नई दिल्ली,22 अगस्त (युआईटीवी)- दुनिया इस समय गहरी भू-राजनीतिक उथल-पुथल से गुजर रही है। यूक्रेन में जारी युद्ध,पश्चिम एशिया की अस्थिरता और वैश्विक शक्ति संतुलन ने अंतर्राष्ट्रीय कूटनीति को और भी जटिल बना दिया है। ऐसे समय में भारत और फ्रांस के बीच हुई शीर्षस्तरीय बातचीत को अहम माना जा रहा है। गुरुवार को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और फ्रांस के राष्ट्रपति इमैनुएल मैक्रों के बीच फोन पर वार्ता हुई,जिसमें दोनों नेताओं ने न केवल वैश्विक मुद्दों पर विचार साझा किए,बल्कि आपसी रणनीतिक साझेदारी को और मज़बूत करने की प्रतिबद्धता भी जताई।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इस बातचीत की जानकारी सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स (पूर्व में ट्विटर) पर साझा की। उन्होंने लिखा कि अपने मित्र राष्ट्रपति मैक्रों के साथ बहुत अच्छी चर्चा हुई। बातचीत में खासतौर पर यूक्रेन और पश्चिम एशिया में जारी संघर्षों के शांतिपूर्ण समाधान पर विचारों का आदान-प्रदान किया गया। मोदी ने यह भी दोहराया कि भारत-फ्रांस की रणनीतिक साझेदारी को और मजबूत करने की दिशा में दोनों देश प्रतिबद्ध हैं।
फ्रांस के राष्ट्रपति इमैनुएल मैक्रों ने भी एक्स पर इस वार्ता के विवरण साझा किए। उन्होंने कहा कि उन्होंने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से यूक्रेन युद्ध पर बातचीत की और इस संघर्ष का ऐसा समाधान खोजने पर बल दिया,जो यूक्रेन और यूरोप की सुरक्षा की गारंटी दे और न्यायपूर्ण तथा स्थायी शांति स्थापित करे। मैक्रों ने यह भी कहा कि दोनों देशों ने व्यापार और आर्थिक सहयोग को गहराने पर सहमति बनाई है। उनके अनुसार यही सहयोग दोनों देशों की संप्रभुता और स्वतंत्रता को मजबूती प्रदान करेगा।
Had a very good conversation with my friend President Macron. Exchanged views on efforts for peaceful resolution of conflicts in Ukraine and in West Asia. Reaffirmed our commitment to further strengthen the India-France strategic partnership.@EmmanuelMacron
— Narendra Modi (@narendramodi) August 21, 2025
राष्ट्रपति मैक्रों ने भविष्य की साझेदारी पर भी प्रकाश डाला। उन्होंने बताया कि फरवरी 2024 में पेरिस में आयोजित एआई एक्शन समिट के बाद अब भारत और फ्रांस 2026 में नई दिल्ली में होने वाले एआई इम्पैक्ट समिट को सफल बनाने की दिशा में काम कर रहे हैं। कृत्रिम बुद्धिमत्ता (एआई) जैसे उभरते क्षेत्रों में सहयोग दोनों देशों को तकनीकी और आर्थिक स्तर पर मजबूती देगा। इसके साथ ही उन्होंने बताया कि प्रभावी बहुपक्षवाद को बढ़ावा देने के लिए दोनों देशों ने 2026 में होने वाली फ्रांस की जी7 अध्यक्षता और भारत की ब्रिक्स अध्यक्षता की तैयारी में मिलकर काम करने पर सहमति व्यक्त की है। यह वैश्विक मंचों पर दोनों देशों के बीच बेहतर तालमेल और साझेदारी का संकेत है।
