शी जिनपिंग और डोनाल्ड ट्रंप (तस्वीर क्रेडिट@JaiRam92739628)

टिकटॉक सौदे पर बनी सहमति: ट्रंप और जिनपिंग की फोन वार्ता से अमेरिका-चीन रिश्तों में नरमी के संकेत

वाशिंगटन,20 सितंबर (युआईटीवी)- अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप और चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग के बीच हुई फोन वार्ता ने वैश्विक सुर्खियां बटोरी हैं। शुक्रवार को दोनों नेताओं के बीच हुई बातचीत न केवल टिकटॉक के भविष्य को लेकर अहम रही,बल्कि इसमें व्यापार,अंतर्राष्ट्रीय सुरक्षा और भू-राजनीतिक मुद्दों पर भी चर्चा हुई। इस वार्ता का सबसे बड़ा नतीजा यह रहा कि राष्ट्रपति जिनपिंग ने टिकटॉक सौदे को मंजूरी दे दी,जिससे इस लोकप्रिय सोशल मीडिया ऐप को अमेरिका में संचालन जारी रखने की अनुमति मिल गई। लंबे समय से टिकटॉक को लेकर अमेरिका और चीन के बीच तनाव बना हुआ था,लेकिन इस ताज़ा समझौते ने माहौल को कुछ हद तक सहज करने का काम किया है।

राष्ट्रपति ट्रंप ने इस वार्ता के बाद अपने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म ट्रुथ सोशल पर जानकारी साझा करते हुए कहा कि उन्होंने जिनपिंग से बेहद उपयोगी बातचीत की। ट्रंप ने लिखा, “हमने व्यापार,फेंटेनाइल की समस्या,रूस-यूक्रेन युद्ध को समाप्त करने की आवश्यकता और टिकटॉक सौदे पर सहमति सहित कई महत्वपूर्ण मुद्दों पर प्रगति की है।” ट्रंप ने जिनपिंग की स्वीकृति की सराहना करते हुए इसे सकारात्मक संकेत बताया और साथ ही यह भी घोषणा की कि वे अगले महीने दक्षिण कोरिया में होने वाले एशिया-प्रशांत आर्थिक सहयोग (अपेक) शिखर सम्मेलन में जिनपिंग से मुलाकात करेंगे। ट्रंप ने आगे यह भी कहा कि वह अगले वर्ष की शुरुआत में चीन जाएँगे,जबकि राष्ट्रपति शी जिनपिंग भी उचित समय पर अमेरिका की यात्रा करेंगे।

चीनी पक्ष से भी इस वार्ता को “व्यावहारिक, सकारात्मक और रचनात्मक” बताया गया। बीजिंग से आए बयानों में कहा गया कि राष्ट्रपति जिनपिंग ने स्पष्ट किया है कि चीन कंपनियों की इच्छाओं का सम्मान करता है और यह चाहता है कि वाणिज्यिक वार्ता बाजार के नियमों और पारदर्शिता पर आधारित हो। जिनपिंग ने जोर देकर कहा कि चीन हमेशा उन समाधानों का समर्थन करेगा जो चीनी कानूनों और विनियमों का पालन करते हुए दोनों पक्षों के हितों में संतुलन बनाए रखते हैं। उन्होंने उम्मीद जताई कि अमेरिका चीनी कंपनियों के लिए अपने दरवाजे खुले रखेगा और उन्हें निष्पक्ष तथा गैर-भेदभावपूर्ण कारोबारी माहौल प्रदान करेगा।

टिकटॉक का मामला पिछले कई वर्षों से अमेरिका और चीन के बीच विवाद का कारण रहा है। अमेरिकी प्रशासन का आरोप रहा है कि इस ऐप के जरिए चीन अमेरिकी नागरिकों के डेटा तक पहुँच बना सकता है,जो राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए खतरा हो सकता है। ट्रंप प्रशासन ने पहले भी इस ऐप को अमेरिका से प्रतिबंधित करने की धमकी दी थी। वहीं चीन लगातार इस बात से इनकार करता रहा है कि टिकटॉक किसी भी प्रकार की जासूसी गतिविधि में शामिल है। अब दोनों देशों के बीच हुए इस समझौते को उस लंबे गतिरोध का समाधान माना जा रहा है।

