प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी,मॉरीशस के प्रधानमंत्री नवीनचंद्र रामगुलाम (तस्वीर क्रेडिट@YogendraGohilYK)

वाराणसी में कूटनीति और संस्कृति का संगम,पीएम मोदी और मॉरीशस के प्रधानमंत्री रामगुलाम के दौरे को लेकर तैयारियाँ पूरी

वाराणसी,9 सितंबर (युआईटीवी)- वाराणसी इन दिनों एक विशेष कूटनीतिक और सांस्कृतिक अवसर की तैयारी में जुटा हुआ है। शहर में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और मॉरीशस के प्रधानमंत्री नवीनचंद्र रामगुलाम के प्रस्तावित दौरे को लेकर प्रशासनिक गतिविधियाँ तेज हो गई हैं। गंगा किनारे बसे इस प्राचीन नगर को सजाने-संवारने का कार्य युद्धस्तर पर चल रहा है। हर गली,हर चौक और हर घाट पर साफ-सफाई, रोशनी और सुरक्षा के कड़े इंतजाम किए जा रहे हैं। यह दौरा न केवल भारत और मॉरीशस के द्विपक्षीय संबंधों के लिहाज से महत्वपूर्ण है,बल्कि वाराणसी की आध्यात्मिक और सांस्कृतिक धरोहर को अंतर्राष्ट्रीय मंच पर प्रदर्शित करने का भी अवसर है।

मॉरीशस के प्रधानमंत्री रामगुलाम 10 से 12 सितंबर तक तीन दिवसीय यात्रा पर वाराणसी आ रहे हैं। उनके इस दौरे का मकसद भारत और मॉरीशस के बीच आर्थिक,सांस्कृतिक और तकनीकी सहयोग को और प्रगाढ़ बनाना है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी 11 सितंबर को एक दिवसीय दौरे पर वाराणसी पहुँचेंगे और इस दौरान दोनों प्रधानमंत्रियों के बीच एक अहम द्विपक्षीय बैठक भी होगी। माना जा रहा है कि इस मुलाकात से भारत-मॉरीशस के ऐतिहासिक रिश्तों में नई ऊर्जा का संचार होगा। दोनों देशों के बीच लंबे समय से गहरे सांस्कृतिक और आर्थिक संबंध रहे हैं,जिन्हें प्रधानमंत्री स्तर पर हो रही इस वार्ता से और मजबूती मिलेगी।

वाराणसी में मंगलवार को सेना के तीन हेलीकॉप्टरों ने पुलिस लाइन मैदान में “टच एंड गो” रिहर्सल किया। यह अभ्यास सुरक्षा और व्यवस्थाओं को परखने के लिए किया गया। सुरक्षा एजेंसियाँ और प्रशासन इस बात को लेकर पूरी तरह सतर्क हैं कि इतने बड़े स्तर की कूटनीतिक और धार्मिक यात्रा में किसी भी प्रकार की चूक न हो। प्रशासन ने शहर को हाई अलर्ट पर रखा है और पुलिस तथा प्रशासनिक अधिकारियों ने दौरे से पहले विभिन्न स्थानों का निरीक्षण कर सुरक्षा इंतजामों की समीक्षा की। खासतौर पर संसद भवन से लेकर प्रधानमंत्री आवास और बाबा विश्वनाथ मंदिर तक सभी मार्गों को चिह्नित कर कड़े सुरक्षा घेरे में रखा गया है।

इस दौरे का एक विशेष आकर्षण मॉरीशस के प्रधानमंत्री रामगुलाम का बाबा विश्वनाथ मंदिर में दर्शन करना और गंगा नदी में क्रूज यात्रा के माध्यम से विश्व प्रसिद्ध गंगा आरती का अवलोकन करना होगा। माना जा रहा है कि वह बनारस की आध्यात्मिक विरासत और सांस्कृतिक धरोहर से बेहद प्रभावित हैं। वाराणसी की इस यात्रा से न केवल धार्मिक कूटनीति को बल मिलेगा,बल्कि पर्यटन और सांस्कृतिक आदान-प्रदान के नए रास्ते भी खुलेंगे।