यह वार्ता ऐसे समय में हुई है,जब यूक्रेन युद्ध लगातार नए मोड़ ले रहा है। रूस और अमेरिका के बीच हाल ही में अलास्का में यूक्रेन को लेकर बैठक हुई थी,जिसमें रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन और अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप शामिल हुए। इसी सप्ताह यूक्रेनी राष्ट्रपति वोलोडिमिर जेलेंस्की ने अमेरिकी राष्ट्रपति ट्रंप के साथ बातचीत की थी,जिसमें फ्रांस के राष्ट्रपति इमैनुएल मैक्रों भी मौजूद थे। इस कूटनीतिक सक्रियता के बीच भारत और फ्रांस की शीर्षस्तरीय बातचीत का खास महत्व है,क्योंकि यह दर्शाता है कि भारत वैश्विक शांति और स्थिरता के प्रयासों में सक्रिय योगदान देना चाहता है।
भारत का रुख हमेशा से यही रहा है कि किसी भी संघर्ष का समाधान बातचीत और कूटनीति के माध्यम से होना चाहिए। प्रधानमंत्री मोदी ने कई बार यह दोहराया है कि युद्ध किसी समस्या का हल नहीं है और वैश्विक समुदाय को शांति की दिशा में ठोस प्रयास करने चाहिए। यूक्रेन संकट को लेकर भारत ने संतुलित नीति अपनाई है। एक ओर उसने रूस के साथ अपने ऐतिहासिक संबंध बनाए रखे हैं,तो वहीं दूसरी ओर पश्चिमी देशों के साथ संवाद और सहयोग को भी मजबूत किया है। फ्रांस जैसे सहयोगी देशों के साथ बातचीत इसी संतुलित दृष्टिकोण का हिस्सा है।
पश्चिम एशिया में हाल ही में बढ़ते तनाव ने भी पूरी दुनिया को चिंतित किया है। ईरान,इज़राइल और फिलिस्तीन को लेकर बढ़ती टकराहट से क्षेत्रीय स्थिरता प्रभावित हुई है। इस मुद्दे पर भी भारत और फ्रांस के बीच विचारों का आदान-प्रदान हुआ। फ्रांस यूरोप का प्रमुख कूटनीतिक खिलाड़ी है और पश्चिम एशिया के मामलों में उसकी सक्रिय भूमिका रही है। वहीं भारत का इस क्षेत्र से गहरा जुड़ाव है,क्योंकि यहाँ लाखों भारतीय काम करते हैं और ऊर्जा की दृष्टि से भी यह इलाका भारत के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण है। ऐसे में दोनों देशों की राय और सहयोग वैश्विक शांति की दिशा में अहम हो सकता है।
भारत और फ्रांस की रणनीतिक साझेदारी दशकों पुरानी है। रक्षा,अंतरिक्ष,ऊर्जा, शिक्षा और प्रौद्योगिकी जैसे क्षेत्रों में दोनों देशों ने लगातार सहयोग बढ़ाया है। राफेल लड़ाकू विमानों की डील,स्कॉर्पीन पनडुब्बी परियोजना और अंतरिक्ष मिशनों में सहयोग इसके उदाहरण हैं। हाल के वर्षों में यह साझेदारी डिजिटल तकनीक,कृत्रिम बुद्धिमत्ता,साइबर सुरक्षा और जलवायु परिवर्तन जैसे नए क्षेत्रों तक फैली है। मैक्रों और मोदी की हालिया बातचीत इस सहयोग को और गहराई देने की दिशा में एक और कदम मानी जा रही है।
स्पष्ट है कि मौजूदा वैश्विक परिदृश्य में भारत और फ्रांस एक-दूसरे के लिए भरोसेमंद साझेदार बने हुए हैं। दोनों न केवल द्विपक्षीय स्तर पर,बल्कि बहुपक्षीय मंचों पर भी एक-दूसरे का समर्थन कर रहे हैं। फोन पर हुई यह वार्ता दर्शाती है कि दोनों देश साझा मूल्यों और आपसी हितों के आधार पर वैश्विक चुनौतियों का सामना करने के लिए तैयार हैं।