नई दिल्ली,25 अगस्त (युआईटीवी)- भारतीय क्रिकेट कंट्रोल बोर्ड (बीसीसीआई) और फैंटेसी स्पोर्ट्स कंपनी ड्रीम11 का रिश्ता अब आधिकारिक तौर पर खत्म हो गया है। बोर्ड के सचिव देवजीत सैकिया ने सोमवार को इसकी पुष्टि करते हुए कहा कि नए कानूनों के लागू होने के बाद ड्रीम11 या इस जैसी किसी अन्य गेमिंग कंपनी के साथ करार जारी रखना अब संभव नहीं है। इस घोषणा के साथ ही भारतीय क्रिकेट टीम का प्रमुख प्रायोजक स्लॉट खाली हो गया है और बोर्ड नए विकल्पों की तलाश में जुट गया है।
सैकिया ने स्पष्ट किया कि ऑनलाइन गेमिंग (प्रमोशन और रेगुलेशन) विधेयक 2025 के तहत जो प्रावधान पारित किए गए हैं,उनके बाद बीसीसीआई के लिए ड्रीम11 के साथ जुड़ाव बनाए रखना असंभव हो गया है। उनका कहना था कि बोर्ड फिलहाल विकल्पों पर विचार कर रहा है और यह देख रहा है कि आगे किस दिशा में कदम बढ़ाया जाए। उन्होंने कहा, “नए कानून के तहत ड्रीम11 अब हमारे साथ नहीं रह सकता। हमें जल्द ही एक नया विकल्प तलाशना होगा और इस दिशा में विचार-विमर्श चल रहा है।”
यह घटनाक्रम ऐसे समय पर हुआ है,जब 9 सितंबर से संयुक्त अरब अमीरात में पुरुष टी20 एशिया कप की शुरुआत होने वाली है। भारतीय क्रिकेट टीम के जर्सी पर लीड स्पॉन्सर का नाम अब तक ड्रीम11 ही था,लेकिन टूर्नामेंट शुरू होने में महज कुछ ही दिन शेष हैं और ऐसे में टीम के लिए नया स्पॉन्सर खोजना बीसीसीआई की प्राथमिकता बन गई है। हालाँकि,सचिव सैकिया ने यह स्पष्ट किया कि अब तक नया टेंडर जारी करने या किसी कंपनी से समझौते पर कोई अंतिम फैसला नहीं लिया गया है।
गौरतलब है कि जुलाई 2023 में ड्रीम11 ने भारतीय क्रिकेट टीम के लीड स्पॉन्सर के रूप में एडटेक कंपनी बायजू की जगह ली थी। यह करार तीन साल के लिए 358 करोड़ रुपये का था। इसके तहत ड्रीम11 की ब्रांडिंग भारतीय टीम की जर्सी और अन्य प्रचार सामग्रियों पर दिखाई दे रही थी। इस डील को लेकर उस समय काफी चर्चा हुई थी क्योंकि ड्रीम11 पहले से ही इंडियन प्रीमियर लीग (आईपीएल) और अन्य क्रिकेट टूर्नामेंट्स में मजबूत उपस्थिति दर्ज करा चुका था। साल 2020 में वीवो के हटने के बाद ड्रीम11 आईपीएल का लीड स्पॉन्सर भी बना था,जिससे उसकी लोकप्रियता और बढ़ी,लेकिन नए विधेयक ने परिस्थितियों को पूरी तरह बदल दिया।
संसद के दोनों सदनों से पारित होने और राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू की मंजूरी मिलने के बाद यह कानून प्रभावी हो गया है। इसमें पैसे आधारित ऑनलाइन गेमिंग को लेकर कड़े प्रावधान किए गए हैं। कानून लागू होते ही ड्रीम11 ने अपने प्लेटफॉर्म पर सभी पैसे आधारित प्रतियोगिताओं को निलंबित करने की घोषणा की। कंपनी ने कहा कि वह नए नियमों का सम्मान करते हुए अपनी सेवाओं को उसी अनुसार ढालेगी। इसके चलते भारतीय क्रिकेट बोर्ड और कंपनी के बीच सहयोग का रास्ता पूरी तरह बंद हो गया।
