नई दिल्ली,23 सितंबर (युआईटीवी)- भारतीय दूरसंचार नियामक प्राधिकरण (ट्राई) ने मंगलवार को टेलीकम्युनिकेशन (ब्रॉडकास्टिंग और केबल) सर्विसेज इंटरकनेक्शन (एड्रेसेबल सिस्टम्स) (सातवां संशोधन) रेगुलेशन, 2025 का ड्राफ्ट जारी किया, जिससे ब्रॉडकास्टिंग और केबल डिस्ट्रीब्यूशन इंडस्ट्री में अहम बदलाव की शुरुआत मानी जा रही है। यह संशोधन न केवल पारदर्शिता को बढ़ावा देने के लिए लाया गया है,बल्कि ऑडिट,अनुपालन और इंफ्रास्ट्रक्चर-शेयरिंग से जुड़े नियमों को भी और सख्त बनाने का उद्देश्य रखता है। संचार मंत्रालय का मानना है कि इन बदलावों से ब्रॉडकास्टर और डिस्ट्रीब्यूटर के बीच पारस्परिक संबंधों को और अधिक जिम्मेदार तथा व्यवस्थित बनाया जा सकेगा।
इस संशोधन का आधार 9 अगस्त,2024 को जारी किया गया कंसल्टेशन पेपर है,जिसमें ट्राई ने हितधारकों से राय माँगी थी। यह पेपर टेलीकम्युनिकेशन (ब्रॉडकास्टिंग और केबल) सर्विसेज इंटरकनेक्शन (एड्रेसेबल सिस्टम्स) रेगुलेशन, 2017 और टेलीकम्युनिकेशन (ब्रॉडकास्टिंग और केबल) सर्विसेज डिजिटल एड्रेसेबल सिस्टम्स ऑडिट मैनुअल से संबंधित प्रावधानों पर केंद्रित था। इसके जरिए ट्राई ने यह समझने की कोशिश की थी कि मौजूदा ढाँचे में कौन सी खामियाँ हैं और उन्हें सुधारने के लिए कौन से कदम उठाए जाने चाहिए।
अब जबकि सातवां संशोधन ड्राफ्ट जारी किया जा चुका है,ट्राई ने 6 अक्टूबर, 2025 तक आम जनता और इंडस्ट्री के अन्य हितधारकों से सुझाव माँगें हैं। इसके बाद,सभी सुझावों और टिप्पणियों को शामिल करते हुए अंतिम रूप तैयार किया जाएगा। प्रस्तावित संशोधन 1 अप्रैल, 2026 से लागू होने का लक्ष्य रखता है।
ड्राफ्ट में सबसे बड़ा बदलाव ऑडिट प्रक्रिया से जुड़ा हुआ है। अभी तक ऑडिट कैलेंडर वर्ष के आधार पर किया जाता था,लेकिन अब इसे वित्त वर्ष के आधार पर करने का प्रावधान किया गया है। इसका उद्देश्य है कि वित्तीय रिकॉर्ड और ऑडिट प्रक्रिया में सामंजस्य स्थापित हो और रिपोर्टिंग के दौरान पारदर्शिता बनी रहे। इसके तहत हर डिस्ट्रीब्यूटर को हर साल 30 सितंबर तक ऑडिट रिपोर्ट तैयार करके सभी ब्रॉडकास्टरों के साथ साझा करनी होगी। यह रिपोर्ट केवल ट्राई से मान्यता प्राप्त ऑडिटर या फिर ब्रॉडकास्ट इंजीनियरिंग कंसल्टेंट्स इंडिया लिमिटेड (बीईसीआईएल) द्वारा प्रमाणित होनी चाहिए।
इसके अलावा,पारदर्शिता को और मजबूत करने के लिए यह भी प्रस्तावित किया गया है कि डिस्ट्रीब्यूटर ब्रॉडकास्टर को ऑडिट शेड्यूल और नियुक्त ऑडिटर का नाम कम-से-कम 30 दिन पहले सूचित करें। इस कदम से ब्रॉडकास्टर को भी यह आश्वासन मिलेगा कि ऑडिट निष्पक्ष और समयबद्ध तरीके से किया जा रहा है। साथ ही,सटीक सब्सक्राइबर रिपोर्टिंग सुनिश्चित करने के लिए ब्रॉडकास्टर की निगरानी प्रणाली को भी सशक्त किया गया है।
