भारतीय क्रिकेट टीम (तस्वीर क्रेडिट@SANDEEPKHADAV2)

एशिया कप 2025: भारतीय क्रिकेट टीम बिना किसी स्पॉन्सर के मैदान पर उतर सकती है,बीसीसीआई की बड़ी चुनौती

नई दिल्ली,3 सितंबर (युआईटीवी)- एशिया कप 2025 से पहले भारतीय क्रिकेट कंट्रोल बोर्ड (बीसीसीआई) के सामने बड़ी चुनौती है। बीसीसीआई को दुनिया का सबसे अमीर क्रिकेट बोर्ड माना जाता है। इसकी वित्तीय ताकत और वैश्विक प्रभाव का अंदाज़ा इसी बात से लगाया जा सकता है कि भारतीय क्रिकेट टीम का प्रायोजक बनने के लिए हर बार दिग्गज कंपनियों के बीच कड़ी प्रतिस्पर्धा देखने को मिलती है। स्पॉन्सरशिप के लिए बोली की रकम लगातार पुराने रिकॉर्ड तोड़ती है और हर अनुबंध क्रिकेट के व्यावसायिक पहलू की नई ऊँचाई दर्शाता है,लेकिन इस बार स्थिति उलटती दिख रही है। एशिया कप 2025 में भारतीय टीम बिना किसी स्पॉन्सर के उतर सकती है।

करीब दो साल से भारतीय क्रिकेट टीम की जर्सी पर ‘ड्रीम इलेवन’ का लोगो चमक रहा था। यह कंपनी फैंटेसी स्पोर्ट्स के क्षेत्र में सक्रिय है और 2023 में उसने 2026 तक के लिए बीसीसीआई से स्पॉन्सरशिप अधिकार हासिल किए थे। इस सौदे की कुल कीमत 358 करोड़ रुपये थी,जो भारतीय क्रिकेट की व्यावसायिक ताकत का प्रतीक माना गया,लेकिन हाल ही में भारत सरकार ने एक नया विधेयक पारित किया,जिसके तहत बेटिंग और ऑनलाइन गेमिंग के दायरे में आने वाली कंपनियों को प्रतिबंधित कर दिया गया। सरकार के इस फैसले के बाद ‘ड्रीम इलेवन’ भारतीय टीम का प्रायोजक बनने की योग्यता खो बैठा और उसे अपने अनुबंध की अवधि समाप्त होने से पहले ही पीछे हटना पड़ा।

इस अचानक बदलाव ने बीसीसीआई को मुश्किल में डाल दिया है। एशिया कप 2025 की शुरुआत 9 सितंबर से हो रही है और टूर्नामेंट से पहले भारतीय टीम की जर्सी पर किसी कंपनी का लोगो दिखाई देने की संभावना बेहद कम है। टीम 4 सितंबर को यूएई के लिए रवाना होगी,लेकिन अब तक कोई नया स्पॉन्सर सामने नहीं आया है। इस वजह से भारतीय टीम संभवतः टूर्नामेंट के अधिकांश हिस्से में बिना किसी प्रायोजक के ही मैदान पर उतरेगी। यह स्थिति बीसीसीआई जैसी आर्थिक रूप से मजबूत संस्था के लिए असामान्य है और इस पर सबकी नज़र टिकी हुई है।

हालाँकि,बोर्ड ने नए स्पॉन्सर की तलाश शुरू कर दी है। मंगलवार को बीसीसीआई ने इस संबंध में आधिकारिक नोटिस जारी किया। नए प्रायोजक के लिए इच्छुक कंपनियों से रुचि पत्र आमंत्रित किए गए हैं। इसके लिए रुचि पत्र खरीदने की अंतिम तिथि 12 सितंबर तय की गई है और बोली जमा करने की आखिरी तारीख 16 सितंबर है। यानी यह पूरी प्रक्रिया एशिया कप के दौरान ही चलेगी,ऐसे में टूर्नामेंट खत्म होने से पहले भारतीय टीम को नया प्रायोजक मिलने की संभावना काफी कम है।

