दुबई,29 सितंबर (युआईटीवी)- भारत और पाकिस्तान के बीच खेले गए एशिया कप 2025 के फाइनल मुकाबले ने क्रिकेट प्रेमियों को वह रोमांच और उत्साह दिया,जिसकी उन्हें लंबे समय से प्रतीक्षा थी। दुबई इंटरनेशनल क्रिकेट स्टेडियम में खेले गए इस महामुकाबले में भारतीय टीम ने पाकिस्तान को 5 विकेट से हराकर न केवल अपनी बादशाहत कायम रखी,बल्कि यह दिखा दिया कि बड़े मौकों पर भारतीय खिलाड़ी किस तरह दबाव झेलते हुए जीत छीनने का हुनर रखते हैं। इस जीत के साथ भारत ने रिकॉर्ड 9वीं बार एशिया कप का खिताब जीता और अपनी श्रेष्ठता साबित की।
फाइनल मुकाबला शुरू से ही उतार-चढ़ाव से भरा हुआ था। टॉस हारकर पहले बल्लेबाजी करने उतरी पाकिस्तान टीम को उसके सलामी बल्लेबाजों साहिबजादा फरहान और फखर जमान ने मजबूत शुरुआत दिलाई। दोनों बल्लेबाजों ने पहले विकेट के लिए शानदार साझेदारी करते हुए भारतीय गेंदबाजों पर दबाव बनाने की कोशिश की। फरहान ने 38 गेंदों पर 57 रन बनाए,जिसमें 3 छक्के और 5 चौके शामिल थे। वहीं,फखर जमान ने 35 गेंदों पर 46 रन बनाए और अपने पुराने अंदाज में आक्रामक पारी खेली। इन दोनों की 84 रन की साझेदारी ने एक समय पाकिस्तान को बड़े स्कोर की तरफ बढ़ते हुए दिखाया।
लेकिन जैसे ही भारतीय गेंदबाजों को पहला विकेट मिला,मैच का रुख पूरी तरह बदल गया। फरहान और जमान के आउट होने के बाद पाकिस्तान के मध्यक्रम और निचले क्रम ने घुटने टेक दिए। भारतीय गेंदबाजों ने एकजुट होकर शानदार प्रदर्शन किया। कुलदीप यादव ने फिर साबित किया कि वह एशिया कप में भारत के लिए ट्रंप कार्ड हैं। उन्होंने 4 ओवर में 30 रन देकर 4 विकेट झटके और पाकिस्तान की बल्लेबाजी की रीढ़ तोड़ दी। उनके साथ अक्षर पटेल ने 4 ओवर में 26 रन देकर 2 विकेट लिए। वरुण चक्रवर्ती ने भी अपनी स्पिन का जादू दिखाया और 4 ओवर में 30 रन देकर 2 विकेट हासिल किए। जसप्रीत बुमराह ने नई गेंद से और डेथ ओवरों में शानदार गेंदबाजी करते हुए 2 विकेट लिए।
इस अनुशासित गेंदबाजी के सामने पाकिस्तान की पूरी टीम 19.1 ओवर में 146 रन पर सिमट गई। शुरुआती जोड़ी के बाद कोई भी बल्लेबाज भारतीय आक्रमण के सामने टिक नहीं सका। इस तरह भारत को खिताब जीतने के लिए 147 रन का लक्ष्य मिला।
भारत की पारी की शुरुआत निराशाजनक रही। टीम ने 20 रन तक अपने तीन महत्वपूर्ण विकेट खो दिए। सलामी बल्लेबाज अभिषेक शर्मा 5 रन बनाकर आउट हो गए। शुभमन गिल भी केवल 12 रन ही जोड़ सके। कप्तान सूर्यकुमार यादव महज 1 रन बनाकर पवेलियन लौट गए। तीन विकेट जल्दी गिरने से भारतीय खेमे में तनाव का माहौल था और पाकिस्तान को लगा कि उसने मैच पर पकड़ बना ली है।
लेकिन तभी तिलक वर्मा और संजू सैमसन ने मिलकर भारतीय पारी को संभाला। दोनों ने चौथे विकेट के लिए 57 रन जोड़े और पारी को स्थिर किया। सैमसन ने 21 गेंदों पर 24 रन बनाए और दबाव कम करने में अहम भूमिका निभाई। इसके बाद शिवम दुबे मैदान पर आए और तिलक के साथ मिलकर पाँचवें विकेट के लिए 60 रन की साझेदारी की। दुबे ने 22 गेंदों पर 33 रन की तेज पारी खेली और तिलक को स्ट्राइक देते रहे।
