राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप (तस्वीर क्रेडिट@SushilP66359876)

गाजा में शांति की ओर बड़ा कदम: इजरायल-हमास ने ट्रंप के ‘पीस प्लान’ के पहले चरण पर जताई सहमति,भारत ने किया स्वागत

वाशिंगटन,10 अक्टूबर (युआईटीवी)- गाजा में लंबे समय से चल रहे खूनी संघर्ष को खत्म करने की दिशा में एक ऐतिहासिक कदम उठाया गया है। अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के शांति प्रस्ताव “पीस प्लान” के पहले चरण पर इजरायल और हमास दोनों ने सहमति जताई है। इस योजना के तहत फिलहाल युद्धविराम लागू किया जाएगा,इजरायली सेना गाजा पट्टी से सीमित क्षेत्र तक पीछे हटेगी और इसके बाद हमास सभी बंधकों को रिहा करेगा। इस शांति प्रक्रिया की निगरानी के लिए अमेरिका ने 200 सैनिकों की एक टीम तैनात करने की घोषणा की है।

यह समझौता मध्य पूर्व में स्थायी शांति की दिशा में एक अहम मोड़ माना जा रहा है। अमेरिकी प्रशासन के अनुसार, यह केवल “पहला चरण” है और आगे भी कई चरणों में शांति और स्थिरता सुनिश्चित करने की कोशिशें जारी रहेंगी।

अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने कई महीनों से इजरायल और हमास के बीच वार्ता के लिए दबाव बनाया हुआ था। अंततः उनकी पहल रंग लाई और दोनों पक्षों ने “प्रारंभिक शांति समझौते” पर हस्ताक्षर कर दिए। इस चरण में तय हुआ है कि इजरायली डिफेंस फोर्स (आईडीएफ) गाजा पट्टी से एक निश्चित सीमा के भीतर पीछे हटेगी।

इसके 72 घंटे बाद हमास सभी बंधकों को रिहा करेगा। इस बीच दोनों पक्ष किसी भी तरह की सैन्य कार्रवाई नहीं करेंगे। इस व्यवस्था की निगरानी के लिए अमेरिका की ओर से 200 सैनिकों की तैनाती की जाएगी,जो सीजफायर के क्रियान्वयन और पालन पर नज़र रखेंगे।

इजरायली मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक,अमेरिकी सेना की मध्य कमान (सेंटकॉम) के प्रमुख एडमिरल ब्रैड कूपर इस पूरी निगरानी प्रक्रिया का नेतृत्व करेंगे। वह शुरुआत में 200 अमेरिकी सैनिकों को मिडिल ईस्ट में तैनात करेंगे।

इन सैनिकों का काम केवल निरीक्षण और निगरानी का होगा यानी यह सुनिश्चित करना कि इजरायल और हमास के बीच हुए समझौते का कोई उल्लंघन न हो। अमेरिकी अधिकारियों ने यह भी स्पष्ट किया है कि किसी भी अमेरिकी सैनिक को गाजा पट्टी के भीतर प्रवेश नहीं कराया जाएगा।

इस टीम में मिस्र,कतर,तुर्किए और संयुक्त अरब अमीरात (यूएई) के सैन्य अधिकारियों को भी शामिल किया जाएगा,ताकि क्षेत्रीय प्रतिनिधित्व और पारदर्शिता बनी रहे।

भारत ने इस ऐतिहासिक समझौते का स्वागत किया है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने गुरुवार रात सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स (X) पर इजरायल के प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू और अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप को बधाई दी।

पीएम मोदी ने लिखा, “राष्ट्रपति ट्रंप की गाजा शांति योजना के तहत हुई प्रगति पर बधाई देने के लिए अपने मित्र, प्रधानमंत्री नेतन्याहू को फोन किया। हम बंधकों की रिहाई और गाजा के लोगों को मानवीय सहायता बढ़ाने पर हुए समझौते का स्वागत करते हैं। इस बात पर जोर दिया कि दुनिया में कहीं भी किसी भी रूप या स्वरूप में आतंकवाद अस्वीकार्य है।”

