कांग्रेस नेता राहुल गांधी (तस्वीर क्रेडिट@Sudhanshuz)

राहुल गांधी ने मतदाता सूची में फर्जीवाड़े का लगाया आरोप,कर्नाटक के आलंद निर्वाचन क्षेत्र में 6,018 वोट फर्जी तरीके से डिलीट करने का किया दावा

नई दिल्ली,18 सितंबर (युआईटीवी)- लोकसभा में नेता प्रतिपक्ष और कांग्रेस सांसद राहुल गांधी ने गुरुवार को एक प्रेस कॉन्फ्रेंस कर मतदाता सूची में बड़े पैमाने पर फर्जीवाड़े का आरोप लगाया। उन्होंने दावा किया कि कर्नाटक के आलंद निर्वाचन क्षेत्र में 6,018 वोट फर्जी तरीके से डिलीट किए गए हैं। राहुल ने इसे लोकतंत्र पर सीधा हमला बताते हुए कहा कि चुनाव आयोग की भूमिका संदिग्ध है और आयोग उन ताकतों की रक्षा कर रहा है जो भारतीय लोकतंत्र को कमजोर कर रही हैं।

प्रेस कॉन्फ्रेंस में राहुल गांधी ने कहा कि यह मामला केवल एक निर्वाचन क्षेत्र तक सीमित नहीं है,बल्कि यह युवाओं और आम मतदाताओं को दिखाने का उदाहरण है कि चुनावी प्रक्रिया को किस तरह हाईजैक किया जा रहा है। उन्होंने चुनाव आयुक्त ज्ञानेश कुमार पर भी गंभीर सवाल उठाते हुए दावा किया कि आयोग ऐसे लोगों की मदद कर रहा है,जिन्होंने चुनावी व्यवस्था को ध्वस्त करने का काम किया है।

राहुल गांधी ने विस्तार से बताया कि आलंद क्षेत्र में 6,018 वोट डिलीट किए गए, लेकिन वास्तविक संख्या इससे कहीं अधिक हो सकती है। उन्होंने कहा कि 2023 के चुनावों में कितने वोट डिलीट किए गए,यह आँकड़ा पूरी तरह से सामने नहीं आया है। यह मामला तब सामने आया,जब एक बूथ अधिकारी ने अपने ही रिश्तेदार का नाम मतदाता सूची से गायब पाया। उसने इसकी जाँच की तो पता चला कि उसके रिश्तेदार का वोट किसी और ने डिलीट कर दिया था। दिलचस्प बात यह रही कि न तो उस व्यक्ति को,जिसका वोट डिलीट हुआ और न ही जिसने डिलीट करने की प्रक्रिया पूरी की,दोनों को इसकी कोई जानकारी थी। राहुल गांधी ने इसे “चुनावी प्रक्रिया के अपहरण” जैसा मामला बताया।

कांग्रेस सांसद ने दावा किया कि मतदाताओं के नाम पर 6,018 आवेदन दाखिल किए गए,लेकिन जिन लोगों के नाम पर ये आवेदन दर्ज हुए,उन्होंने वास्तव में ऐसा कोई आवेदन कभी दिया ही नहीं। राहुल गांधी ने इस संदर्भ में कई उदाहरण भी पेश किए और सबूत दिखाने का दावा किया। उन्होंने कहा कि यह चुनावी प्रक्रिया की गंभीर खामियों और जानबूझकर की गई धांधली को उजागर करता है।

एक उदाहरण के रूप में राहुल गांधी ने गोदाबाई नामक एक महिला का मामला रखा। उन्होंने बताया कि गोदाबाई के नाम पर फर्जी लॉगिन तैयार किया गया और इस लॉगिन का इस्तेमाल करते हुए 12 वोटरों के नाम सूची से हटा दिए गए। खास बात यह रही कि गोदाबाई को इस पूरी प्रक्रिया की कोई जानकारी तक नहीं थी। राहुल गांधी ने कहा कि इस तरह की घटनाएँ बताती हैं कि मतदाताओं को उनकी बुनियादी संवैधानिक शक्ति से वंचित किया जा रहा है।