बीसीसीआई ने स्पष्ट किया है कि कुछ श्रेणियों की कंपनियों को इस प्रक्रिया से बाहर रखा जाएगा। इनमें अल्कोहल ब्रांड,सट्टेबाजी या जुआ सेवाएँ,क्रिप्टोकरेंसी,ऑनलाइन मनी गेमिंग कंपनियाँ,तंबाकू ब्रांड और ऐसे सभी उत्पाद या सेवाएँ शामिल हैं,जिन्हें सार्वजनिक नैतिकता के लिए हानिकारक माना जाता है। इस दिशा-निर्देश से यह साफ है कि बोर्ड टीम इंडिया के साथ केवल जिम्मेदार और सामाजिक रूप से स्वीकार्य ब्रांडों को ही जोड़ना चाहता है।

यह पहली बार नहीं है,जब भारतीय टीम बिना प्रायोजक के मैदान पर उतर सकती है। इससे पहले 2023 में इंग्लैंड के ओवल में खेले गए विश्व टेस्ट चैंपियनशिप के फाइनल में भी भारतीय टीम की जर्सी पर किसी कंपनी का लोगो नहीं था। उस समय यह स्थिति अस्थायी समझी गई थी,लेकिन एशिया कप जैसे बड़े टूर्नामेंट में ऐसी पुनरावृत्ति ने सवाल खड़े कर दिए हैं। क्रिकेट विशेषज्ञों का मानना है कि यह स्थिति बीसीसीआई की कारोबारी ताकत को प्रभावित नहीं करेगी,लेकिन यह जरूर संकेत है कि सरकार की नीतियों के चलते क्रिकेट के व्यावसायिक समीकरण बदल सकते हैं।

एशिया कप 2025 का फाइनल 28 सितंबर को खेला जाना है। यानी टूर्नामेंट की पूरी अवधि के दौरान भारतीय टीम की जर्सी बिना स्पॉन्सर के ही रह सकती है। इससे खिलाड़ियों की छवि और बीसीसीआई की व्यावसायिक प्रतिष्ठा पर कोई प्रत्यक्ष असर भले न पड़े,लेकिन यह स्थिति विज्ञापन और ब्रांडिंग के लिहाज से असामान्य है। भारतीय क्रिकेट टीम दुनिया में सबसे ज्यादा देखी जाने वाली टीम है। करोड़ों दर्शकों की नज़रें जब मैदान पर खिलाड़ियों की जर्सी पर पड़ती हैं,तो वहाँ प्रदर्शित ब्रांड को अपार प्रचार मिलता है। यही कारण है कि कंपनियाँ स्पॉन्सरशिप के लिए बड़ी रकम चुकाने को तैयार रहती हैं।

फिलहाल भारतीय क्रिकेट बोर्ड और विज्ञापन जगत की निगाहें इस बात पर हैं कि बीसीसीआई को नया स्पॉन्सर कब तक मिलता है। विशेषज्ञों का कहना है कि बोर्ड की आर्थिक ताकत इतनी मजबूत है कि वह बिना किसी परेशानी के जल्द ही नए प्रायोजक को जोड़ लेगा,लेकिन एशिया कप जैसे महत्त्वपूर्ण टूर्नामेंट में टीम इंडिया का बिना स्पॉन्सर उतरना क्रिकेट इतिहास में एक अनोखी घटना होगी।

एशिया कप 2025 के शुरू होने से पहले बीसीसीआई के सामने यह एक अप्रत्याशित चुनौती बनकर उभरी है। दुनिया की सबसे ताकतवर क्रिकेट संस्था भी सरकारी नियमों और सामाजिक जिम्मेदारी से बँधी हुई है। अब देखना यह होगा कि भारतीय क्रिकेट टीम का अगला प्रायोजक कौन बनता है और क्या वह बीसीसीआई द्वारा तय किए गए नैतिक और कानूनी मापदंडों पर खरा उतर पाता है।