तिलक वर्मा ने इस मुश्किल परिस्थिति में अपने करियर की सबसे बेहतरीन पारी खेली। उन्होंने 53 गेंदों पर नाबाद 69 रन बनाए,जिसमें 4 छक्के और 3 चौके शामिल थे। तिलक ने संयम और आक्रामकता का बेहतरीन संतुलन दिखाया। जब टीम को स्थिरता की जरूरत थी,तब उन्होंने विकेट पर टिके रहकर रन बनाए और जब रन गति बढ़ाने की जरूरत थी,तब बड़े शॉट भी लगाए। उनके साथ अंत में रिंकू सिंह खड़े रहे,जिन्होंने केवल 1 गेंद पर चौका लगाकर भारत को जीत दिलाई। भारत ने 19.4 ओवर में 5 विकेट पर 150 रन बनाकर मैच अपने नाम किया और पाकिस्तान को एक बार फिर करारी शिकस्त दी।
इस जीत के बाद तिलक वर्मा को उनकी नाबाद 69 रनों की पारी के लिए “प्लेयर ऑफ द मैच” चुना गया। मैच के बाद उन्होंने कहा कि यह उनके करियर की सबसे खास पारियों में से एक है और इसे वह सभी भारतीयों को समर्पित करते हैं। उन्होंने बताया कि पाकिस्तान के गेंदबाज गति और लाइन में बदलाव कर रहे थे,जिससे रन बनाना आसान नहीं था,लेकिन उन्होंने अपने कोच गौतम गंभीर से सीखी गई बातें लागू कीं और शांत रहकर खेला। तिलक ने संजू सैमसन और शिवम दुबे की पारी की भी तारीफ की और कहा कि दोनों ने दबाव कम करने में बड़ी मदद की।
वहीं,पूरे टूर्नामेंट में लगातार शानदार प्रदर्शन करने वाले अभिषेक शर्मा को “प्लेयर ऑफ द सीरीज” चुना गया। उन्होंने कहा कि विश्व कप जीतने के बाद इस टीम में जगह बनाना आसान नहीं था,लेकिन उन्होंने अपने खेल पर कड़ी मेहनत की और कोच व कप्तान का पूरा सहयोग मिला। उन्होंने कहा कि उनकी योजना हमेशा पावरप्ले का अधिकतम इस्तेमाल करने की होती है और यदि स्पिनर गेंदबाजी करने आते हैं,तो वह पहली गेंद से ही आक्रामक रुख अपनाते हैं।
फाइनल मैच के दौरान सबसे बड़ा विवाद उस समय हुआ,जब भारतीय टीम ने एशिया कप की ट्रॉफी एसीसी के अध्यक्ष और पाकिस्तानी मूल के प्रशासक मोहसिन नकवी से लेने से इनकार कर दिया। इस कारण पुरस्कार वितरण समारोह लगभग एक घंटे तक रुका रहा। अंततः भारतीय टीम ने स्पष्ट कर दिया कि वह नकवी से ट्रॉफी नहीं लेगी। इसे पाकिस्तान की करारी बेइज्जती माना जा रहा है,जो हार से भी अधिक दर्दनाक है। यह घटना क्रिकेट के मैदान से बाहर भी दोनों देशों के बीच तनाव का संकेत देती है।
भारतीय टीम की इस जीत ने न केवल खिलाड़ियों का मनोबल ऊँचा किया है,बल्कि करोड़ों भारतीय प्रशंसकों को भी गर्व से भर दिया है। एशिया कप के इस खिताब ने यह संदेश दिया है कि भारत की टीम किसी भी परिस्थिति में ढलने और जीतने की क्षमता रखती है। चाहे शुरुआती झटके लगे हों या विपक्षी टीम ने मजबूत शुरुआत की हो,भारत ने हर बार संयम और टीमवर्क के दम पर जीत हासिल की।
भारत के लिए यह जीत खास इसलिए भी है क्योंकि यह सीधे आगामी टूर्नामेंटों के लिए आत्मविश्वास का आधार बनेगी। तिलक वर्मा जैसे युवा खिलाड़ियों का प्रदर्शन भविष्य में टीम इंडिया की ताकत को और बढ़ाएगा। वहीं,अभिषेक शर्मा की निरंतरता और कुलदीप यादव की घातक गेंदबाजी ने टीम को हर विभाग में मजबूत बनाया।
दुबई में खेले गए इस फाइनल को लंबे समय तक याद रखा जाएगा,एक तरफ पाकिस्तान की शानदार शुरुआत और दूसरी तरफ भारत की जबरदस्त वापसी। भारतीय क्रिकेट की यही खूबी है कि मुश्किल हालात में भी कोई न कोई हीरो उभरकर सामने आता है और टीम को जीत दिलाता है। इस बार यह हीरो तिलक वर्मा बने,जिनकी नाबाद पारी ने पूरे देश को जश्न मनाने का मौका दिया।