इंदौर,23 सितंबर (युआईटीवी)- इंदौर शहर के व्यस्ततम क्षेत्रों में से एक विजय नगर सोमवार शाम अचानक अफरातफरी के माहौल में बदल गया,जब एक बहुमंजिला व्यावसायिक इमारत का हिस्सा भरभराकर गिर पड़ा। इस भयावह हादसे में कुल 14 लोग घायल हो गए,जिनमें तीन की हालत गंभीर बताई जा रही है। बाकी घायलों को मामूली से मध्यम चोटें आई हैं। हादसे के बाद आसपास के इलाके में चीख-पुकार मच गई और लोग अपनी जान बचाने के लिए इधर-उधर भागने लगे।
प्रत्यक्षदर्शियों के अनुसार,इमारत का हिस्सा गिरने से पहले अचानक जोरदार धमाके जैसी आवाज हुई। उसके बाद धूल और मलबे का एक बड़ा गुबार पूरे इलाके में फैल गया। लोग कुछ समझ पाते,इससे पहले ही कई राहगीर और इमारत के अंदर मौजूद लोग मलबे के नीचे दब गए। स्थानीय दुकानदार रमेश पटेल ने बताया, “यह बहुत डरावना था। लोग चिल्ला रहे थे और अपनी जान बचाने के लिए भाग रहे थे। कई लोग मलबे में फँस गए और हममें से कुछ ने तुरंत पुलिस और बचाव दल को फोन किया।”
घटना के तुरंत बाद जिला प्रशासन,पुलिस और एनडीआरएफ की टीमें मौके पर पहुँचीं और बचाव कार्य शुरू कर दिया गया। देर रात तक राहत अभियान जारी रहा। जीवित बचे लोगों को खोजने के लिए डॉग स्क्वायड और थर्मल इमेजिंग उपकरणों का इस्तेमाल किया गया। अब तक की जानकारी के अनुसार, 14 घायलों को एमवाई अस्पताल में भर्ती कराया गया है। इनमें से तीन लोग गंभीर रूप से घायल हैं और उन्हें आईसीयू में रखा गया है,जबकि बाकी मरीज खतरे से बाहर बताए जा रहे हैं।
प्रशासन का कहना है कि दो और लोगों के मलबे में फँसे होने की आशंका है,जिनकी तलाश जारी है। बचावकर्मियों ने रातभर काम करते हुए भारी मशीनों की मदद से मलबा हटाने की कोशिश की। इस दौरान मौके पर मौजूद पुलिस और प्रशासनिक अधिकारियों ने आसपास के लोगों से इलाके को खाली करने की अपील की,ताकि किसी तरह की और जानमाल की हानि न हो।
हादसे के कारणों को लेकर फिलहाल जाँच जारी है। प्रारंभिक जाँच में जो बातें सामने आई हैं,उनसे यह संकेत मिलते हैं कि इमारत के ढहने के पीछे बिना अनुमति किए गए निर्माण कार्य या संरचना में बदलाव हो सकता है। विशेषज्ञों का मानना है कि रखरखाव की कमी और निर्माण मानकों की अनदेखी भी इस त्रासदी के पीछे की वजह हो सकती है।
इमारत की सुरक्षा को लेकर पब्लिक वर्क्स डिपार्टमेंट (पीडब्ल्यूडी) और इंदौर डेवलपमेंट अथॉरिटी (आईडीए) की संयुक्त टीम ने स्ट्रक्चरल ऑडिट शुरू कर दिया है। इस ऑडिट के तहत न केवल ढही हुई इमारत की जाँच होगी,बल्कि आसपास मौजूद इमारतों की भी स्थिति का आकलन किया जाएगा। अधिकारियों ने बताया कि हादसे वाली इमारत को सील कर दिया गया है और सुरक्षा की दृष्टि से आसपास की अन्य इमारतों को खाली कराया गया है।
इंदौर के कलेक्टर आशीष सिंह ने मीडिया से बातचीत में कहा, “हमने इस घटना की उच्चस्तरीय जाँच के आदेश दे दिए हैं। दोषियों की पहचान की जाएगी और उनके खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाएगी। किसी भी कीमत पर लापरवाही बर्दाश्त नहीं की जाएगी।” उन्होंने यह भी भरोसा दिलाया कि घायलों के इलाज में किसी तरह की कमी नहीं छोड़ी जाएगी और प्रशासन उनकी हर संभव मदद करेगा।
इस हादसे ने एक बार फिर इंदौर जैसे तेजी से बढ़ते शहरों में भवन निर्माण नियमों के पालन पर सवाल खड़े कर दिए हैं। शहर में तेजी से हो रहे विकास और व्यावसायिक गतिविधियों के बीच कई बार भवन सुरक्षा और गुणवत्ता से जुड़ी अनदेखी देखने को मिलती है। स्थानीय नागरिकों और विशेषज्ञों का कहना है कि कई इमारतों में बिना अनुमति संरचना में बदलाव कर दिए जाते हैं,जिससे उनकी नींव और स्थायित्व पर खतरा मंडराने लगता है। यही वजह है कि ऐसे हादसे सामने आते रहते हैं।
शहर के अधिकारियों ने भी इस घटना के बाद चेतावनी दी है कि अगर किसी इमारत में दरारें या संरचनात्मक कमजोरी नजर आए,तो तुरंत प्रशासन को सूचित किया जाए। अधिकारियों का कहना है कि नागरिकों की सतर्कता ही भविष्य में ऐसे हादसों से बचाव का एक बड़ा उपाय है।
इस हादसे ने न केवल घायल परिवारों को गहरा सदमा पहुँचाया है,बल्कि पूरे शहर को यह सोचने पर मजबूर कर दिया है कि आखिर विकास की रफ्तार और भवन निर्माण के नाम पर कितनी सुरक्षा मानकों की बलि दी जा रही है। फिलहाल बचाव अभियान जारी है और पूरे शहर की नजरें प्रशासन की जाँच रिपोर्ट पर टिकी हुई हैं। लोग उम्मीद कर रहे हैं कि इस बार दोषियों पर सख्त कार्रवाई होगी और भविष्य में इंदौर जैसे शहरों में सुरक्षित भवन निर्माण सुनिश्चित किया जाएगा।
विजय नगर का यह हादसा एक सबक है कि शहरीकरण की दौड़ में अगर सुरक्षा और नियमों की अनदेखी की गई,तो उसका खामियाजा आम नागरिकों को अपनी जान और संपत्ति से चुकाना पड़ सकता है। इस घटना के बाद जरूरी है कि स्थानीय प्रशासन और जनता दोनों ही मिलकर ऐसी लापरवाहियों पर अंकुश लगाएँ और आने वाले कल के लिए सुरक्षित इंदौर की दिशा में कदम बढ़ाएँ।