मेक्सिको की राष्ट्रपति क्लाउडिया शिनबाम (तस्वीर क्रेडिट@mdunis59)

अमेरिका के नए शुल्क नियमों से उपजी वैश्विक चिंता: मेक्सिको सहित 25 देशों ने रोकी डाक और पार्सल सेवा

मेक्सिको सिटी,28 अगस्त (युआईटीवी)- अंतर्राष्ट्रीय डाक सेवाओं पर अमेरिका के एक हालिया निर्णय का गहरा असर दिखाई देने लगा है। अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप द्वारा “डी मिनिमिस ट्रीटमेंट” नियम को समाप्त करने के बाद मेक्सिको ने अमेरिका को डाक और पार्सल भेजने पर अस्थायी रोक लगाने की घोषणा की है। यह निर्णय केवल मेक्सिको तक सीमित नहीं है,बल्कि मंगलवार को यूनिवर्सल पोस्टल यूनियन (यूपीयू) ने पुष्टि की कि अब तक 25 सदस्य देशों ने अमेरिकी आयात नीति में बदलाव को देखते हुए अपनी डाक शिपमेंट सेवाएँ रोक दी हैं। यह स्थिति न केवल डाक क्षेत्र बल्कि वैश्विक व्यापारिक रिश्तों पर भी गहरे सवाल खड़े कर रही है।

अब तक का प्रावधान यह था कि 800 डॉलर से कम मूल्य के सामान को शुल्क मुक्त अमेरिका में प्रवेश की अनुमति थी। इसे “डी मिनिमिस ट्रीटमेंट” कहा जाता था। इस नियम ने छोटे और मध्यम व्यवसायों के लिए अंतर्राष्ट्रीय बाजार तक पहुँच आसान बनाई थी,लेकिन राष्ट्रपति ट्रंप ने पिछले महीने एक कार्यकारी आदेश पर हस्ताक्षर कर इस छूट को समाप्त करने का निर्णय लिया। आदेश के अनुसार, 29 अगस्त से यह प्रावधान पूरी तरह समाप्त हो जाएगा और किसी भी मूल्य के पैकेज पर शुल्क देना होगा। इसका सीधा असर उन सभी देशों पर पड़ा है,जो अमेरिका को डाक और पार्सल सेवाओं के माध्यम से सामान भेजते थे।

मेक्सिको की राष्ट्रीय डाक सेवा “कोरियोस डे मेक्सिको” ने बुधवार से अपनी डाक और पार्सल डिलीवरी सेवाओं को अस्थायी रूप से रोकने का एलान किया। इस फैसले का असर लाखों उपभोक्ताओं और व्यवसायों पर पड़ रहा है,जो अमेरिका के बाजार में सामान भेजते हैं या वहाँ से सामान मँगाते हैं। मेक्सिको ने यह कदम भारत,जर्मनी,ऑस्ट्रेलिया,कनाडा,जापान और न्यूजीलैंड जैसे देशों की तर्ज पर उठाया है,जिन्होंने पहले ही अमेरिका की नई नीति पर असंतोष जताया था।

मेक्सिकन सरकार ने कहा है कि वह अमेरिकी अधिकारियों और अंतर्राष्ट्रीय डाक संगठनों से बातचीत कर रही है,ताकि सेवाएँ जल्द बहाल की जा सकें और उपभोक्ताओं को लंबे समय तक असुविधा का सामना न करना पड़े। सरकार का कहना है कि उसका लक्ष्य यह सुनिश्चित करना है कि डिलीवरी में किसी भी प्रकार की रुकावट या अनिश्चितता न रहे।

इस बीच,जिनेवा स्थित यूनिवर्सल पोस्टल यूनियन (यूपीयू),जो कि 192 सदस्य देशों के साथ डाक क्षेत्र के लिए संयुक्त राष्ट्र की विशेष एजेंसी है,ने इस पूरे मामले पर चिंता जताई है। यूपीयू ने कहा कि वह अमेरिकी अधिकारियों से मिलकर नए नियमों पर स्पष्टता लाने की कोशिश कर रही है,ताकि सदस्य देशों को उनके प्रभावों के बारे में पूरी जानकारी मिल सके। संगठन ने यह भी बताया कि उसने अपने महानिदेशक मसाहिको मेटोकी के माध्यम से अमेरिकी विदेश मंत्री मार्को रुबियो को एक पत्र लिखा है। इस पत्र में सदस्य देशों की चिंताओं को विस्तार से रखा गया है और चेतावनी दी गई है कि इन नए नियमों से डाक सेवाओं में गंभीर रुकावट आ सकती है।

