खालिस्तानी आतंकी गुरपतवंत सिंह पन्नू (तस्वीर क्रेडिट@JaikyYadav16)

खालिस्तानी आतंकी गुरपतवंत सिंह पन्नू पर एनआईए का नया केस,‘सिख फॉर जस्टिस’ पर भारत ने कसा शिकंजा

नई दिल्ली,24 सितंबर (युआईटीवी)- भारत सरकार ने खालिस्तानी संगठनों और उनके नेटवर्क के खिलाफ कार्रवाई को और तेज कर दिया है। इसी कड़ी में राष्ट्रीय जाँच एजेंसी (एनआईए) ने खालिस्तानी संगठन ‘सिख फॉर जस्टिस’ (एसएफजे) के प्रमुख और वांछित आतंकी गुरपतवंत सिंह पन्नू के खिलाफ नया मामला दर्ज किया है। पन्नू के खिलाफ यह कदम उसकी हालिया धमकी और विवादित बयान के बाद उठाया गया है,जिसमें उसने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को लाल किले पर तिरंगा फहराने से रोकने वाले को 11 करोड़ रुपए का इनाम देने की घोषणा की थी। इस बयान ने न केवल भारत की सुरक्षा एजेंसियों को सतर्क किया,बल्कि देश की संप्रभुता और एकता के खिलाफ खालिस्तानी संगठन की मंशा को भी उजागर कर दिया।

एनआईए ने पन्नू के इस कृत्य को गंभीर साजिश मानते हुए उसके खिलाफ बीएनएस 2023 की धारा 61(2) और गैरकानूनी गतिविधि (निवारण) अधिनियम यानी यूएपीए की धारा 10 और 13 के तहत मामला दर्ज किया है। एजेंसी ने साफ किया है कि इस मामले की जाँच अब व्यापक स्तर पर की जाएगी,जिसमें इस खालिस्तानी नेटवर्क से जुड़े अन्य लोगों और उनके वित्तीय-संगठित ढाँचे को भी शामिल किया जाएगा। एनआईए की यह कार्रवाई सीधे तौर पर इस संदेश का प्रतीक है कि भारत खालिस्तान समर्थक गतिविधियों को किसी भी रूप में बर्दाश्त करने को तैयार नहीं है।

यह मामला तब और गंभीर हो गया,जब 10 अगस्त को पाकिस्तान के लाहौर प्रेस क्लब में आयोजित एक कार्यक्रम के दौरान गुरपतवंत सिंह पन्नू ने वाशिंगटन से वीडियो लिंक के माध्यम से जुड़कर न केवल प्रधानमंत्री को धमकी दी,बल्कि भारत के खिलाफ एक विवादित नक्शा भी जारी किया। इस नक्शे में पंजाब,हरियाणा,हिमाचल प्रदेश और यहाँ तक कि दिल्ली को भी कथित ‘खालिस्तान’ में शामिल दिखाया गया था। पन्नू का यह कदम भारतीय संप्रभुता पर सीधा हमला माना जा रहा है। इतना ही नहीं,पन्नू ने ‘शहीद जत्था’ नाम का एक नया ग्रुप बनाने की भी घोषणा की,जिसका मकसद भारत के खिलाफ आतंक फैलाना बताया जा रहा है।

गौरतलब है कि पन्नू लंबे समय से विदेशों में बैठकर भारत विरोधी गतिविधियों को संचालित कर रहा है। उसका संगठन ‘सिख फॉर जस्टिस’ कई बार जनमत संग्रह के नाम पर पंजाब और अन्य जगहों पर खालिस्तान की माँग को हवा देता रहा है। हालाँकि,भारत सरकार ने 2019 में इस संगठन को गैरकानूनी घोषित कर दिया था,लेकिन इसके बावजूद यह संगठन कनाडा,अमेरिका और यूरोप में सक्रिय होकर भारत विरोधी अभियान चलाता आ रहा है। पन्नू खुद अमेरिका में शरण लेकर वहाँ से अपनी गतिविधियाँ संचालित करता है।

