व्हाइट हाउस में ट्रंप ने बाइडेन के तस्वीर के जगह 'ऑटोपेन' की तस्वीर लगवा दी (तस्वीर क्रेडिट@TUXHXR_X)

ट्रंप का अनोखा फैसला: व्हाइट हाउस की ‘प्रेसिडेंशियल वॉक ऑफ फेम’ से बाइडेन की तस्वीर गायब,’ऑटोपेन’ की तस्वीर लगवा दी

वाशिंगटन,25 सितंबर (युआईटीवी)- अमेरिकी राजनीति में लगातार अपने विवादास्पद और चौंकाने वाले कदमों से सुर्खियाँ बटोरने वाले राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने इस बार पूर्व राष्ट्रपति जो बाइडेन को लेकर ऐसा निर्णय लिया है,जिसने देश और विदेश में राजनीतिक हलचल मचा दी है। व्हाइट हाउस में शुरू की गई विशेष परंपरा ‘प्रेसिडेंशियल वॉक ऑफ फेम’ में सभी पूर्व राष्ट्रपतियों की तस्वीरें लगाई गईं,लेकिन आश्चर्यजनक रूप से जो बाइडेन की तस्वीर वहाँ मौजूद नहीं है। उनकी जगह ट्रंप ने एक ‘ऑटोपेन’ की तस्वीर लगवाई है,जिसमें बाइडेन का हस्ताक्षर प्रदर्शित किया गया है। यह कदम सीधे तौर पर ट्रंप के उस लंबे समय से चले आ रहे आरोप को उजागर करता है,जिसमें वे दावा करते रहे हैं कि बाइडेन ने राष्ट्रपति कार्यकाल के दौरान दस्तावेजों पर खुद हस्ताक्षर करने के बजाय मशीन से बने ‘ऑटोपेन’ का इस्तेमाल किया था।

व्हाइट हाउस के बाहर आयोजित इस कार्यक्रम की जानकारी राष्ट्रपति की विशेष सहायक और संचार सलाहकार मार्गो मार्टिन ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर साझा की। उन्होंने लिखा, “प्रेसिडेंशियल वॉक ऑफ फेम वेस्ट विंग कोलोनेड पर आ गया है।” इस वॉक ऑफ फेम में अमेरिकी राष्ट्रपतियों के कार्यकाल की प्रमुख तस्वीरें प्रदर्शित की गईं। परंपरा के अनुसार ट्रंप के पहले कार्यकाल की तस्वीरों और वर्तमान कार्यकाल की तस्वीरों के बीच बाइडेन की तस्वीर लगनी चाहिए थी,लेकिन उसकी जगह ‘ऑटोपेन’ का फोटो लगाया गया,जिसे अब चर्चा का विषय बनाया जा रहा है। व्हाइट हाउस की ओर से जारी एक तस्वीर में खुद राष्ट्रपति ट्रंप को इस प्रदर्शनी में उसी ‘ऑटोपेन’ को ध्यान से देखते हुए देखा जा सकता है।

यह पहला मौका नहीं है,जब ट्रंप ने बाइडेन पर निशाना साधते हुए ‘ऑटोपेन’ का मुद्दा उठाया हो। 2020 के चुनावों में हार स्वीकार न करने वाले ट्रंप बार-बार यह कहते रहे हैं कि चुनाव में धांधली हुई थी और असली नतीजे उनके पक्ष में थे। इस बार जब वे दोबारा सत्ता में लौटे,तो उन्होंने पहले ही इशारा कर दिया था कि बाइडेन की जगह ‘ऑटोपेन’ को जगह दी जाएगी। ट्रंप ने यह तर्क दिया था कि बाइडेन ने क्षमादान समेत कई महत्वपूर्ण दस्तावेजों पर मशीन से हस्ताक्षर किए और इस प्रक्रिया की वैधता संदिग्ध है। ट्रंप के अनुसार,बाइडेन प्रशासन के अधिकारियों ने ‘ऑटोपेन’ का इस्तेमाल करके ऐसे दस्तावेजों पर हस्ताक्षर किए होंगे,जिनकी जानकारी खुद राष्ट्रपति को भी नहीं रही होगी। यही कारण है कि ट्रंप ने बाइडेन की तस्वीर को जगह न देकर उनके कथित हस्ताक्षर वाली मशीन की छवि लगवाने का फैसला किया।

इस निर्णय से न केवल अमेरिकी राजनीति में बहस छिड़ गई है,बल्कि रिपब्लिकन और डेमोक्रेटिक खेमों के बीच विवाद की आग और भड़क गई है। रिपब्लिकन नेतृत्व वाली हाउस कमेटी पहले से ही बाइडेन प्रशासन के ‘ऑटोपेन’ इस्तेमाल की जाँच कर रही है। अब व्हाइट हाउस की यह नई प्रदर्शनी उस जाँच को और बल देती दिखाई दे रही है। ट्रंप समर्थकों का मानना है कि बाइडेन ने राष्ट्रपति रहते हुए पारदर्शिता का पालन नहीं किया और देश को धोखा दिया। वहीं,डेमोक्रेट्स इसे ट्रंप की राजनीतिक प्रतिशोध की रणनीति बता रहे हैं और इसे अमेरिकी राष्ट्रपति पद की गरिमा को ठेस पहुँचाने वाला कदम मान रहे हैं।

बाइडेन की तस्वीर की अनुपस्थिति और ‘ऑटोपेन’ की मौजूदगी ने सोशल मीडिया पर भी खूब हलचल मचा दी है। ट्रंप समर्थक इसे ‘सच्चाई का उजागर होना’ बता रहे हैं,जबकि बाइडेन समर्थकों का कहना है कि यह लोकतांत्रिक परंपराओं और संस्थानों का मजाक उड़ाने जैसा है। कई विश्लेषकों का कहना है कि ट्रंप का यह कदम न केवल बाइडेन के राजनीतिक करियर को निशाना बनाने के लिए है,बल्कि यह 2020 चुनावों में उनकी हार को अब तक स्वीकार न करने की मानसिकता को भी दर्शाता है।

गौरतलब है कि ‘ऑटोपेन’ एक इलेक्ट्रॉनिक डिवाइस है,जिसका इस्तेमाल लंबे समय से अमेरिकी प्रशासन में दस्तावेजों पर हस्ताक्षर करने के लिए किया जाता रहा है। यह तकनीक तब प्रयोग में आती है,जब राष्ट्रपति व्यस्त होते हैं या शारीरिक रूप से हस्ताक्षर करने में असमर्थ होते हैं। हालाँकि,अब तक इसे वैध प्रक्रिया के तौर पर स्वीकार किया गया है और इसे लेकर कोई बड़ा विवाद नहीं हुआ था,लेकिन ट्रंप ने इसे एक बड़ा राजनीतिक मुद्दा बनाकर राष्ट्रीय बहस का विषय बना दिया है।

डोनाल्ड ट्रंप का यह निर्णय अमेरिकी राजनीति की जटिलताओं और उनकी विवादित शैली को एक बार फिर सामने लाता है। अपने पहले कार्यकाल से लेकर अब तक ट्रंप ने हमेशा परंपराओं को चुनौती दी है और अपनी अनोखी शैली से सुर्खियों में बने रहे हैं। ‘प्रेसिडेंशियल वॉक ऑफ फेम’ में बाइडेन की अनुपस्थिति को भी इसी श्रेणी में रखा जा रहा है। यह फैसला केवल एक प्रदर्शनी तक सीमित नहीं है,बल्कि यह आने वाले दिनों में अमेरिकी राजनीति के विमर्श को और तीखा करने वाला कदम साबित हो सकता है।