नई दिल्ली,15 सितंबर (युआईटीवी)- दिल्ली के धौला कुआं इलाके में हुए दर्दनाक बीएमडब्ल्यू हादसे ने पूरे शहर को हिलाकर रख दिया है। इस घटना में केंद्रीय वित्त मंत्रालय के आर्थिक मामलों के विभाग में संयुक्त सचिव पद पर तैनात नवजोत सिंह की मौत हो गई थी,जबकि उनकी पत्नी गंभीर रूप से घायल हैं और अस्पताल में जिंदगी और मौत से जूझ रही हैं। हादसे के बाद पुलिस ने जाँच तेज कर दी है और अब इस मामले में बड़ा कदम उठाते हुए कार चालक गगनप्रीत को हिरासत में ले लिया है।
सूत्रों के अनुसार,रविवार शाम नवजोत सिंह अपनी पत्नी के साथ बंगला साहिब गुरुद्वारा से बाइक पर घर लौट रहे थे। इसी दौरान धौला कुआं इलाके में उनकी बाइक को एक तेज रफ्तार बीएमडब्ल्यू कार ने टक्कर मार दी। टक्कर इतनी भीषण थी कि मौके पर ही नवजोत सिंह गंभीर रूप से घायल हो गए और बाद में उनकी मौत हो गई। उनकी पत्नी को गंभीर चोटें आईं,जिन्हें अस्पताल में भर्ती कराया गया। हादसे के तुरंत बाद आरोपी गगनप्रीत भी घायल हुई और उसे पास के अस्पताल में भर्ती कराया गया।
दिल्ली पुलिस ने सोमवार को गगनप्रीत को जीटीबी नगर स्थित न्यूलाइफ अस्पताल से हिरासत में लिया। प्राथमिक जाँच में यह सामने आया है कि हादसे के वक्त बीएमडब्ल्यू कार गगनप्रीत ही चला रही थी और उसके बगल की सीट पर उसका पति बैठा हुआ था। पुलिस के अनुसार,हादसे के बाद जिस तरह से घायलों को नजदीकी अस्पताल के बजाय लगभग 19 किलोमीटर दूर अस्पताल ले जाया गया,उसने कई सवाल खड़े कर दिए हैं।
पुलिस जाँच में पता चला है कि दुर्घटना स्थल से कुछ ही किलोमीटर की दूरी पर कई बड़े अस्पताल मौजूद थे,लेकिन इसके बावजूद नवजोत सिंह और उनकी पत्नी को जीटीबी नगर के न्यूलाइफ अस्पताल ले जाया गया। पुलिस को संदेह है कि यह कदम जानबूझकर उठाया गया,क्योंकि जिस अस्पताल में घायलों को भर्ती कराया गया,वह कथित तौर पर गगनप्रीत के किसी परिचित का है। इसी वजह से पुलिस ने आरोपी के खिलाफ एफआईआर में सबूतों को नष्ट और छुपाने से संबंधित धाराएँ भी जोड़ दी हैं।
इस मामले में एक और महत्वपूर्ण पहलू सामने आया है। हादसे के वक्त मौके पर मौजूद एक चश्मदीद गुलफाम ने घायलों को अपनी कार में बैठाया और अस्पताल पहुँचाया। पुलिस सूत्रों ने बताया कि गुलफाम ने शुरू में यह समझा था कि वह केवल घायलों की मदद कर रहा है,लेकिन बाद में उसे पता चला कि आरोपी गगनप्रीत ने उसे दूर स्थित अस्पताल ले जाने के लिए मजबूर किया था। गुलफाम ने पुलिस को बताया कि उसने शुरू में सोचा था कि घायलों की स्थिति को देखते हुए किसी बड़े अस्पताल की जरूरत होगी,लेकिन बाद में जब घटना की सच्चाई सामने आई,तो उसे एहसास हुआ कि यह कदम सोची-समझी साजिश का हिस्सा हो सकता है।
फिलहाल पुलिस चश्मदीद गुलफाम से विस्तृत पूछताछ की तैयारी में है,ताकि यह पता लगाया जा सके कि आखिर गगनप्रीत ने नजदीकी अस्पतालों को छोड़कर इतनी दूर स्थित अस्पताल में भर्ती कराने का निर्देश क्यों दिया। इस पहलू को लेकर पुलिस का मानना है कि आरोपी ने सबूतों को छुपाने या मामले को मोड़ देने की कोशिश की हो सकती है।
हादसे के बाद घटनास्थल पर पहुँची पुलिस ने बीएमडब्ल्यू कार को पलटी हुई हालत में पाया था,जबकि बाइक डिवाइडर के पास खड़ी थी। यह भी संदेह जताया जा रहा है कि हादसे के समय कार की रफ्तार काफी अधिक थी और चालक ने नियंत्रण खो दिया था। इस घटना ने राजधानी में सड़क सुरक्षा और वीआईपी लाइफस्टाइल से जुड़ी लापरवाह ड्राइविंग पर भी बड़ा सवाल खड़ा कर दिया है।
नवजोत सिंह के बेटे ने भी इस मामले पर गंभीर सवाल उठाए हैं। उन्होंने कहा कि जब नजदीक ही कई अस्पताल मौजूद थे,तो उनके पिता और माँ को इतने दूर अस्पताल क्यों ले जाया गया। बेटे ने इसे संदिग्ध बताते हुए पुलिस से निष्पक्ष और सख्त जाँच की माँग की है।
इस हादसे ने दिल्ली पुलिस को कठोर कार्रवाई के लिए मजबूर कर दिया है। आरोपी गगनप्रीत को हिरासत में लेकर पुलिस अब उसके बयान दर्ज कर रही है और साथ ही अस्पताल ले जाने की पूरी प्रक्रिया की जाँच कर रही है। पुलिस यह भी पता लगाने की कोशिश कर रही है कि क्या इस घटना के पीछे किसी तरह की साजिश थी या यह केवल लापरवाही का नतीजा था।
धौला कुआं हादसे ने एक बार फिर यह साबित कर दिया है कि राजधानी की सड़कों पर तेज रफ्तार और लापरवाह ड्राइविंग किस तरह मासूम जिंदगियों को छीन लेती है। नवजोत सिंह जैसे वरिष्ठ अधिकारी की असमय मौत ने न केवल उनके परिवार को गहरा आघात दिया है,बल्कि पूरे प्रशासनिक तंत्र को भी हिलाकर रख दिया है। पुलिस की जाँच से आने वाले दिनों में यह साफ होगा कि गगनप्रीत और उसके साथियों ने हादसे के बाद वास्तव में क्या कदम उठाए और क्या यह सब कुछ पहले से सोची-समझी रणनीति का हिस्सा था।
फिलहाल,गगनप्रीत पुलिस हिरासत में है और उसके खिलाफ दर्ज एफआईआर में गंभीर धाराएँ जोड़ी गई हैं। अब सबकी नजरें पुलिस की आगे की कार्रवाई और अदालत में पेश की जाने वाली रिपोर्ट पर टिकी हुई हैं। यह देखना बाकी है कि इस मामले में पीड़ित परिवार को कब और कैसे न्याय मिलेगा,लेकिन एक बात साफ है कि धौला कुआं हादसे ने राजधानी की सड़कों पर सुरक्षा और जिम्मेदारी दोनों पर बड़े सवाल खड़े कर दिए हैं।

