की गंभीरता को देखते हुए सुरक्षा एजेंसियाँ उसे खुफिया दृष्टिकोण से परखने में जुटी हैं।

यह घटना इसलिए भी चिंता का विषय है,क्योंकि संसद भवन की सुरक्षा व्यवस्था बहुस्तरीय होती है। यहाँ सीआरपीएफ,सीआईएसएफ,दिल्ली पुलिस और संसद सुरक्षा बल की संयुक्त तैनाती रहती है। हर गेट पर बायोमेट्रिक और इलेक्ट्रॉनिक सिस्टम लगे होते हैं,लेकिन इसके बावजूद एक आम व्यक्ति का दीवार फांदकर परिसर में घुस जाना सुरक्षा में गंभीर खामी को उजागर करता है।

संसद भवन की सुरक्षा में सेंध का यह कोई पहला मामला नहीं है। पिछले साल भी एक 20 वर्षीय युवक संसद भवन एनेक्सी में घुस आया था,हालाँकि,उसे भी समय रहते पकड़ लिया गया। इससे भी बड़ी और सनसनीखेज घटना दिसंबर 2023 में हुई थी,जब संसद हमले की बरसी के दिन सुरक्षा में भारी चूक सामने आई थी। उस दौरान सागर शर्मा और मनोरंजन डी नाम के दो युवक संसद की दर्शक दीर्घा से कूदकर लोकसभा कक्ष में पहुँच गए थे। उन्होंने वहाँ पीले रंग का धुआँ छोड़कर अफरातफरी मचा दी थी। इस दौरान सदन की कार्यवाही बाधित हुई और सांसदों को स्वयं हमलावरों को पकड़ने के लिए आगे आना पड़ा।

इसी घटना के समानांतर,संसद भवन के बाहर भी नीलम आजाद और अमोल शिंदे ने प्रदर्शन किया और धुआंधार गुब्बारे छोड़ते हुए नारे लगाए। इस पूरे मामले में कुल छह लोगों को गिरफ्तार किया गया था। बाद की जाँच में पता चला कि ललित झा नामक व्यक्ति पूरे घटनाक्रम का मास्टरमाइंड था। दिल्ली पुलिस ने इस मामले की गंभीरता को देखते हुए पटियाला हाउस कोर्ट में 900 पन्नों से अधिक की चार्जशीट दायर की थी।

इन घटनाओं के बाद माना जा रहा था कि संसद भवन की सुरक्षा व्यवस्था को और मजबूत किया जाएगा और किसी भी संभावित खतरे से निपटने के लिए अभेद्य कवच तैयार किया जाएगा,लेकिन शुक्रवार की घटना ने यह साबित कर दिया कि अभी भी सुरक्षा में ऐसे छेद मौजूद हैं,जिनका फायदा उठाकर कोई भी व्यक्ति परिसर में घुस सकता है।

सुरक्षा विशेषज्ञों का मानना है कि संसद भवन न केवल सांसदों और मंत्रियों की कार्यस्थली है,बल्कि यह पूरे देश की लोकतांत्रिक आत्मा का प्रतीक है। ऐसे में यहाँ बार-बार घुसपैठ की घटनाएँ होना बेहद खतरनाक संकेत है। यह केवल किसी मजाक या शरारत का मामला नहीं है,बल्कि राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए गंभीर खतरे की चेतावनी है।

फिलहाल गिरफ्तार किए गए घुसपैठिये से पूछताछ की जा रही है। उसकी मंशा क्या थी,वह संसद परिसर में क्यों घुसा और उसके पीछे कोई संगठन या गुट है या नहीं, यह सब जाँच का विषय है। सुरक्षा एजेंसियाँ उसके पिछले रिकॉर्ड,परिवार और संपर्कों की गहन पड़ताल कर रही हैं।

यह मामला संसद भवन की सुरक्षा एजेंसियों के बीच समन्वय और उनकी सतर्कता पर भी प्रश्नचिह्न लगाता है। विशेषज्ञों का कहना है कि अब समय आ गया है,जब संसद की सुरक्षा प्रणाली की व्यापक समीक्षा की जाए और तकनीक व मानव संसाधन दोनों स्तरों पर और अधिक कड़े इंतजाम किए जाएँ। ड्रोन निगरानी,इन्फ्रारेड कैमरे और स्मार्ट सेंसर जैसी आधुनिक तकनीकों का प्रयोग किया जाना चाहिए,ताकि इस तरह की घटनाओं को पूरी तरह रोका जा सके।

संसद भवन की सुरक्षा केवल एक इमारत की सुरक्षा का मामला नहीं है,बल्कि यह लोकतंत्र की रक्षा से जुड़ा प्रश्न है। हर बार की तरह अगर इस घटना को भी केवल जाँच और पूछताछ तक सीमित रखा गया,तो भविष्य में इससे भी बड़ा खतरा उत्पन्न हो सकता है। देश की सर्वोच्च संस्था को सुरक्षित रखने के लिए आवश्यक है कि इस बार सुरक्षा व्यवस्था को लेकर ठोस और स्थायी कदम उठाए जाएँ।