ट्रंप और पुतिन

रूस-यूक्रेन युद्ध पर ट्रंप का नया बयान,बोले- यूक्रेन लड़ने और जीतने की स्थिति में,रूस बना ‘कागजी शेर’

वाशिंगटन,24 सितंबर (युआईटीवी)- अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने रूस-यूक्रेन युद्ध पर अपने रुख में बड़ा बदलाव करते हुए मंगलवार को चौंकाने वाला बयान दिया। ट्रंप ने दावा किया कि यूक्रेन अब “लड़ने और जीतने” की स्थिति में है और यूरोपीय संघ व नाटो के समर्थन से अपने देश को उसके मूल स्वरूप में वापस ला सकता है। उन्होंने यहाँ तक कहा कि रूस की स्थिति लगातार बिगड़ रही है और यह संघर्ष उसे “कागजी शेर” जैसा बना देता है। ट्रंप के इस बयान ने वैश्विक राजनीति में नई बहस छेड़ दी है,क्योंकि अब तक उन्हें अक्सर रूस को लेकर नरम रुख अपनाने वाला नेता माना जाता रहा है।

ट्रंप ने अपने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म ‘ट्रुथ सोशल’ पर पोस्ट करते हुए लिखा,“यूक्रेन-रूस की सैन्य और आर्थिक स्थिति को पूरी तरह से जानने और समझने के बाद और रूस को हो रही आर्थिक परेशानी को देखने के बाद,मुझे लगता है कि यूक्रेन,यूरोपीय संघ के समर्थन से लड़ने और पूरे यूक्रेन को उसके मूल स्वरूप में वापस लाने की स्थिति में है। समय,धैर्य,यूरोप और विशेष रूप से नाटो के वित्तीय समर्थन के साथ, जहाँ से यह युद्ध शुरू हुआ था,मूल सीमाएँ एक बहुत अच्छा विकल्प हैं। क्यों नहीं?”

ट्रंप का यह बयान इसलिए भी खास है क्योंकि उन्होंने पहली बार इतने खुले तौर पर कहा कि रूस इस युद्ध में लक्ष्यहीन और कमजोर साबित हो रहा है। उन्होंने लिखा, “रूस साढ़े तीन साल से बिना किसी उद्देश्य के एक ऐसा युद्ध लड़ रहा है,जिसे जीतने में एक वास्तविक सैन्य शक्ति को एक हफ्ते से भी कम समय लगना चाहिए था। यह रूस को अलग नहीं कर रहा है। वास्तव में,यह उन्हें ‘कागजी शेर’ जैसा बना रहा है।” उनके इस तंज को पश्चिमी देशों ने तुरंत लपक लिया और विशेषज्ञों ने इसे रूस पर दबाव बनाने की रणनीति बताया।

हालाँकि,ट्रंप ने अपनी पोस्ट में अमेरिका को इस संघर्ष से एक तरह से किनारे कर दिया। उन्होंने कहा, “यूक्रेन अपने देश को उसके मूल स्वरूप में वापस ले पाएगा और कौन जाने,शायद उससे भी आगे चला जाए,लेकिन मैं दोनों देशों के लिए शुभकामनाएँ देता हूँ। हम नाटो को हथियार देना जारी रखेंगे,ताकि नाटो उनके साथ जो चाहे कर सके। सभी को शुभकामनाएँ।” इस बयान से यह साफ संकेत मिला कि ट्रंप अमेरिका की सीधी भागीदारी से बचना चाहते हैं और युद्ध की जिम्मेदारी यूरोपीय संघ व नाटो देशों पर डाल रहे हैं।

ट्रंप ने अपने संदेश में यह भी दावा किया कि रूस इस समय गंभीर आर्थिक संकट से गुजर रहा है और पुतिन प्रशासन पर दबाव लगातार बढ़ रहा है। उन्होंने लिखा कि यह यूक्रेन के लिए कार्रवाई करने का सही समय है। ट्रंप के अनुसार,अगर कीव ने सही रणनीति अपनाई और यूरोप से वित्तीय व सैन्य सहयोग लिया,तो वह अपने कब्जाए गए क्षेत्रों को वापस ले सकता है। यह बयान उन सभी विश्लेषणों के विपरीत है,जिनमें कहा जा रहा था कि यूक्रेन अब थक चुका है और रूस की ताकत के सामने टिक नहीं पाएगा।

