दक्षिण कोरिया के पूर्व राष्ट्रपति यून सुक योल (तस्वीर क्रेडिट@gauravkrdwivedi)

दक्षिण कोरिया के पूर्व राष्ट्रपति यून सूक योल लगातार छठी बार मुकदमे से अनुपस्थित,विद्रोह और मार्शल लॉ मामले में गहराता संकट

सोल,28 अगस्त (युआईटीवी)- दक्षिण कोरिया की राजनीति एक बार फिर से सुर्खियों में है। देश के पूर्व राष्ट्रपति यून सूक योल गुरुवार को सोल सेंट्रल डिस्ट्रिक्ट कोर्ट में अपने खिलाफ चल रहे मुकदमे की सुनवाई में लगातार छठी बार अनुपस्थित रहे। यह अनुपस्थिति सिर्फ एक सामान्य अदालती गैर-हाजिरी नहीं है,बल्कि दक्षिण कोरियाई लोकतंत्र और न्यायिक प्रणाली के लिए गंभीर चुनौती बनती जा रही है।

यून पर आरोप है कि उन्होंने पिछले साल दिसंबर में सत्ता पर पकड़ बनाए रखने के लिए विद्रोह का नेतृत्व किया और मार्शल लॉ लागू करके अपने अधिकारों का दुरुपयोग किया। योनहाप समाचार एजेंसी की रिपोर्ट के अनुसार,विद्रोह के इस मामले में यून को आजीवन कारावास या मृत्युदंड जैसी कठोर सजा भी मिल सकती है,लेकिन अब तक की अदालती कार्यवाही में उनकी अनुपस्थिति इस पूरे मुकदमे को और जटिल बना रही है।

गुरुवार की सुनवाई की शुरुआत में ही अदालत ने स्पष्ट किया कि यह पूर्व राष्ट्रपति की लगातार छठी अनुपस्थिति है। अदालत को हिरासत केंद्र से भेजा गया एक नोट भी मिला,जिसमें यह उल्लेख था कि यून को जबरन अदालत में पेश करना अत्यधिक कठिन है। यून ने अपनी दूसरी गिरफ्तारी के बाद से,जो कि 10 जुलाई को हुई थी,स्वास्थ्य कारणों का हवाला देकर अदालत में पेश होने से इनकार किया है। हालाँकि,अदालत और अभियोजन पक्ष दोनों इस तर्क को लेकर आश्वस्त नहीं हैं।

दक्षिण कोरिया की दंड प्रक्रिया संहिता में यह प्रावधान है कि यदि कोई आरोपी बिना किसी वैध कारण के अदालत में उपस्थित नहीं होता है और जेल अधिकारी के लिए उसे जबरन अदालत में लाना असंभव या बहुत कठिन हो,तो भी उसकी अनुपस्थिति में मुकदमा चलाया जा सकता है। अदालत ने यह संकेत भी दिया कि आगे की सुनवाईयों में इस नियम का इस्तेमाल किया जा सकता है।

यून सूक योल पर जो आरोप लगे हैं,वे किसी भी लोकतांत्रिक व्यवस्था के लिए बेहद गंभीर माने जाते हैं। उन पर आरोप है कि उन्होंने दिसंबर में एक संगठित विद्रोह का नेतृत्व किया,जिसके तहत सेना को सक्रिय करने और मार्शल लॉ लागू करने की योजना बनाई गई थी। अभियोजन पक्ष का कहना है कि यून ने न केवल सत्ता पर अपनी पकड़ बनाए रखने के लिए संविधान की अवहेलना की,बल्कि सरकारी दस्तावेजों को गलत तरीके से पेश करने और नष्ट करने का भी प्रयास किया।