ड्राफ्ट रेगुलेशन में यह भी साफ कहा गया है कि यदि कोई डिस्ट्रीब्यूटर 30 सितंबर तक ऑडिट पूरा नहीं करता है,तो उसे जुर्माना भरना होगा। यह प्रावधान विवादों और देरी से बचने के लिए लाया गया है। समय सीमा का स्पष्ट निर्धारण करने से यह सुनिश्चित होगा कि सभी संबंधित पक्ष नियमों का पालन करें और किसी प्रकार की लापरवाही न बरतें।
इस ड्राफ्ट में इंफ्रास्ट्रक्चर-शेयरिंग से संबंधित प्रावधान भी शामिल हैं। इंडस्ट्री एक्सपर्ट्स का मानना है कि इससे न केवल लागत में कमी आएगी,बल्कि सेवाओं की गुणवत्ता और उपलब्धता भी बेहतर होगी। जैसे-जैसे भारत में डिजिटल कंटेंट की माँग बढ़ रही है,वैसे-वैसे प्रसारण और वितरण चैनलों पर दबाव भी बढ़ा है। ऐसे में,इस तरह के नियामक सुधार इंडस्ट्री को भविष्य के लिए तैयार करने में मददगार साबित होंगे।
ट्राई ने यह भी स्पष्ट किया है कि यह ड्राफ्ट रेगुलेशन अंतिम नहीं है। इसका उद्देश्य केवल हितधारकों से सुझाव और टिप्पणियाँ प्राप्त करना है। संचार मंत्रालय ने कहा है कि आम जनता और इंडस्ट्री बॉडी के विचार इस प्रक्रिया में अहम भूमिका निभाएँगे। विशेषकर वे कंपनियाँ और संस्थान जो प्रसारण और वितरण से प्रत्यक्ष रूप से जुड़े हुए हैं,उनके सुझाव इन संशोधनों को व्यावहारिक और प्रभावी बनाने में अहम होंगे।
इंदौर,दिल्ली,मुंबई और चेन्नई जैसे प्रमुख शहरों में सक्रिय ब्रॉडकास्ट और डिस्ट्रीब्यूशन कंपनियाँ पहले से ही इस ड्राफ्ट पर विचार कर रही हैं। उनका कहना है कि पारदर्शिता और समयबद्ध ऑडिट से उन्हें भी लाभ होगा क्योंकि इससे भरोसा और स्पष्टता बढ़ेगी। वहीं,कुछ कंपनियों ने यह भी संकेत दिया है कि अतिरिक्त अनुपालन लागत उनके लिए चुनौती बन सकती है।
विशेषज्ञों का मानना है कि यह ड्राफ्ट भारतीय प्रसारण उद्योग को वैश्विक मानकों के करीब ले जाने का प्रयास है। डिजिटल युग में,जब कंटेंट की खपत तेजी से बढ़ रही है,तब यह आवश्यक है कि न केवल उपभोक्ताओं को गुणवत्तापूर्ण सेवाएँ मिलें,बल्कि ब्रॉडकास्टर और डिस्ट्रीब्यूटर के बीच का संबंध भी पेशेवर और पारदर्शी हो।
ट्राई का यह कदम भारतीय प्रसारण और केबल उद्योग में सुधार की दिशा में बड़ा और दूरगामी साबित हो सकता है। अब देखना यह होगा कि 6 अक्टूबर तक मिलने वाले सुझावों के आधार पर इसमें क्या बदलाव किए जाते हैं और यह नया ढाँचा 1 अप्रैल, 2026 से किस रूप में लागू होता है।