मीराबाई चानू (तस्वीर क्रेडिट@KailashOnline)

मीराबाई चानू ने विश्व भारोत्तोलन चैंपियनशिप में सिल्वर मेडल जीतकर रचा इतिहास

हैदराबाद,3 अक्टूबर (युआईटीवी)- भारत की स्टार वेटलिफ्टर और ओलंपिक पदक विजेता मीराबाई चानू ने एक बार फिर अपने शानदार प्रदर्शन से देश का गौरव बढ़ाया है। नॉर्वे के फोर्डे में आयोजित विश्व भारोत्तोलन चैंपियनशिप में चानू ने 48 किलोग्राम वर्ग में कुल 199 किलोग्राम भार उठाकर रजत पदक हासिल किया। यह उनके करियर का तीसरा विश्व चैंपियनशिप पदक है,जिसने उन्हें भारत की सबसे सफल महिला भारोत्तोलकों में शुमार कर दिया है।

तीन साल बाद इस प्रतियोगिता में लौटने वाली चानू ने बेहतरीन प्रदर्शन करते हुए एक बार फिर पोडियम पर अपनी जगह बनाई। स्नैच में उन्होंने 84 किलोग्राम का भार सफलतापूर्वक उठाकर प्रतियोगिता की मजबूत शुरुआत की। हालाँकि,इसके बाद दो बार 87 किलोग्राम उठाने की कोशिश में वह सफल नहीं हो सकीं। बावजूद इसके,उन्होंने क्लीन एंड जर्क में अपना दबदबा बनाए रखा। पहले प्रयास में 109 किलोग्राम और फिर दूसरे प्रयास में 112 किलोग्राम का भार उठाकर उन्होंने अपनी लय पकड़ी। अंत में तीसरे प्रयास में उन्होंने 115 किलोग्राम का वजन उठाकर कुल 199 किलोग्राम के साथ रजत पदक सुनिश्चित किया।

इस श्रेणी में कोरिया की री सोंग-गम ने शानदार प्रदर्शन करते हुए 213 किलोग्राम (91 किलोग्राम + 122 किलोग्राम) का कुल भार उठाकर लगातार दूसरी बार स्वर्ण पदक अपने नाम किया। विशेष बात यह रही कि उन्होंने क्लीन एंड जर्क में 122 किलोग्राम वजन उठाकर विश्व रिकॉर्ड भी तोड़ दिया। वहीं,थान्याथोन सुकचारोएन ने 198 किलोग्राम (88 किलोग्राम + 110 किलोग्राम) के साथ कांस्य पदक जीता।

31 वर्षीय मीराबाई चानू का यह प्रदर्शन उनके करियर की निरंतरता और संघर्ष की गवाही देता है। वह 2017 में अमेरिका के कैलिफ़ोर्निया के अनाहेम में आयोजित विश्व भारोत्तोलन चैंपियनशिप में स्वर्ण पदक जीत चुकी हैं। उस समय उन्होंने 48 किलोग्राम वर्ग में शानदार लिफ्ट करते हुए भारत का नाम रोशन किया था। तीन साल बाद इस प्रतिष्ठित प्रतियोगिता में लौटना और फिर से पोडियम पर जगह बनाना उनके जज्बे और कड़ी मेहनत को दर्शाता है।

दिलचस्प बात यह है कि चानू ने टोक्यो ओलंपिक 2021 में भी 199 किलोग्राम (87 किलोग्राम स्नैच + 112 किलोग्राम क्लीन एंड जर्क) का ही वजन उठाया था,लेकिन उस समय वह चौथे स्थान पर रुक गई थीं। इस बार हालाँकि उन्होंने वही वजन उठाकर विश्व स्तर पर सिल्वर मेडल अपने नाम किया। यह इस बात का संकेत है कि वह अब भी दुनिया की शीर्ष भारोत्तोलकों में शुमार हैं और आगे भी बड़ी उपलब्धियों के लिए तैयार हैं।

