नई दिल्ली,30 सितंबर (युआईटीवी)- दिल्ली पुलिस की गिरफ्त में आए कथित धार्मिक गुरु बाबा चैतन्यानंद सरस्वती के खिलाफ जाँच के दौरान चौंकाने वाले खुलासे हो रहे हैं। लड़कियों के यौनशोषण और धोखाधड़ी के गंभीर आरोपों में गिरफ्तार किए गए बाबा न केवल पुलिस को सहयोग नहीं कर रहे,बल्कि पूछताछ के दौरान लगातार विरोधाभासी बयान देकर जाँच को गुमराह करने की कोशिश कर रहे हैं। पुलिस अधिकारियों का कहना है कि चैतन्यानंद पूछताछ में अपनी गलतियों को स्वीकार करने के बजाय झूठ बोलने की रणनीति अपनाए हुए हैं।
दिल्ली पुलिस सूत्रों के मुताबिक,गिरफ्तारी के बाद जब बाबा से पूछताछ शुरू हुई तो उसने शुरू में गोलमोल जवाब दिए और बार-बार सवाल टालने की कोशिश की,लेकिन जैसे ही पुलिस ने उसके मोबाइल फोन से मिले चैट्स,स्क्रीनशॉट्स और तस्वीरों को सामने रखा तो उसके चेहरे का रंग बदल गया। पुलिस को बाबा के फोन से कई लड़कियों के साथ बातचीत के रिकॉर्ड मिले हैं। इनमें एयर होस्टेस और अन्य युवतियों की तस्वीरें भी शामिल हैं,जिनके साथ बाबा ने खुद को दिखाने की कोशिश की। यहाँ तक कि बाबा के फोन में ऐसी तस्वीरें भी मिली हैं,जिन्हें लड़कियों की सोशल मीडिया डीपी से स्क्रीनशॉट लेकर सुरक्षित किया गया था।
पुलिस अधिकारियों का कहना है कि इन सबूतों को देखकर भी चैतन्यानंद ने सीधे-सीधे अपराध स्वीकार नहीं किया,बल्कि सफाई देते हुए कहा कि यह तस्वीरें और चैट्स उसके खिलाफ साजिश के तहत इस्तेमाल की जा रही हैं। हालाँकिम,जब पुलिस ने उनसे सख्ती से पूछताछ की तो उसने कुछ सवालों के जवाब देने शुरू किए,लेकिन उसके जवाबों में बार-बार विरोधाभास सामने आया। इससे साफ हो गया कि बाबा सच्चाई छिपाने की कोशिश कर रहा है।
मामले की गंभीरता को देखते हुए पुलिस ने चैतन्यानंद की दो महिला सहयोगियों को भी हिरासत में लिया है। अधिकारियों का मानना है कि इन सहयोगियों से पूछताछ करने और उन्हें बाबा के सामने लाने से कई अहम खुलासे हो सकते हैं। इन महिलाओं की भूमिका इस पूरे प्रकरण में संदिग्ध बताई जा रही है और माना जा रहा है कि वे बाबा की मदद से पीड़िताओं को फँसाने और उन्हें चुप कराने में शामिल रही हैं। पुलिस को उम्मीद है कि सहयोगियों से पूछताछ के बाद बाबा की असलियत और खुलकर सामने आएगी।
चैतन्यानंद की गिरफ्तारी के बाद पुलिस ने उसके अतीत और उसके नेटवर्क की भी गहन जाँच शुरू कर दी है। शुरुआती जाँच में यह बात सामने आई है कि बाबा ने अपनी धार्मिक और संत की छवि का इस्तेमाल लोगों को धोखा देने और युवतियों के साथ गलत तरीके से संबंध बनाने के लिए किया। वह कथित रूप से आध्यात्मिक प्रवचन और धार्मिक आयोजनों के बहाने युवतियों से संपर्क साधता था। इस दौरान वह उन्हें विश्वास में लेकर अपने जाल में फँसाने की कोशिश करता।
दिल्ली पुलिस का कहना है कि यह मामला केवल एक साधारण यौनशोषण का नहीं है,बल्कि एक धार्मिक वेश में छिपे अपराधी की असलियत का पर्दाफाश है। पुलिस ने अदालत को भी इस बारे में अवगत कराया है और आरोपी के बयान में आए विरोधाभास और उसके गैर-सहयोगी रवैये का हवाला दिया है। इसी आधार पर अदालत ने 28 सितंबर को चैतन्यानंद को 5 दिन की पुलिस हिरासत में भेजा था।
अधिकारियों के अनुसार,आने वाले दिनों में जाँच और गहरी हो सकती है,क्योंकि चैतन्यानंद के मोबाइल और अन्य डिजिटल डिवाइस से बरामद साक्ष्य एक बड़े नेटवर्क की ओर इशारा कर रहे हैं। पुलिस यह भी खंगाल रही है कि बाबा के संपर्क किन-किन प्रभावशाली लोगों से थे और क्या उन्हें इस कथित अपराध की जानकारी थी।
पूरे मामले ने दिल्ली ही नहीं,बल्कि देशभर में धार्मिक संस्थानों और कथित गुरुओं पर उठ रहे सवालों को और गहरा कर दिया है। कई सामाजिक संगठनों ने माँग की है कि ऐसे मामलों में आरोपियों को कठोर सजा दी जाए,ताकि समाज में फैली इस तरह की कुप्रथा और ढोंग की प्रवृत्ति पर लगाम लगाई जा सके।
फिलहाल पुलिस की पूरी कोशिश है कि चैतन्यानंद से पूछताछ के जरिए सच बाहर लाया जाए और पीड़िताओं को न्याय दिलाया जाए। हालाँकि,बाबा का लगातार बदलता रवैया और झूठ पर झूठ बोलने की आदत इस जाँच को चुनौतीपूर्ण बना रही है। इसके बावजूद पुलिस का दावा है कि उसके पास मौजूद सबूत इतने मजबूत हैं कि बाबा की असलियत किसी भी तरह छिपी नहीं रह पाएगी।
इस पूरे घटनाक्रम ने समाज को एक बार फिर सोचने पर मजबूर कर दिया है कि किस तरह धर्म के नाम पर छिपकर अपराध करने वाले लोगों से सावधान रहना जरूरी है। बाबा चैतन्यानंद का मामला इस बात का उदाहरण है कि दिखावे की आड़ में छिपी सच्चाई कितनी खतरनाक हो सकती है और कानून का शिकंजा आखिरकार ऐसे अपराधियों तक जरूर पहुँचता है।