ट्रंप की यह टिप्पणी ऐसे समय में आई है,जब कुछ ही घंटे पहले न्यूयॉर्क में संयुक्त राष्ट्र महासभा के इतर उन्होंने यूक्रेनी राष्ट्रपति वोलोडिमिर जेलेंस्की से मुलाकात की थी। इस मुलाकात में ट्रंप ने नाटो के हवाई क्षेत्र में प्रवेश करने पर रूसी विमानों को मार गिराने का समर्थन किया। जब उनसे सीधे सवाल पूछा गया कि क्या वे रूसी विमानों को गिराने का समर्थन करेंगे,तो उनका जवाब था—“हाँ,मैं ऐसा करता हूँ।” इस बयान से साफ हुआ कि ट्रंप यूक्रेन को लेकर रूस के खिलाफ कहीं अधिक आक्रामक रुख अपना रहे हैं।

जेलेंस्की से मुलाकात में ट्रंप ने यूक्रेन के “महान साहस” की सराहना की और कहा कि अमेरिका इस संघर्ष में उनके प्रयासों का बहुत सम्मान करता है। उन्होंने कहा, “वास्तव में यह अद्भुत है कि यूक्रेन इतने लंबे समय तक टिक सका है और अपने देश के लिए इतनी बहादुरी से लड़ रहा है।” इस दौरान उन्होंने यह भी दोहराया कि अमेरिका यूक्रेन को हथियार और तकनीकी सहायता नाटो के जरिए देना जारी रखेगा।

हालाँकि,ट्रंप ने यूक्रेन के समर्थन की बात करते हुए यूरोपीय देशों पर जमकर निशाना साधा। मंगलवार सुबह संयुक्त राष्ट्र महासभा में अपने भाषण के दौरान उन्होंने आरोप लगाया कि यूरोपीय और नाटो देश अब भी रूसी ऊर्जा खरीद रहे हैं और इस तरह अपने ही खिलाफ चल रही जंग को वित्त पोषित कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि जब तक यूरोप अपनी निर्भरता खत्म नहीं करता,तब तक रूस को कमजोर करना संभव नहीं होगा।

उन्होंने स्पष्ट किया कि अमेरिका रूस पर अतिरिक्त प्रतिबंध तभी लगाएगा जब यूरोपीय देश भी इसमें शामिल हों। ट्रंप ने कहा, “अगर रूस युद्ध समाप्त करने के लिए कोई समझौता करने को तैयार नहीं होता है,तो अमेरिका उस पर कड़े टैरिफ लगाने के लिए पूरी तरह तैयार है,जिससे संघर्ष रुक जाएगा,लेकिन इन टैरिफ के प्रभावी होने के लिए यूरोपीय देशों,आप सभी जो अभी यहाँ एकत्र हैं,को भी हमारे साथ मिलकर यही उपाय अपनाने होंगे।” उनके इस बयान को यूरोप पर दबाव डालने की रणनीति के तौर पर देखा जा रहा है।

विशेषज्ञों का मानना है कि ट्रंप का यह रुख न केवल उनकी विदेश नीति की दिशा को दिखाता है,बल्कि यह भी स्पष्ट करता है कि अगर वह फिर से राष्ट्रपति बने तो रूस-यूक्रेन युद्ध को लेकर अमेरिका की रणनीति मौजूदा प्रशासन से अलग होगी। अब तक ट्रंप को अक्सर रूस के प्रति नरम रवैया अपनाने वाला बताया जाता रहा है,लेकिन उनके इस नए बयान ने तस्वीर बदल दी है। उन्होंने पहली बार साफ तौर पर रूस को “कमजोर” और “लक्ष्यहीन” करार दिया और यह दावा किया कि यूक्रेन को अपने खोए हुए इलाके वापस पाने का मौका मिल सकता है।

दूसरी ओर,रूस ने ट्रंप के इन बयानों को “राजनीतिक शोर” करार देते हुए खारिज कर दिया है। मॉस्को के प्रवक्ताओं का कहना है कि अमेरिका की बयानबाजी से यूक्रेन की स्थिति नहीं बदलेगी और जमीनी हालात वही रहेंगे। वहीं,यूक्रेनी प्रशासन ने ट्रंप के रुख का स्वागत किया है और इसे यूरोप व नाटो के लिए सकारात्मक संदेश बताया है।

ट्रंप का यह बयान रूस-यूक्रेन युद्ध की राजनीति में एक नया मोड़ लाने वाला साबित हो सकता है। यह न केवल अमेरिका की भावी नीति की झलक देता है,बल्कि यूरोप पर भी दबाव बढ़ाता है कि वह रूस के खिलाफ एकजुट होकर निर्णायक कदम उठाए। ट्रंप ने एक ओर जहां यूक्रेन को जीत का भरोसा दिलाया है,वहीं दूसरी ओर अमेरिका को सीधी लड़ाई से दूर रखने का इशारा किया है। इससे यह साफ है कि उनका मकसद अमेरिका के बोझ को कम करना और यूरोप की जिम्मेदारी बढ़ाना है। आने वाले दिनों में यह बयान रूस,यूक्रेन और पश्चिमी देशों की कूटनीति पर गहरा असर डाल सकता है।