हाल ही में खालिस्तान समर्थक गतिविधियों पर एक और बड़ा झटका तब लगा जब कनाडा में पन्नू के करीबी सहयोगी और दाहिने हाथ माने जाने वाले इंद्रजीत सिंह गोसल को गिरफ्तार किया गया। गोसल का नाम जून 2023 में हरदीप सिंह निज्जर की हत्या के बाद सुर्खियों में आया था। निज्जर की हत्या के बाद गोसल ‘सिख फॉर जस्टिस’ का एक प्रमुख आयोजक बनकर सामने आया और कनाडा में कई जनमत संग्रह आयोजित करने लगा। इन जनमत संग्रहों का उद्देश्य खालिस्तान की माँग को वैध ठहराने की कोशिश करना था। गोसल की गिरफ्तारी यह स्पष्ट संकेत है कि अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर भी खालिस्तानी नेटवर्क पर शिकंजा कसना शुरू हो गया है।

भारतीय एजेंसियाँ लगातार कनाडाई एजेंसियों के साथ इस मामले में खुफिया जानकारी साझा कर रही हैं। पहले बाबर खालसा इंटरनेशनल और अन्य संगठनों की जानकारी साझा की जाती रही है,लेकिन इस बार एजेंसियों ने विशेष रूप से ‘सिख फॉर जस्टिस’ पर फोकस बढ़ा दिया है। सुरक्षा विशेषज्ञों का मानना है कि खालिस्तानी नेटवर्क का विस्तार रोकने के लिए यह कदम बेहद जरूरी है,क्योंकि पन्नू और उसके सहयोगी युवाओं को बरगलाकर भारत के खिलाफ हिंसक गतिविधियों की ओर धकेलने की कोशिश कर रहे हैं।

पन्नू पर पहले से ही भारत में कई गंभीर आरोप हैं और उसे वांछित आतंकियों की सूची में रखा गया है। उसके खिलाफ एनआईए पहले भी कई मामले दर्ज कर चुकी है,लेकिन इस बार दर्ज केस को सुरक्षा एजेंसियाँ बेहद अहम मान रही हैं। कारण यह है कि पन्नू की हालिया धमकी सीधे तौर पर प्रधानमंत्री और देश की संप्रभुता को निशाना बनाती है। इसके अलावा,पाकिस्तान में उसके कार्यक्रम और वहाँ से मिले समर्थन ने यह भी साफ कर दिया है कि भारत विरोधी ताकतें किस तरह खालिस्तानी आतंकवाद को बढ़ावा देने के लिए मिलकर काम कर रही हैं।

सरकारी सूत्रों के अनुसार,एनआईए इस मामले में अंतरराष्ट्रीय सहयोग की दिशा में भी कदम बढ़ा सकती है। भारत पहले ही अमेरिका और कनाडा से पन्नू और उसके सहयोगियों के खिलाफ कार्रवाई करने की माँग कर चुका है। हालाँकि,राजनीतिक और कूटनीतिक परिस्थितियों के कारण यह प्रक्रिया आसान नहीं है। इसके बावजूद भारत ने साफ कर दिया है कि वह खालिस्तान समर्थक गतिविधियों के खिलाफ हर स्तर पर सख्ती बरतेगा।

गुरपतवंत सिंह पन्नू और उसके संगठन ‘सिख फॉर जस्टिस’ के खिलाफ एनआईए की यह कार्रवाई भारत के लिए सुरक्षा और कूटनीति दोनों स्तरों पर अहम है। यह कदम न केवल खालिस्तान समर्थकों को कड़ा संदेश देता है,बल्कि यह भी दिखाता है कि भारत अपनी संप्रभुता और राष्ट्रीय एकता पर किसी भी तरह का समझौता करने को तैयार नहीं है। पन्नू के खिलाफ केस दर्ज होने और गोसल की गिरफ्तारी से यह साफ हो गया है कि खालिस्तानी नेटवर्क अब धीरे-धीरे अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर भी कमजोर होता जा रहा है और भारत ने उसके खिलाफ निर्णायक लड़ाई की शुरुआत कर दी है।