नई दिल्ली,10 सितंबर (युआईटीवी)- भारत के राजनीतिक परिदृश्य में मंगलवार का दिन ऐतिहासिक साबित हुआ,जब राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (एनडीए) के उम्मीदवार सी.पी. राधाकृष्णन को देश का नया उपराष्ट्रपति चुन लिया गया। वे व्यक्तियों के संदर्भ में इस पद को संभालने वाले 15वें उपराष्ट्रपति बने हैं,जबकि कार्यकाल के आधार पर वे 17वें उपराष्ट्रपति माने जाएँगे। संसद भवन के केंद्रीय कक्ष में संपन्न हुए इस चुनाव में राधाकृष्णन ने स्पष्ट बहुमत हासिल किया और अपने प्रतिद्वंद्वी को पीछे छोड़ते हुए उपराष्ट्रपति पद तक पहुँचे।
चुनाव आयोग द्वारा घोषित आँकड़ों के अनुसार,राधाकृष्णन को कुल 452 वोट प्राप्त हुए। इस चुनाव में कुल वोटर संख्या 788 थी,लेकिन 7 पद रिक्त रहने के कारण प्रभावी संख्या 781 रही। मतदान के दिन 768 सांसदों ने वोट डाला,जबकि 13 सांसद अनुपस्थित रहे। अनुपस्थित रहने वालों में बीआरएस के 4,बीजद के 7,शिरोमणि अकाली दल के 1 और एक निर्दलीय सांसद शामिल थे। इन अनुपस्थितियों के बावजूद चुनाव का रुझान पहले से ही राधाकृष्णन के पक्ष में नजर आ रहा था। एनडीए की ओर से मजबूत समर्थन और सहयोगी दलों की एकजुटता ने उनकी जीत को सुनिश्चित कर दिया।
सी.पी. राधाकृष्णन लंबे समय से सार्वजनिक जीवन से जुड़े हुए हैं और उनका राजनीतिक अनुभव बेहद व्यापक रहा है। वे तमिलनाडु से आते हैं और भारतीय जनता पार्टी के वरिष्ठ नेता माने जाते हैं। उनके जीवन का अधिकांश हिस्सा समाज सेवा और जनकल्याण कार्यों में व्यतीत हुआ है। उनका करियर इस बात का उदाहरण है कि किस प्रकार एक जनसेवक निरंतरता और समर्पण के बल पर देश की सर्वोच्च संवैधानिक संस्थाओं तक पहुँच सकता है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अपनी शुभकामनाओं में कहा कि राधाकृष्णन का जीवन समाज सेवा और गरीबों व वंचितों के सशक्तिकरण के लिए समर्पित रहा है और वे एक उत्कृष्ट उपराष्ट्रपति साबित होंगे।
राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मु ने भी सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर बधाई संदेश देते हुए कहा कि राधाकृष्णन का दशकों का अनुभव देश की प्रगति और संसदीय परंपराओं को मजबूत बनाने में सहायक होगा। उन्होंने उम्मीद जताई कि नए उपराष्ट्रपति न केवल राज्यसभा के संचालन को सुचारु बनाएँगे,बल्कि भारतीय लोकतंत्र की गरिमा को और ऊँचाई देंगे।
इस अवसर पर केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह ने भी राधाकृष्णन को शुभकामनाएँ दीं। उन्होंने लिखा कि उनकी दूरदर्शिता और प्रशासनिक ज्ञान भारतीय लोकतंत्र को और अधिक सशक्त करेगा। रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने कहा कि राधाकृष्णन का संवैधानिक और विधायी मामलों की गहरी समझ तथा जनता के साथ मजबूत जुड़ाव उनकी नई भूमिका में बेहद उपयोगी साबित होगा। केंद्रीय सड़क परिवहन मंत्री नितिन गडकरी ने भी उन्हें बधाई दी और कहा कि लोकतांत्रिक मूल्यों के प्रति उनकी प्रतिबद्धता भारत की आवाज को वैश्विक स्तर पर और मजबूत करेगी।
राधाकृष्णन की जीत न केवल एनडीए के लिए एक बड़ी सफलता है,बल्कि यह भारतीय राजनीति में क्षेत्रीय संतुलन को भी दर्शाती है। तमिलनाडु जैसे राज्य से आने वाले नेता का उपराष्ट्रपति पद तक पहुँचना यह साबित करता है कि भारतीय लोकतंत्र की विविधता और व्यापकता उसकी सबसे बड़ी ताकत है। यह जीत दक्षिण भारत के उन मतदाताओं के लिए भी प्रेरणादायक है,जो राष्ट्रीय राजनीति में अपनी अहम भागीदारी देखना चाहते हैं।
चुनाव परिणामों के बाद संसद भवन में एक उत्सव का माहौल देखने को मिला। एनडीए के नेताओं और सांसदों ने राधाकृष्णन का स्वागत किया और उन्हें उपराष्ट्रपति बनने पर बधाई दी। कई नेताओं ने इस बात पर जोर दिया कि उनका अनुभव और दृष्टिकोण राज्यसभा के कामकाज को और अधिक प्रभावी बनाएगा। उपराष्ट्रपति का पद न केवल औपचारिक है,बल्कि यह संसदीय लोकतंत्र की रीढ़ भी है,क्योंकि राज्यसभा के सभापति के रूप में उपराष्ट्रपति को विभिन्न दलों और नेताओं के बीच संतुलन बनाए रखना होता है।
भारत के राजनीतिक इतिहास में उपराष्ट्रपति का पद सदैव महत्वपूर्ण माना गया है। डॉक्टर सर्वपल्ली राधाकृष्णन से लेकर एम.वेंकैया नायडू और जगदीप धनखड़ तक,इस पद को संभालने वाले नेताओं ने भारतीय लोकतंत्र की मजबूती में अहम भूमिका निभाई है। अब इस कड़ी में सी.पी. राधाकृष्णन का नाम जुड़ गया है। देश को उनसे उम्मीद है कि वे अपने कार्यकाल में न केवल लोकतांत्रिक मूल्यों की रक्षा करेंगे,बल्कि संसद की गरिमा को भी बनाए रखेंगे।
सी.पी. राधाकृष्णन का उपराष्ट्रपति चुना जाना भारतीय राजनीति के लिए एक नया अध्याय है। उनकी जीत से यह संदेश गया है कि समर्पण और जनता के साथ गहरा जुड़ाव हमेशा सर्वोच्च संवैधानिक पदों तक पहुँचने का मार्ग प्रशस्त करता है। अब पूरे देश की निगाहें उन पर होंगी कि वे इस संवैधानिक पद पर रहते हुए किस प्रकार लोकतांत्रिक परंपराओं को और मजबूत करते हैं और भारत को नई ऊँचाइयों तक ले जाते हैं।
