ग्रुप कैप्टन सैकत चौधुरी (सेवानिवृत्त) भारतीय वायुसेना के एक अनुभवी पायलट

राँची के ग्रुप कैप्टन सैकत चौधरी: आसमान से मैराथन ट्रैक तक,दृढ़ता और प्रेरणा की अनोखी उड़ान

राँची,13 अक्टूबर (युआईटीवी)- राँची के सेल सिटी में रहने वाले 55 वर्षीय सेवानिवृत्त ग्रुप कैप्टन सैकत चौधरी भारतीय वायुसेना के एक ऐसे अधिकारी रहे हैं,जिन्होंने अपने जीवन के दूसरे चरण में ज़मीन पर कदमों से एक नई उड़ान भरी है। एक समय में आसमान की ऊँचाइयों पर उड़ान भरने वाले यह जांबाज़ पायलट अब मैराथन और अल्ट्रा-मैराथन ट्रैक पर धैर्य और संकल्प की मिसाल बन चुके हैं। सैकत चौधरी आज राँची ही नहीं,बल्कि पूरे देश के धावकों के लिए प्रेरणा का प्रतीक बन गए हैं।

सैकत चौधरी ने 44 वर्ष की आयु में दौड़ना शुरू किया था। उस समय बहुत से लोग शायद सोच भी नहीं सकते थे कि इस उम्र में कोई व्यक्ति इतना लंबा दौड़ने का सफर तय कर सकता है,लेकिन सैकत ने न सिर्फ शुरुआत की,बल्कि 11 वर्षों में उन्होंने वह मुकाम हासिल किया,जहाँ पहुँचना बेहद कठिन होता है। आज वे 3 घंटे 36 मिनट में फुल मैराथन (42.2 किमी) और 1 घंटे 40 मिनट से भी कम समय में हाफ मैराथन (21.1 किमी) पूरी करते हैं,जो किसी प्रोफेशनल धावक के प्रदर्शन से कम नहीं है।

पिछले 11 सालों में उन्होंने अब तक 52 रेस में भाग लिया है,जिनमें 12 अल्ट्रा-मैराथन शामिल हैं। इन अल्ट्रा-मैराथनों की दूरी 65 किमी से लेकर 161 किमी तक होती है,यानी साधारण मैराथन से चार गुना लंबी। उन्होंने भारत के सबसे विविध और कठिन इलाकों में दौड़ लगाई है,गुजरात के कच्छ के रेगिस्तान की तपती रेत से लेकर लद्दाख की 18,000 फीट ऊँची खारदुंग-ला पास की बर्फीली घाटियों तक। उन्होंने मेघालय की हरी-भरी पगडंडियों पर भी दौड़ा है और -25°C की भीषण ठंड में भी अपना रिकॉर्ड कायम रखा है।

एनएसीसी रनिंग क्लब,एचईसी,राँची ने सैकत चौधरी को सम्मानित किया
एनएसीसी रनिंग क्लब,एचईसी,राँची ने सैकत चौधरी को सम्मानित किया

उनकी सबसे कठिन और गौरवशाली दौड़ 2023 की हेन्नूर बैम्बू ट्रेल अल्ट्रा रही है, जिसमें उन्होंने 161 किमी की दूरी 24 घंटे 44 मिनट में पूरी की और दूसरा स्थान हासिल किया। यह उपलब्धि किसी भी एथलीट के लिए गर्व की बात है। उन्होंने साबित कर दिया कि अनुशासन,आत्मविश्वास और निरंतर अभ्यास से किसी भी उम्र में नई मंजिलें हासिल की जा सकती हैं।

सैकत चौधरी सिर्फ एक एथलीट नहीं हैं,बल्कि अब राँची में दौड़ने की संस्कृति को विकसित करने के अग्रदूत बन चुके हैं। 25 जून 2025 को उन्होंने ‘राँची रोड रनर्स’ (आरआरआर) नामक समूह की स्थापना की,जिसका उद्देश्य शहर के युवाओं और वयस्कों को फिटनेस,रनिंग और स्वस्थ जीवनशैली के प्रति जागरूक करना है। यह पहल राँची के लिए एक नया अध्याय साबित हुई। महज़ तीन महीनों में इस समूह में 91 उत्साही धावक जुड़ चुके हैं। ये सभी सदस्य हर दिन नियमित अभ्यास करते हैं और सप्ताहांत पर सामूहिक रूप से 5 से लेकर 50 किमी तक की दौड़ में भाग लेते हैं।

‘राँची रोड रनर्स’ के सदस्य अब राष्ट्रीय स्तर की दौड़ प्रतियोगिताओं में भी अपनी उपस्थिति दर्ज करा रहे हैं। हाल के महीनों में इस टीम ने बेंगलुरु हाफ मैराथन,लोनावाला वर्षा मैराथन (50 किमी) और हैदराबाद मैराथन में शानदार प्रदर्शन किया। 14 सितंबर 2025 को टीम के पाँच सदस्यों ने लद्दाख हाफ मैराथन पूरी की,जो समुद्र तल से 11,000 फीट की ऊँचाई पर आयोजित होती है। अब यह टीम 12 अक्टूबर को होने वाली वेदांता दिल्ली हाफ मैराथन में 11 धावकों के साथ हिस्सा लेने जा रही है।

