नीदरलैंड के विदेश मंत्री डेविड वान वील और विदेश मंत्री एस. जयशंकर (तस्वीर क्रेडिट@DrSJaishankar)

न्यूयॉर्क में संयुक्त राष्ट्र महासभा के इतर विदेश मंत्री एस. जयशंकर की सक्रिय कूटनीति,कई देशों के साथ द्विपक्षीय वार्ता

न्यूयॉर्क,24 सितंबर (युआईटीवी)- भारत के विदेश मंत्री एस. जयशंकर इन दिनों न्यूयॉर्क में संयुक्त राष्ट्र महासभा (यूएनजीए) शिखर सम्मेलन में भाग ले रहे हैं। इस दौरान उन्होंने कई देशों के अपने समकक्षों से मुलाकात कर द्विपक्षीय संबंधों को मजबूत करने और अंतर्राष्ट्रीय मुद्दों पर विचार-विमर्श किया। जयशंकर की सक्रिय कूटनीति ने एक बार फिर यह साबित कर दिया कि भारत विश्व पटल पर न केवल एक जिम्मेदार शक्ति है,बल्कि विकासशील और विकसित देशों के बीच एक मजबूत सेतु की भूमिका भी निभा रहा है।

जयशंकर ने अपनी बैठकों की शुरुआत नीदरलैंड के विदेश मंत्री डेविड वान वील से की। इस मुलाकात में दोनों नेताओं ने आपसी सहयोग के विभिन्न पहलुओं पर चर्चा की और साझेदारी को आगे बढ़ाने की दिशा में सकारात्मक संकेत दिए। यूरोप के साथ भारत के बढ़ते सहयोग के मद्देनज़र यह बैठक महत्वपूर्ण मानी जा रही है।

इसके बाद जयशंकर ने श्रीलंका की विदेश मंत्री विजिता हेराथ से भेंट की। इस दौरान दोनों नेताओं ने द्विपक्षीय सहयोग की प्रगति की समीक्षा की। भारत और श्रीलंका के संबंध ऐतिहासिक और सांस्कृतिक रूप से गहरे जुड़े हुए हैं। पिछले कुछ वर्षों में आर्थिक संकट से जूझ रहे श्रीलंका की मदद के लिए भारत ने बड़ी वित्तीय और मानवीय सहायता प्रदान की है। इस पृष्ठभूमि में जयशंकर और हेराथ की यह बातचीत द्विपक्षीय रिश्तों में नए आयाम जोड़ने वाली मानी जा रही है। बैठक के बाद जयशंकर ने सोशल मीडिया पर लिखा, “श्रीलंका की विदेश मंत्री विजिता हेराथ से मिलकर प्रसन्नता हुई। हमारे द्विपक्षीय सहयोग की प्रगति की समीक्षा की।”

विदेश मंत्री ने कैरेबियाई देश सेंट लूसिया के विदेश मंत्री अल्वा बैप्टिस्ट से भी मुलाकात की। इस मुलाकात के बारे में जयशंकर ने कहा कि उनके साथ हुई बातचीत शानदार रही और वह हमेशा उनकी संगति का आनंद लेते हैं। भारत छोटे द्वीपीय देशों के साथ भी अपने रिश्तों को उतनी ही गंभीरता से देखता है,जितना बड़े देशों के साथ और यही भारत की बहुपक्षीय कूटनीति की खासियत है।

डेनमार्क के विदेश मंत्री लार्स लोके रासमुसेन के साथ हुई बैठक भी खास रही। यूरोप और यूक्रेन संघर्ष को लेकर वैश्विक राजनीति जिस तरह से जटिल हो रही है,उसके बीच भारत और डेनमार्क के बीच हुई यह वार्ता महत्वपूर्ण रही। जयशंकर ने कहा कि उन्हें रासमुसेन की यूरोप और यूक्रेन संघर्ष पर अंतर्दृष्टि मूल्यवान लगी। इसके अलावा दोनों नेताओं ने द्विपक्षीय संबंधों और डेनिश प्रेसीडेंसी के तहत भारत-ईयू सहयोग पर भी विस्तार से चर्चा की। यह मुलाकात यूरोपीय देशों के साथ भारत के बढ़ते जुड़ाव और सहयोग की दिशा में एक और अहम कदम मानी जा रही है।