विशेष अभियोजक चो यून-सूक की टीम ने अदालत में यून पर विद्रोह को उकसाने,झूठी गवाही देने और संवेदनशील दस्तावेजों से छेड़छाड़ करने के कई आरोप लगाए हैं। इन आरोपों की पुष्टि के लिए अदालत ने गुरुवार को मार्शल लॉ योजना में शामिल दो सैन्य अधिकारियों की गवाही सुनने का फैसला किया।

यून प्रशासन के दौरान प्रधानमंत्री रहे हान डक-सू भी इस विवादित मामले में फँसते दिख रहे हैं। 27 अगस्त को सोल की एक अदालत ने यह विचार करना शुरू किया कि हान को मार्शल लॉ लागू करने में कथित भूमिका के लिए गिरफ्तार करने का वारंट जारी किया जाए या नहीं। सुनवाई से पहले जब हान अदालत पहुँचे,तो उन्होंने पत्रकारों के सवालों का जवाब देने से इनकार कर दिया।

अगर अदालत हान के खिलाफ गिरफ्तारी वारंट जारी करती है,तो वे यून प्रशासन के तीसरे कैबिनेट सदस्य होंगे,जिन्हें दिसंबर में मार्शल लॉ लागू करने की साजिश के सिलसिले में गिरफ्तार किया जाएगा। इससे यह स्पष्ट होता है कि यह मुकदमा सिर्फ यून तक सीमित नहीं है,बल्कि उनके पूरे प्रशासन और उस दौर की सत्ता संरचना पर भी सवाल खड़े कर रहा है।

दक्षिण कोरिया के नागरिक इस मामले पर बारीकी से नज़र रख रहे हैं। यून सूक योल कभी देश के शीर्ष नेता रहे और अब उन्हीं पर लोकतांत्रिक व्यवस्था को तहस-नहस करने का आरोप है। यह मुकदमा न केवल न्यायिक दृष्टि से बल्कि राजनीतिक रूप से भी महत्वपूर्ण है। विपक्षी दल पहले से ही यून के खिलाफ आक्रामक रुख अपनाए हुए हैं,जबकि उनके समर्थक इस मामले को राजनीतिक प्रतिशोध बताकर खारिज कर रहे हैं।

यून की लगातार अदालती अनुपस्थिति ने उनके समर्थकों को यह कहने का मौका दिया है कि उनकी तबीयत वाकई गंभीर है और सरकार उन्हें निशाना बना रही है। वहीं आलोचकों का कहना है कि यह सिर्फ एक रणनीति है,ताकि अदालत में गवाही और सबूतों का सामना करने से बचा जा सके।

गुरुवार को हुई सुनवाई में अदालत ने यह साफ कर दिया कि यून की अनुपस्थिति मुकदमे की प्रगति को रोक नहीं सकती। आने वाले हफ्तों में यह देखना दिलचस्प होगा कि क्या अदालत उनकी गैरमौजूदगी में सुनवाई को आगे बढ़ाती है और क्या अभियोजन पक्ष अपने आरोपों को साबित करने के लिए पर्याप्त सबूत और गवाही पेश कर पाता है।

अगर अदालत विद्रोह और मार्शल लॉ लागू करने की साजिश को साबित कर देती है,तो यह दक्षिण कोरिया के इतिहास में एक बड़ा मोड़ होगा। पूर्व राष्ट्रपति पर आजीवन कारावास या मृत्युदंड जैसी सजा लागू होने की संभावना देश की राजनीति को झकझोर देगी। दूसरी ओर,अगर यून निर्दोष साबित होते हैं,तो यह उनकी राजनीतिक वापसी का रास्ता भी खोल सकता है।

फिलहाल अदालत और अभियोजन पक्ष के बीच कानूनी लड़ाई जारी है और यून की अनुपस्थिति ने इसे और पेचीदा बना दिया है। यह मामला दक्षिण कोरिया की लोकतांत्रिक परंपराओं,उसकी न्यायिक स्वतंत्रता और राजनीतिक स्थिरता के लिए एक अहम कसौटी बन चुका है।