इसके अलावा, प्रधानमंत्री मोदी ने राष्ट्रपति ट्रंप से भी बात की और उनकी कूटनीतिक पहल की सराहना की। उन्होंने पोस्ट में कहा, “मैंने अपने मित्र राष्ट्रपति ट्रंप से बात की और ऐतिहासिक गाजा शांति योजना की सफलता पर उन्हें बधाई दी। दोनों नेताओं ने व्यापार वार्ता में हुई अच्छी प्रगति की भी समीक्षा की और आने वाले हफ्तों में निकट संपर्क में रहने पर सहमति जताई।”

भारत ने हमेशा से मध्य पूर्व में स्थायी शांति और संवाद को बढ़ावा देने का समर्थन किया है। पीएम मोदी के बयानों से यह स्पष्ट होता है कि नई दिल्ली इस पहल को वैश्विक स्थिरता के लिए एक सकारात्मक कदम मानती है।

अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने व्हाइट हाउस में प्रेस कॉन्फ्रेंस के दौरान कहा कि शांति योजना का यह केवल पहला चरण है। उन्होंने कहा, “लोग अब किसी भी चीज़ से ज़्यादा यही चाहते हैं — शांति। हमास कुछ अहम बातों पर सहमत हुआ है और मुझे लगता है कि यह काफी अच्छी तरह आगे बढ़ेगा,लेकिन अभी बहुत कुछ बातचीत के लिए बाकी है।”

ट्रंप प्रशासन ने संकेत दिया है कि आने वाले महीनों में “दूसरा चरण” शुरू किया जाएगा,जिसमें गाजा पट्टी के पुनर्निर्माण,मानवीय सहायता वितरण और सीमा सुरक्षा व्यवस्था पर ध्यान केंद्रित किया जाएगा।

गाजा में इजरायल और हमास के बीच जारी संघर्ष ने पिछले दो वर्षों में हजारों जानें ली हैं। इस दौरान गाजा पट्टी का बड़ा हिस्सा खंडहर में बदल गया,जबकि इजरायली सीमा क्षेत्रों पर भी भारी नुकसान हुआ। अंतर्राष्ट्रीय दबाव लगातार बढ़ रहा था कि दोनों पक्ष युद्धविराम पर सहमत हों।

ट्रंप प्रशासन की यह पहल न केवल मध्य पूर्व बल्कि वैश्विक राजनीति में भी एक बड़ी उपलब्धि के रूप में देखी जा रही है। इससे अमेरिका की मध्य पूर्व में घटती कूटनीतिक भूमिका को भी नया आयाम मिला है।

शांति वार्ता को आगे बढ़ाने में मिस्र और कतर ने भी अहम भूमिका निभाई। दोनों देशों ने कई बार हमास के प्रतिनिधियों और इजरायली अधिकारियों के बीच संवाद स्थापित करने में मदद की। अमेरिकी अधिकारियों ने भी इन देशों की भूमिका की सराहना की है और कहा कि बिना उनके सहयोग के यह समझौता संभव नहीं था।

विश्लेषकों का मानना है कि ट्रंप का “पीस प्लान” अगर सफल होता है,तो यह मध्य पूर्व में दशकों से चले आ रहे संघर्ष को खत्म करने की दिशा में ऐतिहासिक उपलब्धि साबित होगा। हालाँकि, चुनौतियाँ अभी भी बहुत हैं,खासकर यह सुनिश्चित करना कि दोनों पक्ष शर्तों का पूरी तरह पालन करें।

सीजफायर की निगरानी में अमेरिका की सक्रिय भूमिका से यह उम्मीद की जा रही है कि आने वाले समय में गाजा क्षेत्र में मानवीय सहायता सुचारु रूप से पहुँच सकेगी और आम लोगों के जीवन में स्थिरता लौटेगी।

गाजा में यह समझौता न केवल अमेरिका और इजरायल के लिए बल्कि पूरे विश्व के लिए एक राहत भरी खबर है। डोनाल्ड ट्रंप की मध्यस्थता,क्षेत्रीय देशों की भागीदारी और भारत जैसे लोकतांत्रिक देशों का समर्थन — इन सबने मिलकर एक नए युग की संभावनाएँ जगाई हैं।

अगर यह योजना आगे के चरणों में भी सफल होती है,तो यह न केवल गाजा,बल्कि पूरे मध्य पूर्व के लिए शांति और विकास का नया अध्याय साबित हो सकता है।