इस समझौते की रूपरेखा इस सप्ताह की शुरुआत में स्पेन की राजधानी मैड्रिड में दो दिनों तक चली बातचीत के बाद तैयार की गई। अमेरिकी पक्ष का नेतृत्व वित्त मंत्री स्कॉट बेसेंट और व्यापार प्रतिनिधि जेमीसन ग्रीर ने किया,जबकि चीनी पक्ष से उप प्रधान मंत्री ही लाइफेंग और वरिष्ठ व्यापार वार्ताकार ली चेंगगांग शामिल हुए। चर्चाओं के बाद वित्त मंत्री बेसेंट ने कहा, “हमारे पास टिकटॉक सौदे के लिए एक रूपरेखा तैयार हो गई है। दोनों पक्ष सहमत हैं,हालाँकि,समझौते का विस्तृत विवरण अभी जारी नहीं किया गया है।”

यह वार्ता सिर्फ टिकटॉक तक सीमित नहीं रही। ट्रंप और जिनपिंग ने रूस और यूक्रेन के बीच चल रहे युद्ध को लेकर भी विचार साझा किए। दोनों नेताओं ने माना कि इस संघर्ष को समाप्त करना वैश्विक शांति और स्थिरता के लिए आवश्यक है। इसके अलावा फेंटेनाइल जैसी खतरनाक दवाओं की तस्करी को रोकने पर भी चर्चा हुई,जो अमेरिका में एक गंभीर सामाजिक संकट का रूप ले चुकी है। ट्रंप ने इस मुद्दे पर भी चीन के सहयोग की उम्मीद जताई।

विशेषज्ञों का मानना है कि टिकटॉक सौदे पर बनी सहमति दोनों देशों के बीच तनाव कम करने की दिशा में पहला कदम है। पिछले कुछ वर्षों में अमेरिका और चीन के रिश्ते व्यापार युद्ध,तकनीकी प्रतिबंधों और सुरक्षा चिंताओं के चलते काफी खराब हुए थे। टिकटॉक जैसे मुद्दों पर समझौता दोनों देशों के बीच विश्वास बहाली का संकेत हो सकता है। हालाँकि,यह भी सच है कि गहरी रणनीतिक प्रतिस्पर्धा की वजह से रिश्तों में पूरी तरह से सुधार की संभावना अभी दूर की कौड़ी लगती है।

ट्रंप प्रशासन के लिए यह उपलब्धि घरेलू राजनीति में भी अहम है। टिकटॉक अमेरिका में बेहद लोकप्रिय है और इसे प्रतिबंधित करने की संभावना ने लाखों युवाओं को निराश कर दिया था। ऐसे में इसका संचालन जारी रखना ट्रंप की छवि को भी मजबूत करेगा। वहीं चीन इस सौदे के जरिए यह संदेश देना चाहता है कि वह वैश्विक स्तर पर सहयोग और आपसी सम्मान के आधार पर आगे बढ़ना चाहता है।

अब निगाहें दक्षिण कोरिया में होने वाले एपीईसी शिखर सम्मेलन पर टिकी हैं,जहाँ दोनों नेता आमने-सामने मिलेंगे। यह बैठक न केवल टिकटॉक समझौते को आगे बढ़ाने में मदद कर सकती है,बल्कि अन्य विवादास्पद मुद्दों पर भी ठोस परिणाम ला सकती है। इसके अलावा ट्रंप की प्रस्तावित चीन यात्रा और जिनपिंग की अमेरिका यात्रा से भी संकेत मिलता है कि दोनों देश कम से कम संवाद बनाए रखने के इच्छुक हैं।

टिकटॉक सौदे की मंजूरी केवल एक व्यावसायिक समझौता नहीं है,बल्कि यह अमेरिका और चीन के बीच बदलते समीकरणों का प्रतीक भी है। इसने यह साफ कर दिया है कि तमाम मतभेदों के बावजूद दोनों महाशक्तियाँ ऐसे मुद्दों पर सहयोग करना चाहती हैं,जहाँ उनके हित आपस में टकराने की बजाय मेल खाते हैं। आने वाले महीनों में यह देखना दिलचस्प होगा कि क्या यह सौदा दोनों देशों के रिश्तों में नई शुरुआत का आधार बनता है या फिर यह केवल अस्थायी राहत साबित होता है।