नई दिल्ली,23 सितंबर (युआईटीवी)- एमिरेट्स एयरलाइंस की एक उड़ान में अप्रत्याशित ड्रामा देखने को मिला,जब कई भारतीय यात्री पूर्व अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प द्वारा एच-1बी वीजा आवेदनों के लिए शुल्क बढ़ाने के नवीनतम कार्यकारी आदेश की घोषणा के बाद विरोध स्वरूप विमान से उतर गए।
यह घटना विमान में चढ़ने के कुछ ही देर बाद हुई,जब कुशल कामगारों के लिए आव्रजन मानदंडों को कड़ा करने के उद्देश्य से एच-1बी शुल्क में भारी वृद्धि की खबर आई। इस कदम को भारतीय आईटी पेशेवरों पर सीधा असर डालने वाला माना जा रहा है। काम के सिलसिले में अमेरिका जा रहे कई यात्रियों ने अचानक पड़े वित्तीय बोझ और अपनी नौकरी के अवसरों पर पड़ने वाले संभावित खतरे को लेकर गुस्सा और अनिश्चितता व्यक्त की।
प्रत्यक्षदर्शियों ने बताया कि कुछ यात्रियों ने एयरलाइन कर्मचारियों से बहस की और इस बात पर अड़े रहे कि वे इन परिस्थितियों में यात्रा जारी नहीं रखना चाहते। विमान से उतरने के उनके फैसले के कारण विमान में काफी देरी हुई,जिससे एयरलाइन को सुरक्षा प्रोटोकॉल और सामान की निकासी की पूरी प्रक्रिया दोबारा से करनी पड़ी।
यह उड़ान मूलतः दुबई से न्यूयॉर्क के लिए रवाना होने वाली थी,लेकिन उड़ान भरने से पहले इसमें लगभग तीन घंटे की देरी हो गई।
ट्रंप के इस कदम ने भारत में एक नई बहस छेड़ दी है,उद्योग विशेषज्ञों ने चेतावनी दी है कि शुल्क वृद्धि प्रतिभाओं की गतिशीलता को हतोत्साहित कर सकती है और उन आईटी कंपनियों को प्रभावित कर सकती है,जो एच-1बी वीज़ा के तहत कर्मचारियों को अमेरिका भेजने पर बहुत अधिक निर्भर हैं। अमेरिका लंबे समय से भारत की आईटी सेवाओं का सबसे बड़ा बाजार रहा है और इस अचानक नीतिगत बदलाव ने एक बार फिर अमेरिकी राजनीतिक फैसलों के प्रति भारतीय पेशेवरों की संवेदनशीलता को उजागर किया है।
एमिरेट्स एयरलाइंस की घटना कुशल श्रमिकों और पेशेवरों के बीच बढ़ती चिंता को दर्शाती है,जिनमें से कई विदेश में अपने करियर के भविष्य को लेकर अनिश्चित हैं।