लेह,25 सितंबर (युआईटीवी)- लद्दाख के लेह शहर में बुधवार को हुए हिंसक विरोध प्रदर्शनों के बाद गुरुवार को भी कर्फ्यू जारी है। प्रशासन की ओर से लगाए गए प्रतिबंधों को सख्ती से लागू किया जा रहा है और सुरक्षाबल पूरे शहर में मुस्तैदी से तैनात हैं। फिलहाल स्थिति काबू में बताई जा रही है,लेकिन बुधवार को हुई झड़पों ने पूरे इलाके को तनावपूर्ण बना दिया है। उपराज्यपाल कविंदर गुप्ता ने उपद्रवियों को गंभीर कार्रवाई की चेतावनी देते हुए कहा कि दोषियों को किसी भी कीमत पर बख्शा नहीं जाएगा। साथ ही उन्होंने लद्दाख के लोगों के शांतिप्रिय और कानून का पालन करने वाले चरित्र की सराहना की और अपील की कि लोग संयम बनाए रखें।
हिंसक झड़पों का असर गुरुवार को भी साफ देखा गया। प्रशासन ने वार्षिक लद्दाख महोत्सव को रद्द करने का फैसला लिया। यह महोत्सव चार दिनों तक चलता है और इसका गुरुवार को आखिरी दिन था। उपराज्यपाल खुद इसमें शामिल होने वाले थे,लेकिन हालात को देखते हुए कार्यक्रम को स्थगित कर दिया गया। यह फैसला सुरक्षा कारणों से लिया गया,क्योंकि बुधवार की घटनाओं के बाद शहर में माहौल बेहद तनावपूर्ण बना हुआ है।
बुधवार को हुई झड़पों में चार प्रदर्शनकारियों की मौत हो गई थी,जबकि करीब 40 लोग घायल हुए। इस दौरान उग्र भीड़ ने कई वाहनों में आग लगा दी और स्थानीय भाजपा कार्यालय को जला दिया। साथ ही लेह हिल काउंसिल के कार्यालय को भी आंशिक रूप से नुकसान पहुँचाया गया। घटनास्थल पर मौजूद सुरक्षाबलों को भीड़ को नियंत्रित करने के लिए गोलीबारी,आँसू गैस के गोले और लाठीचार्ज का सहारा लेना पड़ा। प्रशासन के मुताबिक,अगर यह कदम न उठाया जाता तो सरकारी संपत्ति और लोगों को और अधिक नुकसान पहुँच सकता था।
हिंसा भड़काने को लेकर राजनीतिक आरोप-प्रत्यारोप भी शुरू हो गए हैं। कांग्रेस नेता और पार्षद फुंटसोग स्टैनजिन त्सेपाग के खिलाफ मामला दर्ज किया गया है। उन पर आरोप है कि उन्होंने धरना स्थल पर भड़काऊ भाषण दिया,जिसके चलते भीड़ उग्र हो गई। वहीं,गृह मंत्रालय ने भूख हड़ताल पर बैठे पर्यावरणविद सोनम वांगचुक और उनके समर्थकों को हिंसा के लिए जिम्मेदार ठहराया है। मंत्रालय का कहना है कि आंदोलन की आड़ में लोगों को भड़काया गया,जिससे स्थिति बिगड़ी।
भारतीय जनता पार्टी और कांग्रेस के बीच भी इस घटना को लेकर जमकर बयानबाजी हो रही है। भाजपा आईटी सेल प्रमुख अमित मालवीय ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म ‘एक्स’ पर एक वीडियो और बयान साझा करते हुए कांग्रेस पर निशाना साधा। उन्होंने आरोप लगाया कि कांग्रेस पार्षद स्मानला दोरजे नोरबू ने खुलेआम प्रशासन को चुनौती दी थी और कहा था कि बड़ी से बड़ी सुरक्षा व्यवस्था भी प्रदर्शनकारियों को भाजपा लद्दाख कार्यालय तक पहुँचने से नहीं रोक सकती। मालवीय के मुताबिक,नोरबू ने यह तक कहा था कि वह व्यक्तिगत रूप से भाजपा दफ्तर पर पथराव करेंगे और लोगों को 24 सितंबर को लेह पहुँचकर हमला करने के लिए उकसाया था। उन्होंने दावा किया कि इसके बाद 24 सितंबर को भीड़ ने भाजपा दफ्तर में आगजनी की,जो इस बयान की पुष्टि करता है।
