सियोल,29 सितंबर (युआईटीवी)- दक्षिण कोरिया के पूर्व राष्ट्रपति यून सूक येओल के खिलाफ चल रहे विद्रोह और सत्ता के दुरुपयोग के मामले में सोमवार को एक बार फिर दिलचस्प मोड़ देखने को मिला। यून लगातार 12वें सत्र में अदालत में पेश नहीं हुए। यह मामला दिसंबर में कथित विद्रोह की साजिश और मार्शल लॉ लागू करके राष्ट्रपति पद की शक्तियों के दुरुपयोग से जुड़ा है। उनकी अनुपस्थिति ने राजनीतिक हलकों से लेकर न्यायिक तंत्र तक बहस को तेज कर दिया है।
योनहाप समाचार एजेंसी की रिपोर्ट के अनुसार,सियोल सेंट्रल डिस्ट्रिक्ट कोर्ट की विशेष पीठ ने साफ कर दिया है कि अदालत दंड प्रक्रिया संहिता के तहत उनकी अनुपस्थिति में भी मुकदमा चलाएगी। अदालत ने कहा कि अगर कोई आरोपी जेल में है और बिना वैध कारण के लगातार पेशी से इनकार करता है तथा जेल प्रशासन के लिए उसे जबरन अदालत में लाना कठिन माना जाता है,तो न्यायिक प्रक्रिया उसकी मौजूदगी के बिना भी आगे बढ़ाई जा सकती है।
यून सूक येओल के वकीलों ने अदालत और मीडिया दोनों को यह सूचित किया कि उनके मुवक्किल की सेहत लगातार खराब है। वकीलों का कहना है कि पिछले सप्ताह अदालत में पेश होने के बाद से यून को चक्कर और उल्टी की शिकायत बनी हुई है। उनकी तबीयत बिगड़ने के कारण वह अदालत में उपस्थित नहीं हो पा रहे हैं। हालाँकि,विपक्षी खेमे और राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि यून अपनी रणनीति के तहत मुकदमे की कार्यवाही में देरी करना चाहते हैं।
दिलचस्प बात यह है कि यून ने पिछले सप्ताह ही एक अलग मुकदमे में अदालत की कार्यवाही में हिस्सा लिया था। यह मुकदमा भी उनके ऊपर लगे मार्शल लॉ से जुड़े आरोपों का हिस्सा है। दरअसल,यह नया मुकदमा कानूनी शर्तों के चलते शुरू किया गया था,जिसमें प्रारंभिक सुनवाई में आरोपी का उपस्थित होना अनिवार्य था। उसी दिन यून ने अपनी जमानत याचिका पर सुनवाई में भी हिस्सा लिया था और अदालत से अपनी रिहाई की गुहार लगाई थी,लेकिन विद्रोह और सत्ता दुरुपयोग से जुड़े मुख्य मामले में वह अब तक जुलाई में गिरफ्तारी के बाद से पेश होने से लगातार इनकार करते आ रहे हैं।
पूर्व राष्ट्रपति पर गंभीर आरोप लगे हैं कि उन्होंने दिसंबर में एक संगठित विद्रोह का नेतृत्व किया और देश में मार्शल लॉ लागू कर अपने पद और शक्तियों का दुरुपयोग किया। इस घटना ने पूरे दक्षिण कोरिया की राजनीति को हिला दिया था और लोकतांत्रिक व्यवस्था पर गंभीर सवाल खड़े कर दिए थे। गिरफ्तारी के बाद से यून लगातार चर्चा में बने हुए हैं,कभी अपनी सेहत को लेकर और कभी अदालत की कार्यवाही में अनुपस्थित रहने को लेकर।
कानूनी विशेषज्ञों का कहना है कि यून का अदालत में लगातार अनुपस्थित रहना उनकी स्थिति को और कठिन बना सकता है। यदि अदालत यह मान लेती है कि वह जानबूझकर पेशी से बच रहे हैं,तो उनके खिलाफ कठोर रुख अपनाया जा सकता है। दूसरी ओर,उनकी कानूनी टीम का कहना है कि यून की बीमारी वास्तविक है और अदालत को उनके मेडिकल हालात पर गौर करना चाहिए।
राजनीतिक स्तर पर भी इस मुकदमे ने गहरी हलचल पैदा कर दी है। पूर्व राष्ट्रपति का नाम आने से सरकार और विपक्ष के बीच टकराव बढ़ गया है। विपक्षी दल लगातार यह आरोप लगा रहे हैं कि यून अपने प्रभाव और संसाधनों का इस्तेमाल कर न्यायिक प्रक्रिया को प्रभावित करने की कोशिश कर रहे हैं। वहीं,उनके समर्थक यह तर्क दे रहे हैं कि यून को राजनीतिक प्रतिशोध का शिकार बनाया जा रहा है और यह मुकदमा लोकतांत्रिक मूल्यों के खिलाफ है।
सियोल सेंट्रल डिस्ट्रिक्ट कोर्ट की पीठ ने साफ किया है कि कानून के दायरे में रहते हुए मुकदमा समय पर पूरा किया जाएगा। अदालत का मानना है कि इस मामले को अनिश्चितकाल तक टाला नहीं जा सकता,खासकर तब जब आरोपी लगातार अनुपस्थित रहने की रणनीति अपना रहा हो। अब देखना यह होगा कि आने वाले दिनों में अदालत यून की जमानत याचिका पर क्या फैसला सुनाती है और विद्रोह से जुड़े मुख्य मुकदमे में उनकी अनुपस्थिति को किस तरह से हैंडल करती है।
दक्षिण कोरिया की जनता भी इस पूरे घटनाक्रम पर नजर बनाए हुए है। यून कभी देश के सर्वोच्च पद पर रह चुके हैं और अब उन पर लोकतांत्रिक व्यवस्था को खतरे में डालने जैसे गंभीर आरोप लगे हैं। ऐसे में अदालत का हर फैसला देश की राजनीति और न्यायिक व्यवस्था दोनों के लिए ऐतिहासिक महत्व का साबित हो सकता है।