वाशिंगटन,16 सितंबर (युआईटीवी)- अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप का प्रशासन इस सप्ताह से जापानी ऑटोमोबाइल पर नया टैरिफ ढाँचा लागू करने जा रहा है। इसके तहत जापानी वाहनों और उनके पुर्जों पर लगने वाला शुल्क घटाकर 15 प्रतिशत कर दिया जाएगा। यह कदम हाल ही में अमेरिका और जापान के बीच हुए द्विपक्षीय व्यापार समझौते के बाद उठाया गया है। इस समझौते को लागू करने के लिए राष्ट्रपति ट्रंप ने इस महीने की शुरुआत में एक कार्यकारी आदेश पर हस्ताक्षर किए थे।
दरअसल,अमेरिका लंबे समय से अपने घरेलू ऑटोमोबाइल उद्योग की सुरक्षा और वैश्विक व्यापार संतुलन को बनाए रखने के लिए आयातित वाहनों पर ऊँचा टैरिफ लगाता रहा है। मौजूदा समय में जापानी कारों और उनके स्पेयर पार्ट्स पर 27.5 प्रतिशत तक शुल्क लगाया जाता था। इसमें 2.5 प्रतिशत का सामान्य आयात शुल्क और 25 प्रतिशत का वैश्विक क्षेत्र-विशिष्ट शुल्क शामिल है। हालाँकि,नई व्यवस्था के बाद यह दर घटकर 15 प्रतिशत रह जाएगी। यह फैसला अमेरिकी उपभोक्ताओं के लिए वाहनों की कीमतों को कुछ हद तक कम कर सकता है,लेकिन साथ ही यह अमेरिकी ऑटोमोबाइल निर्माताओं के लिए प्रतिस्पर्धा को और तेज करेगा।
इस नीति परिवर्तन से सबसे अधिक लाभ जापान की प्रमुख ऑटो कंपनियों—टोयोटा, होंडा,निसान और माज़दा को होगा। ये कंपनियाँ अमेरिकी बाजार में पहले से ही मजबूत स्थिति बनाए हुए हैं। अमेरिका जापानी ऑटोमोबाइल उद्योग के लिए सबसे बड़ा निर्यात बाजार है। विशेषज्ञों का मानना है कि टैरिफ कम होने से जापानी कंपनियाँ अपने वाहनों को अमेरिकी बाजार में और अधिक प्रतिस्पर्धी कीमतों पर उपलब्ध करा पाएँगी। इससे न केवल उनकी बिक्री बढ़ेगी,बल्कि अमेरिकी उपभोक्ताओं के पास विकल्प भी अधिक होंगे।
इस बीच,दक्षिण कोरिया भी अमेरिका से अपने वाहनों पर टैरिफ कम करने की उम्मीद लगाए बैठा है। वर्तमान में कोरियाई वाहनों पर 25 प्रतिशत का भारी शुल्क लगाया जाता है। यह शुल्क 1962 के ट्रेड एक्सपेंशन एक्ट की धारा 232 के तहत लागू किया गया था। इस कानून के अनुसार,राष्ट्रपति को यह अधिकार है कि यदि किसी उत्पाद के आयात से राष्ट्रीय सुरक्षा को खतरा माना जाए,तो उस पर अतिरिक्त शुल्क लगाया जा सकता है। ट्रंप प्रशासन ने इसी प्रावधान का उपयोग करके दक्षिण कोरियाई कारों पर ऊँचा टैरिफ लगाया था।
हालाँकि,जुलाई में हुए एक द्विपक्षीय व्यापार समझौते के तहत अमेरिका ने कोरियाई वाहनों पर भी टैरिफ घटाकर 15 प्रतिशत करने पर सहमति जताई थी। इसके बावजूद,यह अभी तक स्पष्ट नहीं है कि यह समझौता कब लागू होगा। इस असमंजस ने दक्षिण कोरिया की सरकार और वहाँ के वाहन निर्माताओं की चिंता बढ़ा दी है। कोरिया के व्यापार मंत्री येओ हान-कू इस मुद्दे पर अमेरिका पहुँचे और उन्होंने स्पष्ट किया कि सियोल लगातार प्रयास कर रहा है,ताकि कोरियाई वाहनों के लिए भी ऑटो टैरिफ में कमी जल्द से जल्द लागू हो सके।