उन्होंने आगे आरोप लगाया कि वोट डिलीट करने के लिए जिन मोबाइल नंबरों का इस्तेमाल किया गया,वे कर्नाटक के नहीं बल्कि दूसरे राज्यों के थे। यानी बाहरी हस्तक्षेप के जरिए मतदाता सूची में हेरफेर किया गया। राहुल गांधी ने कहा कि खासतौर पर कांग्रेस समर्थक मतदाताओं को निशाना बनाया गया और जिन बूथों पर कांग्रेस मजबूत स्थिति में थी,वहाँ अधिकतर वोट डिलीट किए गए।

प्रेस कॉन्फ्रेंस के दौरान राहुल गांधी ने यह भी दावा किया कि इस फर्जीवाड़े में एक सेंट्रलाइज्ड सॉफ्टवेयर प्रोग्राम का इस्तेमाल किया गया। उन्होंने कहा कि यह कोई स्थानीय स्तर की गड़बड़ी नहीं,बल्कि एक सुनियोजित साजिश है,जिसका मकसद विपक्षी दलों के समर्थक मतदाताओं को चुनावी प्रक्रिया से बाहर करना है।

उन्होंने गोदाबाई के अलावा सूर्यकांत और नागराज जैसे कई अन्य व्यक्तियों के नाम भी सामने रखे,जिनके नाम पर इसी तरह की धोखाधड़ी की गई। राहुल गांधी ने कहा कि इस तरह के मामलों से साफ है कि मतदाता सूची से छेड़छाड़ का खेल व्यापक स्तर पर चल रहा है और यह केवल आलंद तक सीमित नहीं है।

राहुल गांधी ने सवाल उठाया कि अगर एक निर्वाचन क्षेत्र में हजारों वोट इस तरह डिलीट किए जा सकते हैं,तो पूरे देश में इसकी कितनी बड़ी परिमाण में संभावना है। उन्होंने कहा कि यह मामला केवल चुनावी प्रक्रिया का तकनीकी मुद्दा नहीं है,बल्कि यह लोकतंत्र और नागरिक अधिकारों से जुड़ा गंभीर संकट है।

कांग्रेस सांसद ने कहा कि इस तरह की धांधली से चुनावी प्रक्रिया की पारदर्शिता पर गहरा सवाल खड़ा होता है। उन्होंने चुनाव आयोग से माँग की कि इस पूरे मामले की स्वतंत्र जाँच कराई जाए और दोषियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाए। राहुल गांधी ने यह भी कहा कि अगर चुनाव आयोग इस दिशा में कोई कदम नहीं उठाता,तो यह साबित होगा कि वह लोकतंत्र की रक्षा के बजाय उसके खिलाफ काम कर रहा है।

उन्होंने कहा कि आज का यह खुलासा युवाओं और मतदाताओं को यह समझाने का प्रयास है कि लोकतंत्र की रक्षा करना केवल राजनीतिक दलों का काम नहीं,बल्कि हर नागरिक की जिम्मेदारी है। राहुल गांधी ने कहा कि अगर वोट डालने का अधिकार ही छीना जाने लगेगा,तो लोकतांत्रिक ढाँचे का अस्तित्व खतरे में पड़ जाएगा।

कांग्रेस सांसद ने यह भी कहा कि उनकी पार्टी इस मुद्दे को संसद से लेकर सड़क तक उठाएगी और जनता के बीच जाकर यह संदेश देगी कि लोकतंत्र को बचाने की जिम्मेदारी अब और भी बड़ी हो गई है। उन्होंने जोर देकर कहा कि “यह मामला केवल कांग्रेस का नहीं,बल्कि हर उस नागरिक का है,जो भारत के लोकतांत्रिक ढाँचे पर भरोसा करता है।”

राहुल गांधी के इस दावे से एक बार फिर चुनाव आयोग की कार्यप्रणाली पर बहस छिड़ गई है। हालाँकि,आयोग की ओर से अभी इस मामले पर कोई प्रतिक्रिया सामने नहीं आई है,लेकिन राहुल गांधी के आरोपों ने राजनीतिक हलकों में हलचल जरूर पैदा कर दी है और आने वाले दिनों में इस मुद्दे पर राजनीति और गरमा सकती है।

राहुल गांधी ने मतदाता सूची में हेरफेर को लेकर जो गंभीर आरोप लगाए हैं,वह भारतीय लोकतंत्र और चुनावी प्रक्रिया की पारदर्शिता को लेकर कई सवाल खड़े करते हैं। अब यह देखना होगा कि चुनाव आयोग इन दावों पर क्या कदम उठाता है और क्या वास्तव में इस पूरे मामले की निष्पक्ष जाँच हो पाती है या नहीं।