सीतापुर,23 सितंबर (युआईटीवी)- समाजवादी पार्टी (सपा) के कद्दावर नेता और उत्तर प्रदेश सरकार में कभी कैबिनेट मंत्री रहे आज़म खान की रिहाई का इंतजार अब लगभग खत्म होने वाला है। लगभग 23 महीनों से सीतापुर जेल में बंद आज़म खान को मंगलवार को जेल से बाहर आने की उम्मीद है। उनकी रिहाई को लेकर न केवल उनके परिवार और समर्थकों में उत्सुकता है,बल्कि सीतापुर प्रशासन भी पूरी तरह सतर्क हो गया है। जेल के बाहर और शहर भर में सुरक्षा के कड़े इंतज़ाम किए गए हैं।
सीतापुर प्रशासन ने एहतियात के तौर पर शहर में धारा 144 लागू कर दी है। इसका मकसद यह सुनिश्चित करना है कि आज़म खान की रिहाई के दौरान किसी भी प्रकार की भीड़ इकट्ठी न हो और कानून-व्यवस्था बनी रहे। पुलिस लाउडस्पीकर के जरिए लगातार लोगों को जानकारी दे रही है कि जेल के आसपास किसी भी तरह का जमावड़ा करने की इजाजत नहीं होगी। इसके बावजूद,जेल रोड पर समर्थकों की भीड़ इकट्ठा हो गई,जिससे जाम की स्थिति पैदा हो गई। हालात को संभालने के लिए पुलिस को कड़ी मशक्कत करनी पड़ी और रास्ते में खड़ी गाड़ियों का चालान काटा गया। बेवजह घूमने वालों को मौके से हटाया गया।
सीओ सिटी विनायक भोसले ने मीडिया से बातचीत में कहा कि सीतापुर की सड़कें पहले से ही संकरी हैं और नवरात्रि के चलते भीड़भाड़ का माहौल है। ऐसे में अगर लोग बिना वजह रुकते हैं,तो स्थिति और बिगड़ सकती है। इसलिए पुलिस धारा 144 के तहत कार्रवाई कर रही है और लोगों से सहयोग की अपील भी की जा रही है। उन्होंने कहा कि सभी की जिम्मेदारी है कि शांति और सुरक्षा व्यवस्था बनाए रखने में प्रशासन का साथ दें।
आजम खान की रिहाई का रास्ता कानूनी अड़चनों से भरा रहा है। हाल ही में इलाहाबाद हाई कोर्ट ने उन्हें जमानत दी थी,जिससे यह उम्मीद जगी थी कि वह जल्द ही जेल से बाहर आ जाएँगे,लेकिन बेल बॉन्ड की प्रक्रिया में तकनीकी गड़बड़ी के चलते उनकी रिहाई एक बार फिर अटक गई। जेल प्रशासन ने जानकारी दी कि बेल बॉन्ड भरते समय आज़म खान का पता गलत दर्ज हो गया था। कानून के मुताबिक,किसी भी कैदी की रिहाई के लिए बेल बॉन्ड में पूरा और सही पता दर्ज होना अनिवार्य है। यदि पते में कोई गलती पाई जाती है,तो पूरी प्रक्रिया को रोका जा सकता है। इसी कारण आज़म खान की रिहाई की प्रक्रिया अचानक थम गई थी।
इस त्रुटि को सुधारने के लिए अब नए दस्तावेज तैयार किए गए हैं। जैसे ही ये दस्तावेज सही पाए जाएँगे और अदालत की औपचारिकताएँ पूरी होंगी,वैसे ही रिहाई की प्रक्रिया आगे बढ़ेगी। प्रशासन का कहना है कि इस बार सभी कागजात की जाँच पूरी सावधानी से की जाएगी,ताकि किसी भी प्रकार की देरी न हो।
आजम खान के समर्थकों के लिए यह दिन लंबे समय से इंतजार का रहा है। कई बार उनकी जमानत याचिकाएँ अदालतों में लंबित रहीं और कई मामलों में उन्हें राहत भी मिली,लेकिन कानूनी प्रक्रियाओं की जटिलताओं और प्रशासनिक देरी के चलते वह जेल से बाहर नहीं आ पा रहे थे। यह स्थिति उनके राजनीतिक जीवन और सपा की सियासत पर भी असर डालती रही।
आजम खान सपा के उन नेताओं में गिने जाते हैं,जिनकी न केवल रामपुर बल्कि पूरे प्रदेश की राजनीति में गहरी पकड़ रही है। उनकी रिहाई को लेकर राजनीतिक हलकों में भी चर्चा तेज है। माना जा रहा है कि जेल से बाहर आने के बाद वह प्रदेश की राजनीति में एक बार फिर सक्रिय भूमिका निभा सकते हैं। हालाँकि,उन पर दर्ज कई मुकदमे और कानूनी लड़ाइयाँ अभी भी जारी हैं,जिनसे उन्हें पूरी तरह राहत पाने में वक्त लग सकता है।
जेल प्रशासन और पुलिस ने यह भी साफ किया है कि रिहाई के दिन किसी भी प्रकार की भीड़भाड़ या जुलूस की अनुमति नहीं होगी। इसके लिए ड्रोन कैमरों से नजर रखी जा रही है और जेल के आसपास आने-जाने वाले हर व्यक्ति की निगरानी की जा रही है। पुलिस का कहना है कि आजम खान की रिहाई को किसी भी तरह का राजनीतिक या सामूहिक प्रदर्शन बनने नहीं दिया जाएगा।
लगभग दो साल बाद आज़म खान के जेल से बाहर आने की घड़ी करीब है। हालाँकि,यह रिहाई सिर्फ उनकी कानूनी यात्रा का एक पड़ाव है,क्योंकि आगे भी उन्हें कई मामलों में अदालतों का सामना करना होगा,लेकिन उनके लिए और उनके समर्थकों के लिए यह एक बड़ी राहत का पल है। सीतापुर जेल के बाहर सुरक्षा इंतज़ाम और प्रशासन की कड़ाई से यह भी साफ है कि सरकार इस मसले पर किसी भी अप्रिय स्थिति से बचना चाहती है।
अब सभी की निगाहें मंगलवार पर टिकी हैं,जब आजम खान जेल से बाहर कदम रखेंगे। यह दिन उनके राजनीतिक सफर के लिए एक नए मोड़ का प्रतीक बन सकता है और आने वाले दिनों में प्रदेश की सियासत में उनके रुख और भूमिका को लेकर अटकलें तेज होनी तय हैं।