मणिपुर की इस खिलाड़ी की उपलब्धियों की लंबी सूची है। उन्होंने अब तक 14 अंतर्राष्ट्रीय पदक अपने नाम किए हैं। इनमें टोक्यो ओलंपिक का रजत,राष्ट्रमंडल खेलों में तीन पदक (2018 और 2022 में स्वर्ण, 2014 में रजत),राष्ट्रमंडल चैंपियनशिप में पाँच पदक (चार स्वर्ण और एक रजत),2020 एशियाई चैंपियनशिप में कांस्य और 2016 दक्षिण एशियाई खेलों में स्वर्ण शामिल हैं। इन उपलब्धियों ने उन्हें भारतीय खेल इतिहास की सबसे सफल वेटलिफ्टर बना दिया है।

विश्व भारोत्तोलन चैंपियनशिप 2025 में उनके प्रदर्शन ने यह भी साफ कर दिया है कि चानू का करियर अभी खत्म नहीं हुआ है। चोटों से जूझने और लंबे अंतराल के बाद भी उन्होंने साबित कर दिया कि वह आज भी वैश्विक स्तर पर प्रतिस्पर्धा करने की क्षमता रखती हैं। उनका यह सिल्वर मेडल भारतीय भारोत्तोलन के भविष्य के लिए भी उम्मीद की नई किरण है।

री सोंग-गम जैसी खिलाड़ी के खिलाफ मुकाबला करना आसान नहीं था,क्योंकि उन्होंने एक बार फिर अपनी श्रेष्ठता साबित करते हुए नया रिकॉर्ड बनाया। इसके बावजूद चानू ने आत्मविश्वास और दृढ़ निश्चय से प्रतियोगिता पूरी की। वहीं,कांस्य पदक विजेता थान्याथोन सुकचारोएन भी कुल मिलाकर चानू से सिर्फ एक किलोग्राम पीछे रहीं। यह आँकड़ें बताते हैं कि प्रतियोगिता कितनी रोमांचक और कड़ी थी।

भारतीय खेल जगत में मीराबाई चानू का यह सिल्वर मेडल बड़ी राहत और गर्व की बात है। यह ऐसे समय पर आया है जब भारत पेरिस ओलंपिक 2028 की तैयारियों को लेकर रणनीति बना रहा है। विशेषज्ञ मानते हैं कि चानू की यह उपलब्धि युवा वेटलिफ्टरों को भी प्रेरणा देगी। उनकी फिटनेस और प्रशिक्षण पर ध्यान देने की क्षमता ने उन्हें लगातार अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर प्रासंगिक बनाए रखा है।

नॉर्वे में जीते गए इस सिल्वर मेडल ने एक बार फिर यह साबित किया कि मीराबाई चानू सिर्फ एक खिलाड़ी नहीं,बल्कि भारतीय खेलों की पहचान बन चुकी हैं। उनका हर लिफ्ट केवल उनके लिए नहीं,बल्कि पूरे देश के लिए गर्व का क्षण होता है। जब भी वह भारोत्तोलन मंच पर कदम रखती हैं,तो करोड़ों भारतीयों की उम्मीदें उनके साथ जुड़ जाती हैं।

इस जीत ने यह भी संदेश दिया है कि भारत अब वेटलिफ्टिंग में भी उन देशों के साथ कदमताल कर रहा है,जिनका इस खेल में लंबा इतिहास और परंपरा रही है। मीराबाई चानू का यह प्रदर्शन न केवल उनके व्यक्तिगत करियर के लिए मील का पत्थर है,बल्कि भारतीय खेलों के भविष्य को नई दिशा देने वाला भी है।

आगामी महीनों में उनके सामने और भी चुनौतियाँ होंगी,खासकर ओलंपिक क्वालिफायर टूर्नामेंट और अन्य अंतर्राष्ट्रीय प्रतियोगिताएँ,लेकिन उनकी वर्तमान लय और आत्मविश्वास यह संकेत दे रहे हैं कि वह इन चुनौतियों के लिए पूरी तरह तैयार हैं। नॉर्वे की धरती पर जीता गया यह सिल्वर मेडल मीराबाई चानू के सुनहरे करियर में एक और चमकदार अध्याय जोड़ गया है और आने वाले वर्षों में उनसे स्वर्णिम सफलता की उम्मीदें और भी बढ़ गई हैं।