यूपीयू के बयान के अनुसार,अमेरिकी प्रशासन के इस फैसले ने एक तरह की अनिश्चितता पैदा कर दी है। सदस्य देशों को यह समझने में कठिनाई हो रही है कि नई शुल्क व्यवस्था के तहत किस प्रकार के दस्तावेज़ और शुल्क संरचनाएँ लागू होंगी। इससे वैश्विक डाक प्रणाली में भ्रम की स्थिति उत्पन्न हो रही है,जिसका सीधा असर उन छोटे और मध्यम व्यापारियों पर पड़ेगा,जो अपेक्षाकृत कम कीमत वाले उत्पाद अमेरिका भेजकर अपनी आजीविका चलाते हैं।

भारत समेत कई देशों ने पहले ही यह स्पष्ट किया है कि वे इस निर्णय को “अनुचित” मानते हैं। उनके अनुसार,अमेरिका जैसे बड़े और विकसित देश का यह कदम छोटे व्यापारिक साझेदारों और विकासशील देशों की अर्थव्यवस्था पर प्रतिकूल असर डालेगा। यह नियम वैश्विक व्यापारिक संतुलन के विपरीत है और मुक्त व्यापार की भावना को नुकसान पहुँचाता है।

अमेरिकी प्रशासन का तर्क यह है कि “डी मिनिमिस” नियम का दुरुपयोग किया जा रहा था और इससे अमेरिकी उद्योगों को नुकसान हो रहा था। ट्रंप प्रशासन का दावा है कि कई विदेशी कंपनियाँ इस छूट का फायदा उठाकर बिना शुल्क दिए अमेरिकी बाजार में प्रवेश कर रही थीं। प्रशासन का मानना है कि इस बदलाव से अमेरिकी निर्माताओं और उद्योगों को राहत मिलेगी और निष्पक्ष प्रतिस्पर्धा सुनिश्चित होगी,लेकिन आलोचकों का कहना है कि यह कदम सुरक्षा के नाम पर संरक्षणवाद (प्रोटेक्शनिज़्म) को बढ़ावा देता है।

मेक्सिको और अन्य देशों द्वारा सेवाएँ रोकने का सीधा असर आम उपभोक्ताओं और व्यापारिक समुदाय पर देखा जा रहा है। छोटे व्यापारी,जो ऑनलाइन प्लेटफॉर्म के जरिए अमेरिकी ग्राहकों को उत्पाद भेजते थे,अब संकट में हैं। वहीं,अमेरिका में रहने वाले लाखों प्रवासी भी इस रोक से प्रभावित हो रहे हैं,क्योंकि वे अपने परिवारों को आवश्यक सामान और दस्तावेज भेजने में असमर्थ हो रहे हैं।

यूपीयू ने कहा है कि वह अपने सदस्य देशों को इस नई वास्तविकता के लिए तैयार करने की दिशा में कदम उठा रहा है। संगठन ने यह भी आश्वासन दिया है कि वह अमेरिकी प्रशासन से वार्ता कर पारदर्शिता लाने का प्रयास करेगा,ताकि सदस्य देशों को पता चल सके कि नए नियमों के अनुरूप उन्हें किस तरह अपनी डाक व्यवस्था को ढालना होगा।

फिलहाल स्थिति यह है कि अमेरिका के इस कदम ने अंतर्राष्ट्रीय डाक सेवाओं के भविष्य पर गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं। एक ओर अमेरिका अपने आर्थिक हितों की रक्षा के लिए सख्त रुख अपना रहा है,तो दूसरी ओर उसके सहयोगी देश असहज महसूस कर रहे हैं और सेवाओं को रोककर अपना विरोध जता रहे हैं। आने वाले दिनों में यह देखना महत्वपूर्ण होगा कि अमेरिकी प्रशासन अपने सहयोगी देशों की चिंताओं को किस हद तक सुनता है और क्या वह इस फैसले में कुछ नरमी दिखाता है या नहीं।

अमेरिका के नए शुल्क नियमों ने वैश्विक स्तर पर व्यापारिक और डाक सेवाओं की सहजता पर गहरी चोट पहुँचाई है। मेक्सिको और अन्य देशों द्वारा सेवाएँ रोकना इस बात का संकेत है कि अंतर्राष्ट्रीय समुदाय इस फैसले को हल्के में नहीं ले रहा। आने वाले सप्ताहों में होने वाली वार्ताएँ यह तय करेंगी कि वैश्विक डाक सेवाएँ किस दिशा में जाएँगी और छोटे व्यापारियों व उपभोक्ताओं का भविष्य किस प्रकार प्रभावित होगा।