जुबिन गर्ग की विदाई से गमगीन हुआ असम (तस्वीर क्रेडिट@PrakashD22)

जुबिन गर्ग की विदाई से गमगीन हुआ असम,लाखों प्रशंसकों की आँखें नम

गुवाहाटी,22 सितंबर (युआईटीवी)- असम के मशहूर गायक और संगीतकार जुबिन गर्ग के निधन की खबर ने पूरे राज्य ही नहीं,बल्कि पूरे देश को गहरे शोक में डुबो दिया है। उन्हें असम की आत्मा की आवाज कहा जाता था और उनके गानों ने न सिर्फ असमिया बल्कि हिंदी,बांग्ला और कई भाषाओं में करोड़ों लोगों के दिलों को छुआ था। शुक्रवार को सिंगापुर में हुए हादसे में उनका निधन हो गया था। इस दुखद घटना ने संगीत जगत को अपूर्णीय क्षति पहुँचाई है। शनिवार रात को उनका पार्थिव शरीर दिल्ली लाया गया,जहाँ मुख्यमंत्री हिमंता बिस्व सरमा खुद एयरपोर्ट पर मौजूद रहे और गायक को श्रद्धांजलि अर्पित की। इसके बाद रविवार सुबह उनका पार्थिव शरीर गुवाहाटी पहुँचा।

गुवाहाटी एयरपोर्ट पर जैसे ही विमान उतरा,माहौल भावुक हो उठा। सुबह लगभग सात बजे जब जुबिन गर्ग का ताबूत असम की धरती पर आया तो हजारों की भीड़ एयरपोर्ट के बाहर और अंदर उमड़ पड़ी। हर किसी की आँखें नम थीं और चेहरे पर अपने चहेते कलाकार को आखिरी बार देखने की ललक साफ झलक रही थी। एयरपोर्ट से लेकर उनके काहिलीपारा स्थित घर तक के रास्ते में हजारों लोग सड़क के दोनों ओर खड़े थे। वे फूल बरसा रहे थे,हाथों में उनकी तस्वीरें और बैनर लिए हुए थे और जुबिन के लोकप्रिय गीत गाकर उन्हें विदा कर रहे थे। यह दृश्य असम की सांस्कृतिक आत्मा को दर्शा रहा था,जिसने अपने एक महान कलाकार को खो दिया।

जुबिन की पत्नी गरिमा सैकिया गर्ग एयरपोर्ट पर बेहद भावुक हो गईं। जब उन्होंने ताबूत पर पहली नजर डाली तो अपने आंसुओं को रोक नहीं पाईं। उन्होंने असम की परंपरा के अनुसार ताबूत पर गमोसा और फूल अर्पित किए। यह क्षण वहाँ मौजूद हर किसी को रुला गया। इसके बाद वे एंबुलेंस के साथ अंतिम यात्रा में शामिल हुईं,जो हजारों की भीड़ के बीच से गुजरती हुई उनके घर तक पहुँची। इस यात्रा में लोगों की भीड़ ने स्पष्ट कर दिया कि जुबिन गर्ग केवल एक गायक नहीं थे,बल्कि असम की आत्मा के प्रतीक थे।

राज्य सरकार ने उनके निधन को बड़ी क्षति मानते हुए विशेष प्रबंध किए हैं। सोमवार को गुवाहाटी के सरुसजाई स्पोर्ट्स कॉम्प्लेक्स में उनका पार्थिव शरीर रखा जाएगा,ताकि लाखों प्रशंसक उन्हें श्रद्धांजलि अर्पित कर सकें। वहीं,मंगलवार को गुवाहाटी के बाहरी इलाके सोनापुर में उनका अंतिम संस्कार किया जाएगा। यह निर्णय राज्य सरकार ने उनके परिवार से चर्चा करने के बाद लिया है।

जुबिन गर्ग की अंतिम यात्रा में राज्य सरकार और प्रशासन के कई वरिष्ठ अधिकारी भी मौजूद रहे। मुख्यमंत्री हिमंता बिस्व सरमा के अलावा केंद्रीय मंत्री पबित्रा मार्गेरिटा,असम पुलिस के महानिदेशक हरमीत सिंह और गुवाहाटी पुलिस कमिश्नर पार्थसारथी महंत ने इस भावुक यात्रा में शामिल होकर उन्हें श्रद्धांजलि दी। सरकार और जनता दोनों की ओर से जिस तरह का सम्मान उन्हें मिला,उसने साबित कर दिया कि जुबिन गर्ग केवल एक कलाकार नहीं,बल्कि असम के गौरव और पहचान थे।

संगीत जगत में जुबिन गर्ग की यात्रा असम के छोटे शहर से शुरू होकर राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय मंचों तक पहुँची। उनकी आवाज में एक ऐसी जादुई शक्ति थी,जो हर वर्ग और हर उम्र के लोगों को आकर्षित करती थी। चाहे वह असमिया गीत हों या हिंदी फिल्मी गाने,हर जगह उनकी अद्वितीय शैली और भावनात्मक गहराई ने उन्हें एक अलग पहचान दिलाई। वे गायक ही नहीं,बल्कि संगीतकार और अभिनेता भी थे। उनकी बहुमुखी प्रतिभा ने उन्हें असमिया समाज में एक जीवित किंवदंती बना दिया था।

उनके निधन से पैदा हुए खालीपन को भर पाना आसान नहीं होगा। असम के गाँव-गाँव और शहर-शहर में इस खबर के बाद शोक की लहर दौड़ गई। लोग उनके गाने बजाकर और मोमबत्तियाँ जलाकर उन्हें याद कर रहे हैं। सोशल मीडिया पर भी श्रद्धांजलियों की बाढ़ आ गई है। हर कोई यही कह रहा है कि जुबिन गर्ग असम की आत्मा थे और उनकी आवाज हमेशा जिंदा रहेगी।

जुबिन गर्ग का जीवन और करियर इस बात का प्रमाण था कि कला और संस्कृति लोगों के दिलों को जोड़ने का सबसे बड़ा माध्यम है। वे केवल गायक नहीं,बल्कि भावनाओं के वाहक थे। उन्होंने अपने गीतों के जरिए प्रेम,पीड़ा,आशा और आस्था जैसी मानवीय भावनाओं को आवाज दी। यही कारण है कि उनके प्रशंसक उन्हें सिर्फ एक कलाकार नहीं,बल्कि अपना परिवार समझते थे।

जुबिन गर्ग की असम से लेकर पूरे भारत में लोकप्रियता इस बात का प्रतीक है कि उन्होंने अपनी मिट्टी की खुशबू को अपने गीतों में समेटा और उसे दुनिया तक पहुँचाया। उनकी विदाई ने असम को एक गहरी उदासी में डाल दिया है,लेकिन साथ ही यह विश्वास भी दिया है कि उनकी आवाज हमेशा गूँजती रहेगी।