वाशिंगटन,10 अक्टूबर (युआईटीवी)- अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने स्पष्ट कर दिया है कि अगर स्पेन अपना रक्षा बजट नहीं बढ़ाता है,तो उसे नाटो से बाहर कर देना चाहिए। यह बयान उन्होंने व्हाइट हाउस में फिनलैंड के राष्ट्रपति अलेक्जेंडर स्टब के साथ बैठक के दौरान पत्रकारों से बातचीत में दिया। ट्रंप ने कहा, “स्पेन के पास अब कोई बहाना नहीं है। वह पीछे रह गया है… सच कहूँ तो शायद उसे नाटो से निकाल देना चाहिए।” इस बयान ने अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर चर्चा का नया विषय खड़ा कर दिया है।
ट्रंप का यह बयान ऐसे समय में आया है,जब नाटो के 32 सदस्य देशों ने जून में अगले दशक तक अपने रक्षा खर्च को सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) के 5 प्रतिशत तक बढ़ाने पर सहमति जताई थी। यह निर्णय मुख्य रूप से ट्रंप के दबाव में लिया गया था,जिन्होंने नाटो के सदस्यों को चेतावनी दी थी कि अगर उन्होंने इस लक्ष्य को स्वीकार नहीं किया,तो उनके देशों पर अमेरिकी व्यापार और सुरक्षा सहयोग के क्षेत्रों में असर पड़ सकता है।
स्पेन का इस मामले में रुख बिल्कुल स्पष्ट है। स्पेन के प्रधानमंत्री पेड्रो सांचेज़ ने इस प्रस्ताव को खारिज कर दिया और इसे अपने देश के सामाजिक कल्याण मॉडल और जीवन दृष्टि के खिलाफ बताया। सांचेज़ ने कहा कि इतनी बड़ी राशि केवल रक्षा पर खर्च करना उनके कल्याणकारी राज्य और समाज की प्राथमिकताओं के अनुकूल नहीं है। उन्होंने यह भी स्पष्ट किया कि स्पेन को इस निर्धारित लक्ष्य तक पहुँचने की जरूरत नहीं है।
विशेषज्ञों के अनुसार,स्पेन पहले से ही नाटो देशों में सबसे कम रक्षा खर्च करने वाले देशों में शामिल है। इसके बावजूद,ट्रंप ने बार-बार नाटो के भीतर देशों पर दबाव बनाया कि वे अपनी सुरक्षा क्षमताओं को बढ़ाएँ और अमेरिकी नेतृत्व के प्रति अपने सहयोग को मजबूत करें। उन्होंने यह भी संकेत दिया कि नाटो में अमेरिका की भागीदारी और निवेश तभी सार्थक बनेगी जब अन्य सदस्य देश भी अपनी जिम्मेदारी निभाएं।
पिछले जून में नाटो ने सदस्य देशों से यह वादा करवाया था कि वे अगले दस वर्षों में अपने रक्षा बजट में महत्वपूर्ण वृद्धि करेंगे। ट्रंप ने इसे अमेरिकी सुरक्षा हितों के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण कदम बताया और कहा कि नाटो के सदस्य देशों का आर्थिक योगदान अमेरिका के समान स्तर पर होना चाहिए। उनका तर्क है कि अमेरिका नाटो के सबसे बड़े सैन्य खर्च करने वाले देश के रूप में अन्य देशों से समान सहयोग की उम्मीद करता है।
स्पेन के रुख और ट्रंप के बयान के बीच अंतर ने नाटो के अंदर भी विवाद पैदा कर दिया है। नाटो के विशेषज्ञों और विश्लेषकों का कहना है कि ट्रंप का यह प्रस्ताव बहुत ही सख्त और कुछ हद तक विवादास्पद है। हालाँकि,ट्रंप का तर्क है कि अगर किसी सदस्य देश ने अपने दायित्व पूरे नहीं किए,तो यह संगठन के सामूहिक सुरक्षा उद्देश्यों के लिए खतरा बन सकता है।
ट्रंप ने अपने बयान में यह भी कहा कि नाटो का मुख्य उद्देश्य सदस्य देशों की सुरक्षा सुनिश्चित करना है,लेकिन इसके लिए सभी देशों का समान रूप से योगदान होना आवश्यक है। उन्होंने यह जोर दिया कि अमेरिका नाटो में निवेश कर रहा है और अन्य देशों को भी समान स्तर की प्रतिबद्धता दिखानी होगी। उन्होंने स्पेन पर विशेष रूप से ध्यान केंद्रित किया क्योंकि यह देश नाटो के भीतर कम खर्च करने वाले देशों में शामिल है।
अंतर्राष्ट्रीय राजनीतिक विश्लेषकों का कहना है कि ट्रंप का यह बयान अमेरिका की कड़ा रुख अपनाने वाली विदेश नीति का हिस्सा है। उन्होंने नाटो के भीतर सदस्य देशों को चेतावनी दी है कि अगर वे सहयोग नहीं करेंगे तो परिणाम भुगतने होंगे। इस प्रकार के बयान से नाटो के भीतर राजनीतिक और कूटनीतिक गतिरोध भी पैदा हो सकते हैं।
स्पेन और अन्य नाटो सदस्य देशों के बीच यह मुद्दा भविष्य में और अधिक चर्चा का विषय बनेगा। जबकि स्पेन ने सामाजिक और आर्थिक कारणों का हवाला देते हुए अपने रक्षा खर्च में वृद्धि से इनकार किया है।अमेरिका नाटो में समान योगदान के महत्व को बार-बार दोहरा रहा है। यह बहस नाटो की रणनीतिक दिशा,सदस्य देशों के सहयोग और अमेरिका की वैश्विक सुरक्षा नीतियों पर असर डाल सकती है।
विशेषज्ञों का मानना है कि अगर अमेरिका की चेतावनी को गंभीरता से लिया जाए,तो नाटो के सदस्य देशों के बीच नीति निर्धारण में तनाव बढ़ सकता है। वहीं,ट्रंप का रुख यह संकेत देता है कि वे सख्ती और दबाव के माध्यम से नाटो सदस्यों से अधिक सहयोग चाहते हैं। इस स्थिति में यह देखना महत्वपूर्ण होगा कि स्पेन और अन्य सदस्य देश कैसे प्रतिक्रिया देते हैं और नाटो के भीतर सामूहिक सुरक्षा और वित्तीय योगदान की दिशा में क्या निर्णय लिए जाते हैं।
ट्रंप का स्पेन को नाटो से बाहर करने का सुझाव और रक्षा खर्च बढ़ाने पर जोर, अंतर्राष्ट्रीय सुरक्षा और राजनीतिक संवाद में नए विवाद और बहस का कारण बन सकता है। यह स्पष्ट करता है कि अमेरिका नाटो के भीतर समान सहयोग और साझा जिम्मेदारी को लेकर कितनी गंभीरता से रुख अपनाए हुए है।
