नई दिल्ली,3 अक्टूबर (युआईटीवी)- केंद्रीय वाणिज्य और उद्योग मंत्री पीयूष गोयल ने शुक्रवार को सिंगापुर के प्रधानमंत्री लॉरेंस वोंग से मुलाकात की,जिसमें दोनों देशों के बीच आर्थिक और तकनीकी सहयोग को नई दिशा देने पर व्यापक चर्चा हुई। इस बैठक में आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (एआई) जैसी उभरती तकनीकों से लेकर इंडस्ट्रियल पार्क के विकास तक कई अहम मुद्दों पर विचार-विमर्श किया गया। यह मुलाकात दोनों देशों की व्यापक रणनीतिक साझेदारी को और गहरा करने और भविष्य में विकास की गति को तेज करने की दिशा में महत्वपूर्ण कदम मानी जा रही है।
पीयूष गोयल ने बैठक के बाद सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर जानकारी साझा करते हुए लिखा कि भारत और सिंगापुर के बीच व्यापक रणनीतिक साझेदारी को मजबूत करने पर चर्चा हुई है। इसमें भविष्य की विकास संभावनाओं पर भी ध्यान केंद्रित किया गया। वहीं,प्रधानमंत्री वोंग ने भी अपने जवाब में कहा कि दोनों देशों ने इंडस्ट्रियल पार्क विकसित करने से लेकर एआई जैसी उभरती तकनीकों तक साझेदारी को गहरा करने पर सकारात्मक बातचीत की। वोंग ने इस चर्चा को उत्साहजनक करार देते हुए कहा कि भारत और सिंगापुर के बीच आर्थिक रिश्तों में अब और मजबूती आएगी।
केंद्रीय मंत्री गोयल ने सिंगापुर एयरलाइंस इंजीनियरिंग कंपनी (एसआईएईसी) के सीईओ चिन याउ सेंग से भी विशेष मुलाकात की। इस बैठक का फोकस विमानन रखरखाव, मरम्मत और ओवरहाल (एमआरओ) क्षेत्र में भारत और सिंगापुर के बीच सहयोग को मजबूत करना था। भारत का एयरोस्पेस सेक्टर तेजी से विस्तार कर रहा है और इस क्षेत्र में निवेश,नवाचार और कौशल विकास को लेकर अपार संभावनाएँ मौजूद हैं। गोयल ने इस बैठक में भारत के बढ़ते एयरोस्पेस इकोसिस्टम को वैश्विक स्तर पर और प्रतिस्पर्धी बनाने की दिशा में साझेदारी की संभावनाओं पर जोर दिया। उन्होंने कहा कि सिंगापुर का अनुभव और भारत का विस्तारशील बाजार मिलकर इस क्षेत्र में नए अवसरों को जन्म देंगे।
Delighted to call on H.E. @LawrenceWongST, Prime Minister of Singapore.
Discussions reaffirmed our commitment to further strengthen our comprehensive strategic partnership, building on the strong momentum and vast potential for future growth. 🇮🇳🇸🇬 pic.twitter.com/gJ4w5Wp0YY
— Piyush Goyal (@PiyushGoyal) October 3, 2025
इसके अलावा,केंद्रीय मंत्री ने कैपिटलैंड इन्वेस्टमेंट के ग्रुप सीईओ ली ची कून और वरिष्ठ कार्यकारी निदेशक मनोहर खियातानी से भी मुलाकात की। इस बातचीत का केंद्र भारत में सतत शहरी विकास और बुनियादी ढाँचे का विस्तार था। विशेष रूप से लॉजिस्टिक्स,वेयरहाउसिंग और डेटा सेंटर जैसे क्षेत्रों में सहयोग पर जोर दिया गया। गोयल ने कहा कि भारत अपनी विकास गाथा को नई ऊँचाइयों पर ले जाने के लिए रणनीतिक साझेदारी और अंतर्राष्ट्रीय सहयोग को प्राथमिकता दे रहा है। इस संदर्भ में,सिंगापुर की कंपनियों के पास भारत में निवेश करने और दीर्घकालिक लाभ उठाने का शानदार अवसर है।
भारत और सिंगापुर के बीच हाल के दिनों में उच्च स्तरीय मुलाकातों और चर्चाओं की श्रृंखला देखी गई है। पिछले महीने प्रधानमंत्री लॉरेंस वोंग ने नई दिल्ली का दौरा किया था,जहाँ उन्होंने वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण से मुलाकात की थी। उस दौरान दोनों नेताओं ने तीसरे भारत-सिंगापुर मंत्रिस्तरीय गोलमेज सम्मेलन के परिणामों पर चर्चा की थी। इसमें सीमा पार डेटा प्रवाह,पूँजी बाजारों में सहयोग और डिजिटल वित्तीय सेवाओं जैसे अहम मुद्दों को शामिल किया गया था। वोंग ने एक्स पर पोस्ट कर कहा था कि भारत और सिंगापुर के लिए अपने वित्तीय और डिजिटल संबंधों को मजबूत करने की अपार संभावनाएँ हैं और दोनों देश मिलकर इन अवसरों का लाभ उठा सकते हैं।
भारत और सिंगापुर की साझेदारी को व्यापक रणनीतिक साझेदारी का दर्जा प्राप्त है। बीते वर्षों में दोनों देशों ने व्यापार,निवेश,रक्षा,प्रौद्योगिकी और शिक्षा के क्षेत्रों में गहन सहयोग किया है। भारत एशिया में सिंगापुर को अपने सबसे भरोसेमंद साझेदारों में मानता है,जबकि सिंगापुर ने भी बार-बार भारत की आर्थिक विकास यात्रा का हिस्सा बनने की इच्छा जताई है। वर्तमान दौर में जब वैश्विक अर्थव्यवस्था नए अवसरों और चुनौतियों से गुजर रही है,भारत और सिंगापुर का यह सहयोग क्षेत्रीय और वैश्विक स्थिरता में भी योगदान देगा।
विशेषज्ञों का मानना है कि आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस,डेटा सेंटर और इंडस्ट्रियल पार्क जैसे क्षेत्रों में सहयोग से दोनों देशों को तकनीकी और औद्योगिक विकास में लाभ मिलेगा। भारत जहाँ विशाल बाजार और तेजी से बढ़ती डिजिटल अर्थव्यवस्था प्रदान करता है,वहीं सिंगापुर के पास उच्च तकनीकी दक्षता और वैश्विक निवेश आकर्षित करने की क्षमता है। दोनों के बीच यह सामंजस्य एशिया की आर्थिक परिदृश्य को और मजबूत करेगा।
पीयूष गोयल और प्रधानमंत्री लॉरेंस वोंग की मुलाकात भारत-सिंगापुर संबंधों में नई ऊर्जा का संचार करती है। एआई से लेकर शहरी विकास और विमानन सहयोग तक विस्तृत चर्चाएँ इस बात की ओर इशारा करती हैं कि आने वाले समय में दोनों देशों के बीच न केवल आर्थिक बल्कि तकनीकी और औद्योगिक रिश्ते भी ग़हराएँगे। यह साझेदारी न सिर्फ दोनों देशों के लिए,बल्कि पूरे एशिया-प्रशांत क्षेत्र की आर्थिक प्रगति और स्थिरता के लिए भी महत्वपूर्ण होगी।