राँची के रोड रनर सैकत चौधरी और कोच संतोष एनएसीसी रनिंग क्लब,एचईसी, राँची में
राँची के रोड रनर सैकत चौधरी और कोच संतोष एनएसीसी रनिंग क्लब,एचईसी, राँची में

सैकत चौधरी के अनुसार, “हर दौड़ एक नई परीक्षा होती है। फुल मैराथन में जहाँ तेज़ी और योजना की ज़रूरत होती है,वहीं 161 किमी की अल्ट्रा-मैराथन 24 घंटे से अधिक लगातार दौड़ने की मानसिक और शारीरिक दृढ़ता की माँग करती है।” वे कहते हैं कि जब शरीर थकान से जवाब देने लगता है,तब केवल मनोबल ही धावक को आगे बढ़ाता है।

उनकी सबसे कठिन दौड़ों में से एक लद्दाख की खारदुंग-ला चैलेंज है,जो लगभग 18,000 फीट की ऊँचाई पर आयोजित होती है। यह दुनिया की सबसे ऊँची अल्ट्रा-मैराथनों में से एक है। यहाँ ऑक्सीजन का स्तर समुद्र तल की तुलना में 50% से भी कम होता है और -10°C की ठंड में धावक को 72 किमी की दूरी तय करनी पड़ती है। हाल ही में 12 सितंबर 2025 को आयोजित खारदुंग-ला चैलेंज में सैकत चौधरी ने 11 घंटे 39 मिनट में यह चुनौती पूरी की। इस प्रदर्शन ने उन्हें देश के शीर्ष एंड्योरेंस एथलीट्स की सूची में शामिल कर दिया।

दिलचस्प बात यह है कि सैकत चौधरी अब नंगे पाँव दौड़ने की दिशा में भी अग्रसर हैं। उनका मानना है कि नंगे पाँव दौड़ना शरीर और प्रकृति के बीच एक स्वाभाविक तालमेल पैदा करता है। वे कहते हैं, “दौड़ना सिर्फ स्पोर्ट नहीं,बल्कि आत्म-खोज का एक अनुभव है। जब आप अपने शरीर और मन को सीमाओं से आगे ले जाते हैं,तो असली आज़ादी का अहसास होता है।”

सैकत चौधरी ने अब तक विभिन्न राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय प्रतियोगिताओं में 52 मेडल जीते हैं,लेकिन वे कहते हैं कि इन मेडल्स से ज्यादा मूल्यवान वह सफर है,जो उन्हें हर बार और मजबूत बनाता है। उनका अगला लक्ष्य नए राष्ट्रीय रिकॉर्ड स्थापित करना और राँची को देश के प्रमुख रनिंग हब्स में शामिल करना है।

दौड़ के प्रति लोगों में जागरूकता बढ़ाने के लिए वे अब एक बड़े आयोजन की तैयारी कर रहे हैं। ‘राँची रोड रनर्स’ और ‘आई3 फाउंडेशन’ मिलकर 13 सितंबर 2026 से ‘राँची हिमालयन मैराथन’ का आयोजन करेंगे। इस ऐतिहासिक आयोजन में 50 माउंट एवरेस्ट विजेता हिस्सा लेंगे। यह न सिर्फ राँची,बल्कि पूरे झारखंड के लिए गर्व का क्षण होगा।

सैकत का कहना है कि, “यह आयोजन सिर्फ दौड़ नहीं,बल्कि धैर्य,एकता और पर्यावरण के प्रति हमारी प्रतिबद्धता का प्रतीक होगा। हम चाहते हैं कि झारखंड के युवा भी इस आयोजन के माध्यम से प्रेरित हों और फिटनेस को अपनी जीवनशैली का हिस्सा बनाएँ।”

राँची में सुबह-सुबह जब सड़कें शांत होती हैं,तब सैकत चौधुरी और उनके साथी धावक अपने कदमों की ताल से शहर को जगाते हैं। उनके चेहरे पर उड़ता आत्मविश्वास और संकल्प यह साबित करता है कि उम्र केवल एक संख्या है — असली ताकत भीतर की इच्छा और अनुशासन में होती है।

भारतीय वायुसेना के एक अनुशासित अधिकारी से लेकर देश के शीर्ष मैराथन धावकों में शामिल होना,सैकत चौधरी की कहानी इस बात की गवाही देती है कि जीवन में कभी भी नई शुरुआत की जा सकती है। आसमान में उड़ने वाला यह पायलट अब ज़मीन पर भी उसी जुनून से उड़ान भर रहा है — हर कदम के साथ,हर सांस के साथ और हर फिनिश लाइन को पार करते हुए,यह साबित कर रहा है कि अगर मन में जज़्बा हो,तो कोई दूरी असंभव नहीं।