इन आरोपों के बाद कांग्रेस ने पलटवार करते हुए भाजपा पर हिंसा की जिम्मेदारी डालने की कोशिश का आरोप लगाया है। कांग्रेस नेताओं का कहना है कि लोगों का आक्रोश उनकी जायज माँगों की अनदेखी के कारण है और भाजपा जनता की आवाज दबाने के लिए विपक्ष को निशाना बना रही है।
लेह में हुए इस हिंसक प्रदर्शन की जड़ें लद्दाख की लंबे समय से चली आ रही माँगों से जुड़ी हैं। लेह एपेक्स बॉडी (एलएबी) और कारगिल डेमोक्रेटिक एलायंस (केडीए) पिछले चार वर्षों से राज्य का दर्जा बहाल करने,छठी अनुसूची का विस्तार करने,लेह और कारगिल के लिए अलग-अलग लोकसभा सीटें बनाने और रोजगार में आरक्षण की माँग को लेकर आंदोलन कर रहे हैं। इन संगठनों ने कई दौर की बातचीत केंद्र सरकार के साथ की है,लेकिन उनकी माँगों पर अभी तक ठोस नतीजा नहीं निकला है।
इस बार एलएबी के युवा विंग ने भूख हड़ताल शुरू की थी। उनका कहना था कि केंद्र सरकार ने 6 अक्टूबर को वार्ता के लिए बैठक तय की है,लेकिन वे चाहते हैं कि यह बैठक उससे पहले हो। इसीलिए आंदोलनकारियों ने उपवास और धरना तेज कर दिया। प्रशासन का मानना है कि इसी आंदोलन की आड़ में बुधवार को हिंसा भड़काई गई।
स्थानीय लोगों का कहना है कि उनकी माँगें पूरी तरह से संवैधानिक और वैध हैं। लद्दाख को केंद्र शासित प्रदेश बनाए जाने के बाद से उन्हें लगता है कि उनकी राजनीतिक और सामाजिक पहचान कमजोर हुई है। लेह और कारगिल की अलग-अलग समस्याएँ हैं,लेकिन दोनों जगह के संगठन मिलकर इन मुद्दों को उठा रहे हैं। बुधवार की हिंसा के बाद उनकी मांगें फिर से सुर्खियों में आ गई हैं।
प्रशासन अब स्थिति को संभालने और सामान्य करने में जुटा है। शहर के संवेदनशील इलाकों में अतिरिक्त सुरक्षाबल तैनात कर दिए गए हैं। इंटरनेट सेवाओं पर भी निगरानी रखी जा रही है,ताकि अफवाहें फैलने से रोकी जा सकें। उपराज्यपाल कविंदर गुप्ता ने कहा है कि सरकार संवाद के जरिए समस्या का हल निकालना चाहती है,लेकिन हिंसा और तोड़फोड़ को बर्दाश्त नहीं किया जाएगा।
लेह में हुई इस घटना ने लद्दाख की राजनीति और सामाजिक समीकरणों को फिर से चर्चा में ला दिया है। जहाँ एक ओर लोग अपनी माँगों को लेकर केंद्र सरकार पर दबाव बना रहे हैं,वहीं राजनीतिक दल इस मौके का इस्तेमाल एक-दूसरे पर आरोप लगाने के लिए कर रहे हैं। अब देखना होगा कि आने वाले दिनों में केंद्र सरकार और आंदोलनकारियों के बीच बातचीत से क्या हल निकलता है,लेकिन इतना तय है कि बुधवार की हिंसा ने लद्दाख के शांतिपूर्ण माहौल को गहरी चोट पहुँचाई है और आने वाले समय में इसका असर राजनीति से लेकर सामाजिक रिश्तों तक पर दिखाई देगा।