ड्रीम11 का भारतीय क्रिकेट से नाता हमेशा विशेष रहा है। युवा पीढ़ी में इसकी लोकप्रियता के चलते इसे क्रिकेट की दुनिया में एक बड़ी ताकत माना जाता था। इसके प्लेटफॉर्म पर लाखों लोग रोजाना फैंटेसी क्रिकेट में हिस्सा लेते थे और इससे क्रिकेट का रोमांच मैदान से बाहर भी फैला था,लेकिन अब नए कानूनों ने इस मॉडल को झटका दिया है।
बीसीसीआई के लिए चुनौती यह है कि वह कम समय में एक नया और मजबूत प्रायोजक खोजे,ताकि भारतीय टीम की ब्रांड वैल्यू बनी रहे। क्रिकेट भारत का सबसे लोकप्रिय खेल है और इसके जरिए कंपनियों को अभूतपूर्व दृश्यता मिलती है। यही कारण है कि देश-विदेश की बड़ी कंपनियाँ भारतीय टीम की जर्सी पर अपना नाम दर्ज कराने के लिए प्रतिस्पर्धा करती रही हैं। बायजू और ड्रीम11 जैसे उदाहरण दिखाते हैं कि कैसे टेक्नोलॉजी और डिजिटल सेक्टर की कंपनियों ने इस मौके का उपयोग कर अपनी पहचान बनाई।
अब सवाल यह है कि ड्रीम11 के हटने के बाद कौन सी कंपनी भारतीय क्रिकेट टीम की जर्सी पर अपना नाम दर्ज कराएगी। क्या कोई घरेलू ब्रांड इस मौके को भुनाएगा या कोई अंतरराष्ट्रीय कंपनी आगे आएगी? विशेषज्ञों का मानना है कि बीसीसीआई के पास समय भले ही कम है,लेकिन भारतीय क्रिकेट से जुड़ने का अवसर इतना बड़ा है कि बड़े कॉर्पोरेट समूह इस मौके को हाथ से जाने नहीं देंगे।
इस घटनाक्रम ने एक और बहस को जन्म दिया है कि क्या स्पोर्ट्स स्पॉन्सरशिप में डिजिटल गेमिंग कंपनियों का वर्चस्व लंबे समय तक कायम रह पाएगा या फिर पारंपरिक क्षेत्रों की कंपनियाँ,जैसे कि ई-कॉमर्स,ऑटोमोबाइल,टेलीकॉम और एफएमसीजी सेक्टर, दोबारा प्रमुख स्थान हासिल करेंगी।
ड्रीम11 की विदाई से भारतीय क्रिकेट स्पॉन्सरशिप की दिशा जरूर बदली है। आने वाले दिनों में बीसीसीआई का फैसला यह तय करेगा कि भारतीय क्रिकेट टीम की जर्सी पर कौन सा नाम नजर आएगा,लेकिन एक बात स्पष्ट है कि टीम इंडिया की लोकप्रियता और क्रिकेट के प्रति लोगों का जुनून ऐसा है कि कोई भी कंपनी इससे जुड़कर अपनी ब्रांड वैल्यू को कई गुना बढ़ा सकती है।
ड्रीम11 का अध्याय अब भले ही समाप्त हो गया हो,लेकिन यह भारतीय क्रिकेट इतिहास में अपनी छाप छोड़ चुका है। वहीं,बीसीसीआई की निगाहें अब नए अध्याय की ओर हैं,जो आने वाले एशिया कप और भविष्य की सीरीज में टीम इंडिया की जर्सी पर नए नाम के साथ दिखाई देगा।