जयशंकर ने सिंगापुर के विदेश मंत्री विवियन बालाकृष्णन से भी बातचीत की। यह वार्ता समान विचारधारा वाले वैश्विक दक्षिण देशों की उच्च-स्तरीय बैठक के दौरान हुई। इसे उन्होंने “त्वरित बातचीत” बताया। भारत और सिंगापुर दोनों एशियाई देशों के रूप में वैश्विक दक्षिण के मुद्दों को अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर मजबूती से उठाते रहे हैं। ऐसे में इस मुलाकात का संदेश यह है कि दोनों देश मिलकर विकासशील देशों की आवाज़ को और प्रभावी बनाने के लिए प्रतिबद्ध हैं।

विदेश मंत्री ने मालदीव के विदेश मंत्री अब्दुल्ला खलील से भी भेंट की। मालदीव,हिंद महासागर क्षेत्र का एक महत्वपूर्ण द्वीपीय राष्ट्र है और भारत के लिए सामरिक दृष्टि से विशेष महत्व रखता है। इस बैठक में जयशंकर ने मालदीव के विकास के लिए भारत के दृढ़ समर्थन को दोहराया। यह बयान इसलिए भी महत्वपूर्ण है क्योंकि हाल के वर्षों में हिंद महासागर क्षेत्र में चीन की बढ़ती गतिविधियों को देखते हुए भारत-मालदीव सहयोग रणनीतिक दृष्टि से अहम हो गया है।

मॉरीशस के विदेश मंत्री रितेश रामफुल से हुई बातचीत भी उल्लेखनीय रही। जयशंकर ने कहा कि न्यूयॉर्क में उनसे मिलकर प्रसन्नता हुई और इस दौरान प्रधानमंत्री नवीन रामगुलाम की हालिया सफल भारत यात्रा पर चर्चा की गई। मॉरीशस और भारत के बीच ऐतिहासिक,सांस्कृतिक और आर्थिक संबंध बेहद प्रगाढ़ हैं और दोनों देश एक-दूसरे के विकास में अहम भागीदार हैं।

न्यूयॉर्क में जयशंकर की सक्रिय कूटनीतिक पहल यह दिखाती है कि भारत अब केवल क्षेत्रीय ताकत नहीं बल्कि वैश्विक मंच पर निर्णायक भूमिका निभाने वाला देश बन चुका है। चाहे बात यूरोप के साथ गहराते रिश्तों की हो,पड़ोसी श्रीलंका की आर्थिक पुनर्निर्माण में मदद की हो या फिर वैश्विक दक्षिण की एकजुटता की,हर मोर्चे पर भारत अपनी उपस्थिति दर्ज करा रहा है। जयशंकर की यह पहल न केवल द्विपक्षीय रिश्तों को मजबूत करने में सहायक है,बल्कि भारत की वैश्विक साख को भी नई ऊँचाई पर ले जा रही है।

न्यूयॉर्क में संयुक्त राष्ट्र महासभा का मंच भले ही बहुपक्षीय वार्ता का प्रतीक हो,लेकिन इसी मंच के इतर होने वाली द्विपक्षीय बैठकें ही वास्तव में देशों के बीच गहरे और ठोस रिश्तों को आकार देती हैं। जयशंकर की यह कूटनीतिक सक्रियता इस बात का प्रमाण है कि भारत आज हर महाद्वीप और हर क्षेत्र के देशों के साथ बराबरी और साझेदारी पर आधारित रिश्ते कायम करने के लिए संकल्पबद्ध है।