जीएसटी

नया जीएसटी सिस्टम लागू,रोजमर्रा की चीजों से लेकर लाइफ सेविंग दवाओं तक हुआ बड़ा बदलाव,लगभग 370 उत्पादों के दाम घटे

नई दिल्ली,22 सितंबर (युआईटीवी)- भारत में सोमवार से नया गुड्स एंड सर्विस टैक्स (जीएसटी) सिस्टम लागू हो गया है। लंबे समय से चली आ रही चर्चाओं और तैयारियों के बाद सरकार ने इस व्यापक सुधार को लागू कर दिया है,जिसका सीधा असर आम लोगों की जेब और उद्योग जगत पर पड़ेगा। नए जीएसटी ढाँचे के तहत रोजमर्रा की जरूरत की वस्तुओं से लेकर जीवन रक्षक दवाओं तक पर कर दरों में भारी कटौती की गई है। वित्त मंत्रालय का कहना है कि इन सुधारों का मकसद उपभोक्ताओं की डिस्पोजेबल इनकम को बढ़ाना है,ताकि अर्थव्यवस्था में माँग और निवेश दोनों को नई गति मिल सके।

केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने घोषणा करते हुए कहा कि नए सिस्टम से उपभोक्ताओं को सीधा फायदा होगा और इससे अर्थव्यवस्था में लगभग दो लाख करोड़ रुपये का अतिरिक्त निवेश आने की संभावना है। उन्होंने बताया कि सरकार का उद्देश्य कर प्रणाली को अधिक पारदर्शी और जनोन्मुखी बनाना है।

नई कर व्यवस्था में 370 से अधिक उत्पादों पर टैक्स दरें घटाई गई हैं। सबसे बड़ा लाभ उपभोक्ताओं को रोजमर्रा की जरूरत की चीजों और खाद्य पदार्थों में मिलेगा। अब अल्ट्रा-हाई टेम्परेचर दूध,पैकेज्ड पनीर और छेना,पिज़्ज़ा ब्रेड,खाखरा,चपाती और रोटी जैसे आइटम्स पूरी तरह जीरो टैक्स श्रेणी में आ गए हैं। इसका मतलब है कि इन उत्पादों पर उपभोक्ताओं को कोई अतिरिक्त जीएसटी नहीं चुकाना होगा। मक्खन,बिस्कुट,कंडेंस्ड मिल्क,नमकीन,जैम,केचप,जूस,घी,आइसक्रीम और सॉसेज जैसे कई उपभोक्ता सामानों पर भी कर दरें घटाई गई हैं,जिससे बाजार में इनकी कीमतों में कमी देखी जाएगी।

लाइफ सेविंग दवाओं को लेकर भी बड़ा कदम उठाया गया है। कैंसर और दुर्लभ बीमारियों के इलाज में इस्तेमाल होने वाली 33 महत्वपूर्ण दवाओं और थेरेपी को पूरी तरह जीएसटी से बाहर कर दिया गया है। इसके अलावा,अन्य कई दवाओं पर भी टैक्स को 12 प्रतिशत से घटाकर जीरो कर दिया गया है। डायग्नोस्टिक किट और ग्लूकोमीटर जैसे जरूरी मेडिकल उपकरणों पर अब केवल 5 प्रतिशत कर लागू होगा। इसका फायदा सीधे उन मरीजों और परिवारों को मिलेगा,जो लंबे समय से महँगे इलाज और दवाओं की लागत से जूझ रहे थे।

शिक्षा क्षेत्र के लिए भी यह सुधार राहत लेकर आया है। अब इरेजर,पेंसिल,शार्पनर, क्रेयॉन,ग्राफ बुक और नक्शे जैसे स्टेशनरी सामानों पर कर को घटाकर 5 प्रतिशत कर दिया गया है। इसका असर स्कूल और कॉलेज के छात्रों के खर्चों पर पड़ेगा और शिक्षा सामग्री अपेक्षाकृत सस्ती हो जाएगी।

नया जीएसटी सिस्टम उपभोक्ता वस्तुओं के अलावा हाउसिंग और कंस्ट्रक्शन सेक्टर को भी राहत देता है। सीमेंट पर कर दर को 28 प्रतिशत से घटाकर 18 प्रतिशत कर दिया गया है। विशेषज्ञों का कहना है कि इस कदम से रियल एस्टेट क्षेत्र को गति मिलेगी और मकानों की कीमतों में कुछ कमी आएगी। इससे घर खरीदने वालों और डेवलपर्स दोनों को फायदा होगा।

सेवा क्षेत्र में भी जीएसटी दरों को तर्कसंगत बनाया गया है। अब हेयरकट,सैलून ट्रीटमेंट,योगा क्लास,जिम और हेल्थ क्लब जैसी सेवाओं पर पहले से कम दरें लागू होंगी। इससे आम आदमी के खर्च में कमी आएगी और इन सेवाओं की पहुँच अधिक लोगों तक हो सकेगी। इसी तरह,साबुन,शैम्पू,हेयर ऑयल,फेस क्रीम और शेविंग क्रीम जैसे पर्सनल केयर उत्पाद भी जीरो टैक्स कैटेगरी में शामिल कर दिए गए हैं,जिससे दैनिक उपयोग की वस्तुएँ और किफायती हो जाएँगी।

इलेक्ट्रॉनिक्स और घरेलू उपकरणों की कीमतों पर भी असर देखने को मिलेगा। अब एयर कंडीशनर,टेलीविजन,वॉशिंग मशीन और डिशवॉशर जैसे सामानों पर जीएसटी को 28 प्रतिशत से घटाकर 18 प्रतिशत कर दिया गया है। सरकार का कहना है कि इस कदम से मध्यम वर्ग को राहत मिलेगी और घरेलू उपभोक्ताओं की क्रय शक्ति बढ़ेगी।

हालाँकि,राजस्व की कमी की भरपाई के लिए सरकार ने लग्जरी और सिन गुड्स पर कर बढ़ा दिया है। अब 40 प्रतिशत टैक्स इन वस्तुओं पर लागू होगा। इसमें महँगी गाड़ियाँ भी शामिल हैं। 1,200 सीसी से अधिक पेट्रोल इंजन वाली और 1,500 सीसी से अधिक डीजल इंजन वाली,साथ ही 4 मीटर से बड़ी स्पोर्ट यूटिलिटी और मल्टीपर्पस गाड़ियाँ इस श्रेणी में रखी गई हैं। इसका मतलब है कि लग्जरी गाड़ियों की कीमतें अब और बढ़ेंगी।

नई व्यवस्था में सरकार ने सेस को भी जीएसटी में शामिल कर लिया है,जिससे कर संग्रहण अधिक सरल और एकीकृत होगा। विशेषज्ञों का मानना है कि यह कदम भारतीय टैक्स प्रणाली को वैश्विक मानकों के अनुरूप बनाने की दिशा में एक और बड़ा सुधार है।

नए जीएसटी ढाँचे का असर अगले कुछ हफ्तों में बाजारों और उपभोक्ताओं की जेब पर दिखना शुरू होगा। जहाँ आम आदमी के लिए यह राहत का संदेश लेकर आया है,वहीं उद्योग जगत के लिए यह उत्पादन और निवेश बढ़ाने का अवसर प्रदान करता है। सरकार को उम्मीद है कि कर दरों में इस बड़े बदलाव से न केवल खपत में बढ़ोतरी होगी,बल्कि अर्थव्यवस्था में रोजगार और विकास की नई संभावनाएँ भी पैदा होंगी।