येओ हान-कू ने संवाददाताओं से बातचीत में कहा कि उनकी योजना अमेरिकी व्यापार प्रतिनिधि जेमीसन ग्रीर और अन्य अधिकारियों से मुलाकात करने की है,ताकि जुलाई में हुए समझौते की बारीकियों को अंतिम रूप दिया जा सके। उन्होंने कहा, “हम बातचीत की प्रक्रिया में हैं,इसलिए संयम बनाए रखना जरूरी है,लेकिन हमारा लक्ष्य यह सुनिश्चित करना है कि कोरियाई कारों को भी जल्द राहत मिले।”
यह ध्यान देने योग्य है कि अमेरिका दक्षिण कोरिया के लिए एक बेहद अहम ऑटोमोबाइल निर्यात बाजार है। पिछले साल दक्षिण कोरिया के कुल कार निर्यात में अमेरिका का हिस्सा लगभग 49.1 प्रतिशत रहा,जिसकी कीमत 34.7 अरब डॉलर आंकी गई। दक्षिण कोरिया की प्रमुख कंपनियाँ हुंडई मोटर ग्रुप और जीएम कोरिया ने अकेले 2024 में ही अमेरिका को क्रमशः लगभग 9,70,000 और 4,10,000 यूनिट्स का निर्यात किया। यदि टैरिफ घटाने का फैसला लागू होता है,तो इससे इन कंपनियों की बिक्री और भी तेजी से बढ़ सकती है।
विश्लेषकों का कहना है कि यह पूरा मामला न केवल व्यापारिक संतुलन का प्रश्न है,बल्कि इसमें भू-राजनीतिक पहलू भी छिपा हुआ है। ट्रंप प्रशासन की कोशिश है कि वह एशियाई देशों के साथ अपने आर्थिक संबंधों को इस तरह से संतुलित करे कि अमेरिकी हितों की रक्षा हो और घरेलू उद्योगों को आघात भी न पहुँचे। जापान और दक्षिण कोरिया दोनों ही अमेरिका के महत्वपूर्ण एशियाई साझेदार हैं। ऐसे में वाशिंगटन दोनों देशों के साथ मजबूत व्यापारिक समझौते करना चाहता है।
हालाँकि,आलोचकों का मानना है कि आयात शुल्क घटाने से अमेरिकी वाहन निर्माताओं पर दबाव बढ़ सकता है। पहले से ही जीएम,फोर्ड और क्राइसलर जैसी कंपनियाँ अंतर्राष्ट्रीय प्रतिस्पर्धा का सामना कर रही हैं। अब यदि जापानी और कोरियाई कारें कम कीमत पर उपलब्ध होंगी,तो इन घरेलू कंपनियों के लिए बाजार हिस्सेदारी बनाए रखना और मुश्किल हो सकता है।
वहीं,अमेरिकी उपभोक्ताओं के दृष्टिकोण से यह फैसला लाभकारी साबित हो सकता है। उन्हें अब जापानी कारें और उनके स्पेयर पार्ट्स पहले की तुलना में कम कीमत पर मिल सकते हैं। खासतौर पर हाइब्रिड और इलेक्ट्रिक वाहनों के क्षेत्र में जापानी कंपनियों की मजबूत पकड़ है,जिससे अमेरिकी ग्राहकों को बेहतर विकल्प प्राप्त होंगे।
अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर यह फैसला संकेत देता है कि ट्रंप प्रशासन अपने “अमेरिका फर्स्ट” एजेंडे के साथ-साथ व्यावहारिकता भी अपनाने को तैयार है। जहाँ एक ओर ऊँचे टैरिफ लगाकर वह घरेलू उद्योग की रक्षा करना चाहता है,वहीं दूसरी ओर वह अपने प्रमुख सहयोगियों के साथ लचीलेपन का रुख भी दिखा रहा है। आने वाले समय में यह देखना दिलचस्प होगा कि दक्षिण कोरिया के साथ होने वाली बातचीत किस दिशा में आगे बढ़ती है और क्या वहाँ की कंपनियों को भी जापान जैसी राहत मिल पाती है।
जापानी ऑटोमोबाइल पर टैरिफ में कटौती अमेरिका-जापान व्यापार संबंधों में एक नया अध्याय साबित होगी। इससे जहाँ जापानी कंपनियों को लाभ होगा,वहीं अमेरिकी उपभोक्ताओं को भी सस्ता विकल्प मिलेगा। दूसरी तरफ दक्षिण कोरिया अब भी इस राहत का इंतजार कर रहा है और उम्मीद की जा रही है कि जल्द ही उसके लिए भी सकारात्मक खबर सामने आएगी।

