पेरिस,26 सितंबर (युआईटीवी)- फ्रांस की राजनीति में भूचाल ला देने वाले एक ऐतिहासिक फैसले में पेरिस की एक अदालत ने पूर्व राष्ट्रपति निकोलस सरकोजी को पाँच साल की जेल की सजा सुनाई है। इस फैसले के साथ ही 70 वर्षीय सरकोजी आधुनिक फ्रांस के इतिहास में जेल जाने वाले पहले राष्ट्रपति बनने जा रहे हैं। अदालत ने उन्हें आपराधिक साजिश का दोषी पाया है,जबकि चार में से तीन आरोपों से उन्हें बरी कर दिया गया। अदालत ने साथ ही उन पर 100,000 यूरो (लगभग 117,000 डॉलर) का जुर्माना भी लगाया है और सार्वजनिक पद धारण करने पर प्रतिबंध लगा दिया है।
फैसले के बाद अदालत परिसर के बाहर पत्रकारों से बातचीत करते हुए सरकोजी ने कहा कि उन्होंने कोई गुनाह नहीं किया है और यह फैसला केवल उनका नहीं,बल्कि पूरे फ्रांस का अपमान है। उन्होंने अपने स्वर में आक्रोश और दृढ़ता दोनों को मिलाकर कहा, “अगर अदालत चाहती है कि मैं जेल में रहूँ,तो मैं सिर ऊँचा करके जेल जाऊँगा,लेकिन यह केवल मेरा अपमान नहीं है,बल्कि फ्रांस और उसकी छवि का भी अपमान है।”
सरकोजी ने खुद को निर्दोष बताते हुए इस फैसले को अन्याय करार दिया और साफ किया कि वे इस पर अपील करेंगे। उन्होंने कहा, “मुझे अपनी बेगुनाही का पूरा यकीन है। जो लोग मुझसे नफरत करते हैं,वे सोचते हैं कि वे मुझे अपमानित कर सकते हैं,लेकिन उन्होंने आज पूरे देश को अपमानित किया है।”
सरकोजी पर आरोप है कि वर्ष 2007 के राष्ट्रपति चुनाव में उन्हें दिवंगत लीबियाई तानाशाह मुअम्मर गद्दाफी से भारी धनराशि मिली थी। इस धन के सहारे उन्होंने चुनावी अभियान चलाया और जीत हासिल की। बदले में उन्होंने कथित तौर पर गद्दाफी की वैश्विक मंचों पर साख बचाने का प्रयास किया। इस प्रकरण को लेकर वर्षों से कानूनी लड़ाई चल रही थी और अभियोजन पक्ष ने इसे फ्रांस के लोकतांत्रिक ढाँचे के लिए खतरनाक करार दिया था।
हालाँकि,अदालत ने सभी आरोपों को स्वीकार नहीं किया। सरकोजी को केवल अपने सहयोगियों के साथ ‘आपराधिक साजिश’ रचने का दोषी पाया गया। बाकी तीन आरोपों से उन्हें बरी कर दिया गया। अदालत का मानना है कि चुनावी चंदे से जुड़े सबूत इतने पर्याप्त नहीं हैं कि उनके आधार पर उन्हें पूरी तरह दोषी ठहराया जा सके।
अदालत ने आदेश दिया है कि सरकोजी को एक महीने के भीतर जेल में समर्पण करना होगा। उन्हें अपनी सुविधा से तारीख चुनने का विकल्प दिया गया है। हालाँकि,उन्होंने साफ कर दिया है कि वे इस फैसले के खिलाफ अपील करेंगे। फ्रांसीसी कानून के अनुसार अपील लंबी कानूनी प्रक्रिया का हिस्सा है,लेकिन इस दौरान भी अदालत का फैसला लागू रहेगा।
अगर सरकोजी जेल जाते हैं,तो यह फ्रांस की राजनीति के लिए बेहद असहज स्थिति होगी। वे आधुनिक फ्रांस के इतिहास में जेल की सजा काटने वाले पहले राष्ट्रपति बन जाएँगे। इससे न केवल उनकी व्यक्तिगत साख को झटका लगेगा,बल्कि फ्रांसीसी लोकतंत्र की पारदर्शिता और राजनीतिक नैतिकता को लेकर भी व्यापक बहस शुरू हो चुकी है।
सरकोजी ने अदालत के फैसले के बाद बेहद भावुक होकर कहा कि वे मैदान छोड़कर भागने वाले नहीं हैं। उन्होंने कहा, “मैं एक सार्वजनिक व्यक्ति हूँ। मेरा पता सबको मालूम है। मैं अपनी जिम्मेदारियों से नहीं भागूँगा। अगर अदालत चाहती है कि मैं जेल में रहूँ, तो मैं वहाँ रहूँगा,लेकिन सिर ऊँचा करके।” उन्होंने यह भी कहा कि आलोचकों को भी अपनी बात रखने का समय मिलेगा और वे खुद अपनी बेगुनाही साबित करेंगे।
सरकोजी की यह सजा केवल कानूनी मसला नहीं है,बल्कि इसका असर फ्रांस की राजनीति और अंतर्राष्ट्रीय छवि पर भी पड़ सकता है। सरकोजी फ्रांस के सबसे चर्चित और प्रभावशाली नेताओं में से एक रहे हैं। उन्होंने 2007 से 2012 तक राष्ट्रपति पद संभाला और अपनी नीतियों के जरिए देश और विदेश दोनों में छाप छोड़ी। हालाँकि,उनके कार्यकाल के बाद से वे लगातार कानूनी विवादों में घिरे रहे।
गद्दाफी मामले से जुड़ा यह फैसला न केवल उनकी राजनीतिक विरासत पर सवाल खड़े करता है,बल्कि फ्रांस की चुनावी प्रणाली की पारदर्शिता को भी कटघरे में खड़ा करता है। आलोचक इसे फ्रांस के लोकतंत्र के लिए काला दिन बता रहे हैं,वहीं समर्थक इसे न्यायिक प्रक्रिया की मजबूती का प्रमाण मान रहे हैं।
निकोलस सरकोजी का मामला केवल एक व्यक्ति के खिलाफ अदालत का फैसला नहीं है,बल्कि यह पूरे फ्रांसीसी समाज और उसकी लोकतांत्रिक व्यवस्था के लिए बड़ी चुनौती है। सरकोजी भले ही खुद को निर्दोष बताते हुए अपील करने की तैयारी में हों,लेकिन इस सजा ने फ्रांस की राजनीति में हलचल मचा दी है। अब यह देखना दिलचस्प होगा कि अपील प्रक्रिया में उन्हें कोई राहत मिलती है या वे वास्तव में जेल की सलाखों के पीछे पहुँच जाते हैं। जो भी हो,फिलहाल इतना साफ है कि यह फैसला फ्रांस के राजनीतिक इतिहास में एक महत्वपूर्ण और अभूतपूर्व घटना के रूप में दर्ज हो चुका है।