लिमा,11 अक्टूबर (युआईटीवी)- पेरू में राजनीतिक घटनाक्रम तेज़ी से आगे बढ़ते हुए नया मोड़ ले लिया है। कांग्रेस नेता जोस जेरी ने देश के राष्ट्रपति के रूप में शपथ ग्रहण कर ली है। यह शपथ ग्रहण समारोह उस समय संपन्न हुआ,जब संसद ने तत्कालीन राष्ट्रपति दीना बोलुआर्टे को उनके पद से हटा दिया। बोलुआर्टे के खिलाफ महाभियोग प्रस्ताव को संसद ने शुक्रवार को पारित कर दिया,जिससे पेरू की राजनीतिक परिदृश्य में बदलाव आ गया।
इससे पहले गुरुवार रात संसद में बोलुआर्टे के खिलाफ महाभियोग प्रस्ताव पर मतदान होना था। संसद ने उन्हें मौका दिया कि वे अपनी रक्षा के लिए सत्र में उपस्थित हों। हालाँकि,बोलुआर्टे इस बैठक में शामिल नहीं हुईं,जिससे कांग्रेस के पास उन्हें हटाने के लिए पर्याप्त बहुमत सुनिश्चित हो गया। समाचार एजेंसी सिन्हुआ के अनुसार,इस कदम के बाद संसद ने उनके खिलाफ महाभियोग प्रस्ताव को पारित किया।
38 वर्षीय जोस जेरी ने आधी रात के बाद राष्ट्रपति पद की शपथ ली। शपथ ग्रहण के दौरान उन्होंने वादा किया कि वे 26 जुलाई 2026 तक देश की सेवा करेंगे। अपने शपथ ग्रहण के बाद एक संक्षिप्त टेलीविजन संबोधन में जेरी ने कहा कि उन्होंने संविधान और कानूनी प्रक्रिया का पालन करते हुए पद संभाला है,क्योंकि उपराष्ट्रपति की अनुपस्थिति में उन्हें बोलुआर्टे की जगह राष्ट्रपति पद की जिम्मेदारी सँभालनी पड़ी।
जोस जेरी ने अपने संबोधन में देश में बढ़ते अपराध के मुद्दे पर तत्काल कार्रवाई करने का भरोसा दिलाया। उन्होंने कहा कि अपराध आज पेरूवासियों के लिए सबसे बड़ा खतरा बन गया है और इस लड़ाई को राष्ट्रीय पुलिस और सेना की मदद से लड़ा जाएगा। जेरी ने अपराध के खिलाफ अपने प्रशासन की रणनीति पर जोर देते हुए कहा, “ये आपराधिक संगठन हमारे आज के शत्रु हैं।”
इसके साथ ही जेरी ने वर्ष 2026 में देश में पारदर्शी,निष्पक्ष और कानूनी चुनाव कराने का आश्वासन दिया। उनके अनुसार इन चुनावों में नए राष्ट्रपति,संसद और सीनेट का चुनाव होगा। यह कदम पेरू में राजनीतिक स्थिरता और लोकतांत्रिक प्रक्रिया को मजबूत करने के प्रयास के रूप में देखा जा रहा है। जेरी ने कहा कि उनके नेतृत्व में प्रशासन देश की सुरक्षा और सामाजिक व्यवस्था को सर्वोपरि रखेगा।
जोस जेरी ने इससे पहले 26 जुलाई से संसद के अध्यक्ष के रूप में कार्य किया है। उनका शपथ ग्रहण पेरू के लिए एक नए राजनीतिक अध्याय की शुरुआत के रूप में माना जा रहा है। देशवासियों की नजरें अब इस बात पर टिकी हैं कि जेरी अपने संबोधन और आश्वासनों के अनुरूप कैसे प्रशासनिक और सुरक्षा चुनौतियों का सामना करते हैं।
वहीं,संसद द्वारा हटाए जाने के तुरंत बाद दीना बोलुआर्टे ने राष्ट्रपति भवन से देश को संबोधित किया। उन्होंने संसद के इस कदम को लोकतांत्रिक स्थिरता के लिए खतरा बताया। बोलुआर्टे ने कहा कि वही संसद,जिसने 2022 के अंत में उन्हें राष्ट्रपति पद की शपथ दिलाई थी,आज उन्हें हटाने का निर्णय ले रही है। उन्होंने जनता से कहा कि उन्होंने हमेशा देश में एकता और लोकतंत्र को बनाए रखने की अपील की है।
बोलुआर्टे की पॉलिटिकल यात्रा विवादों से भरी रही है। 63 वर्षीय बोलुआर्टे जनता में अत्यधिक अलोकप्रिय मानी जाती थीं। उनके जनस्वीकृति रेटिंग 2 प्रतिशत से 4 प्रतिशत के बीच दर्ज की गई थी। उनके खिलाफ पद के दुरुपयोग के आरोप भी लगे थे,हालाँकि,बोलुआर्टे ने सभी आरोपों का खंडन किया। उनका हटाया जाना लंबे समय से राजनीतिक गलियारों में चर्चा का विषय था।
पेरू की जनता के लिए यह बदलाव उम्मीद और चुनौतियों के मिश्रण के रूप में सामने आया है। देश में बढ़ते अपराध,राजनीतिक अस्थिरता और सार्वजनिक विश्वास की कमी जैसे मुद्दे नए राष्ट्रपति जेरी के सामने प्राथमिक चुनौतियाँ होंगी। विशेषज्ञों का मानना है कि जेरी के नेतृत्व में प्रशासन को न केवल कानून व्यवस्था को मजबूत करना होगा,बल्कि संसद और अन्य संवैधानिक संस्थाओं के साथ तालमेल बनाकर देश में लोकतंत्र की स्थिरता बनाए रखनी होगी।
जोस जेरी की शपथ ग्रहण के साथ ही पेरू ने एक नए राजनीतिक युग की शुरुआत की है। उनके पहले संबोधन ने देशवासियों को यह आश्वस्त किया है कि सरकार अपराध नियंत्रण,सार्वजनिक सुरक्षा और आगामी चुनावों में पारदर्शिता के मुद्दों पर गंभीर है। अब यह देखना होगा कि जेरी अपने वादों को कितनी प्रभावशीलता से लागू कर पाते हैं और पेरू को राजनीतिक स्थिरता और सामाजिक सुरक्षा की दिशा में कैसे अग्रसर करते हैं।
इस बदलाव ने पेरू में राजनीतिक दलों,संसद और जनता के बीच नई उम्मीद और तनाव दोनों को जन्म दिया है। देश की आँखें अब नए प्रशासन की नीतियों और उनके प्रभावों पर टिकी हैं,जो पेरू की राजनीतिक दिशा और लोकतांत्रिक संस्थाओं की मजबूती तय करेंगे।