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का वाराणसी दौरा भी खास मायने रखता है,क्योंकि यह उनका संसदीय क्षेत्र है। मोदी जब भी वाराणसी आते हैं,तो स्थानीय विकास परियोजनाओं की समीक्षा करना और जनता से संवाद स्थापित करना उनकी प्राथमिकता होती है। इस बार भी उम्मीद की जा रही है कि पीएम मोदी क्षेत्र की विभिन्न परियोजनाओं की प्रगति की समीक्षा करेंगे और जनप्रतिनिधियों तथा स्थानीय लोगों से संवाद करेंगे। उनकी मौजूदगी से वाराणसी के विकास कार्यों को नई गति मिलने की संभावना है।

शहर में तैयारियों का आलम यह है कि सड़कें साफ-सुथरी की जा रही हैं,जगह-जगह आकर्षक सजावट की जा रही है और घाटों को रोशनी से जगमग किया जा रहा है। गंगा आरती स्थल पर विशेष इंतजाम किए जा रहे हैं,ताकि विदेशी मेहमानों को भारत की आध्यात्मिक और सांस्कृतिक धरोहर का अद्भुत अनुभव मिल सके। साथ ही,प्रशासन ने रूट डायवर्जन,ट्रैफिक व्यवस्था और जनसंपर्क जैसे सभी क्षेत्रों में कड़े कदम उठाए हैं। शहर के प्रमुख मार्गों और प्रवेश द्वारों पर पुलिस बल की तैनाती की गई है,वहीं,संवेदनशील स्थानों पर सीसीटीवी कैमरे और ड्रोन से निगरानी रखी जाएगी।

भारत और मॉरीशस के बीच संबंधों की ऐतिहासिक पृष्ठभूमि पर नजर डालें,तो यह रिश्ता केवल राजनीतिक और आर्थिक ही नहीं,बल्कि सांस्कृतिक और भावनात्मक भी है। मॉरीशस की आबादी का एक बड़ा हिस्सा भारतीय मूल का है,जिसमें उत्तर प्रदेश और बिहार से गए प्रवासी शामिल हैं। ऐसे में वाराणसी की इस यात्रा को एक तरह से सांस्कृतिक पुनर्मिलन की संज्ञा भी दी जा सकती है। दोनों देशों के बीच शिक्षा,तकनीक,व्यापार और पर्यटन के क्षेत्र में कई समझौते पहले से हैं और इस दौरे से इन संबंधों में और प्रगाढ़ता आने की उम्मीद है।

वाराणसी की यह तीन दिवसीय मेजबानी केवल एक कूटनीतिक यात्रा नहीं होगी,बल्कि यह आध्यात्मिकता,संस्कृति और कूटनीति का संगम होगी। प्रधानमंत्री मोदी और प्रधानमंत्री रामगुलाम की यह मुलाकात एक ओर जहाँ वैश्विक स्तर पर भारत की सांस्कृतिक शक्ति को प्रदर्शित करेगी,वहीं दूसरी ओर भारत-मॉरीशस संबंधों में एक नया अध्याय जोड़ेगी।

काशी की धरती अगले तीन दिनों तक कूटनीतिक गतिविधियों और सांस्कृतिक कार्यक्रमों का केंद्र बनेगी। शहरवासियों को गर्व है कि उनकी नगरी अंतर्राष्ट्रीय नेताओं की मेजबानी कर रही है। आने वाले दिनों में यह दौरा न केवल दोनों देशों के लिए सकारात्मक परिणाम लाएगा,बल्कि वाराणसी की पहचान को और भी वैश्विक बनाएगा। यह अवसर भारत के लिए अपनी आध्यात्मिक विरासत,सांस्कृतिक वैभव और कूटनीतिक क्षमता को एक साथ प्रस्तुत करने का अद्भुत मंच साबित होगा।