अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप

अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने कहा – मिडिल ईस्ट में शांति स्थापित करना अमेरिकी शटडाउन खत्म करने से भी अधिक मुश्किल

वाशिंगटन,13 अक्टूबर (युआईटीवी)- अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप गाजा शांति शिखर सम्मेलन में भाग लेने के लिए मिस्र के लिए रवाना हो चुके हैं। मिस्र के राष्ट्रपति अब्देल फतह अल-सीसी की अध्यक्षता में होने वाले इस सम्मेलन में मध्य पूर्व में स्थायी शांति स्थापित करने के उपायों पर चर्चा होगी। इस दौरे से पहले ट्रंप ने वॉशिंगटन डीसी में पत्रकारों से बातचीत के दौरान कहा कि “मिडिल ईस्ट में शांति स्थापित करना अमेरिका के शटडाउन को खत्म करने से भी ज्यादा कठिन काम है।” उनके इस बयान ने एक बार फिर अंतर्राष्ट्रीय समुदाय का ध्यान मध्य पूर्व और अमेरिकी राजनीति दोनों पर केंद्रित कर दिया है।

राष्ट्रपति ट्रंप ने मज़ाकिया लेकिन गंभीर लहजे में कहा, “मुझे लगता है कि सबसे मुश्किल काम यही है कि यह संघर्ष 3000 सालों से चल रहा है। हमारी सरकार तो बस 10 दिनों से बंद है। हम इसका ध्यान रख रहे हैं और कुछ ऐसे कार्यक्रमों को समाप्त कर रहे हैं,जिनकी अब कोई जरूरत नहीं है। ये डेमोक्रेट्स द्वारा प्रायोजित योजनाएँ हैं,जिन्हें हम कभी लागू नहीं करना चाहते थे।” उन्होंने आगे कहा कि अमेरिकी कांग्रेस में जारी गतिरोध से सरकारी कामकाज पर असर पड़ा है,लेकिन उनकी प्रशासनिक टीम लगातार समाधान की दिशा में काम कर रही है।

गौरतलब है कि अमेरिका में 1 अक्टूबर से “शटडाउन” जारी है। यह तब शुरू हुआ जब कांग्रेस संघीय बजट पर सहमति नहीं बना सकी। इस वजह से कई सरकारी विभागों में कामकाज ठप पड़ा है और लाखों सरकारी कर्मचारी बिना वेतन के घर बैठे हैं। सात साल में यह पहला शटडाउन है,लेकिन ट्रंप के कार्यकाल में यह दूसरा मौका है,जब देश ऐसी स्थिति से गुजर रहा है। पिछली बार उनके शासनकाल के दौरान 2018-19 में शटडाउन 35 दिनों तक चला था,जो अमेरिकी इतिहास का सबसे लंबा शटडाउन माना गया।

इस बार भी राष्ट्रपति ट्रंप ने इसकी जिम्मेदारी डेमोक्रेटिक पार्टी पर डाली है। उन्होंने इसे “शूमर शटडाउन” बताते हुए कहा कि “डेमोक्रेट्स एक बड़ी गलती कर रहे हैं। वे देश के हितों से ज्यादा अपनी राजनीति को प्राथमिकता दे रहे हैं,लेकिन हम अमेरिकी जनता के लिए सही फैसले लेंगे।”

ट्रंप ने अपने बयान में यह भी स्पष्ट किया कि अमेरिकी सैनिकों के वेतन को लेकर कोई समझौता नहीं किया जाएगा। उन्होंने रक्षा मंत्री पीट हेगसेथ को निर्देश दिया है कि 15 अक्टूबर तक सभी अमेरिकी सैनिकों को उनका वेतन दिया जाए,चाहे सरकार आंशिक रूप से बंद ही क्यों न हो। उन्होंने कहा, “हमने सभी आवश्यक संसाधनों की पहचान कर ली है और रक्षा मंत्री को निर्देश दिया है कि वे उपलब्ध धन का उपयोग कर सैनिकों को उनका वेतन सुनिश्चित करें।”

राष्ट्रपति ट्रंप ने 11 अक्टूबर को ट्रुथ सोशल पर एक पोस्ट में लिखा था, “हमने ऐसा करने के लिए धन की पहचान कर ली है और रक्षा मंत्री हेगसेथ इसका उपयोग हमारे सैनिकों को भुगतान करने के लिए करेंगे।” इस पोस्ट ने उनके समर्थकों के बीच सकारात्मक प्रतिक्रिया उत्पन्न की,क्योंकि हाल के दिनों में अमेरिकी सेना का मनोबल शटडाउन के कारण प्रभावित होने लगा था।

इस बीच ट्रंप ने यह भी दावा किया कि “मिडिल ईस्ट में युद्ध समाप्त हो चुका है।” उन्होंने कहा कि गाजा शांति समझौता मध्य पूर्व में स्थायी शांति की दिशा में सबसे बड़ा कदम है। “हमने यह सुनिश्चित किया है कि गाजा और इजरायल के बीच संघर्ष अब न बढ़े। मिस्र,कतर और सऊदी अरब जैसे हमारे सहयोगियों ने इसमें बड़ी भूमिका निभाई है। अब समय है कि हम युद्ध नहीं,बल्कि पुनर्निर्माण की बात करें।”

अमेरिकी राष्ट्रपति का मिस्र दौरा इसलिए भी अहम है क्योंकि वहाँ गाजा शांति शिखर सम्मेलन आयोजित हो रहा है,जिसमें इजरायल,फिलिस्तीन,मिस्र,सऊदी अरब,जॉर्डन और संयुक्त अरब अमीरात के शीर्ष प्रतिनिधि हिस्सा लेंगे। सम्मेलन का उद्देश्य गाजा पट्टी में जारी तनाव को कम करना और युद्ध से प्रभावित इलाकों में मानवीय सहायता पहुंचाने की दिशा में ठोस कदम उठाना है।

मिस्र रवाना होने से पहले राष्ट्रपति ट्रंप ने यह भी पुष्टि की कि वे मिस्र पहुँचने से पहले इजरायल का एक छोटा दौरा करेंगे। यह दौरा केवल चार घंटे का होगा,लेकिन इसके दौरान वे इजरायल के प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू से मुलाकात करेंगे। चर्चा का मुख्य विषय बंधकों की रिहाई,युद्धविराम की स्थिति और भविष्य की सुरक्षा व्यवस्था होगा।

सूत्रों के अनुसार,ट्रंप यरूशलम में इजरायल की संसद नेसेट को भी संबोधित कर सकते हैं। अपने भाषण में वे अमेरिका की मध्य पूर्व नीति की रूपरेखा और “गाजा पीस प्लान” के अगले चरणों की जानकारी दे सकते हैं। उनके इस दौरे को अमेरिका की वैश्विक नेतृत्व भूमिका को पुनर्स्थापित करने की दिशा में एक अहम कदम माना जा रहा है।

राष्ट्रपति ट्रंप का यह बयान कि “मिडिल ईस्ट में शांति स्थापित करना शटडाउन खत्म करने से भी कठिन है,” एक तरफ उनके व्यावहारिक दृष्टिकोण को दर्शाता है,तो दूसरी ओर यह बताता है कि वे अमेरिकी राजनीति की जटिलताओं से भी वाकिफ हैं। जहाँ एक ओर वे अंतर्राष्ट्रीय मंच पर खुद को शांति दूत के रूप में पेश कर रहे हैं,वहीं घरेलू मोर्चे पर उन्हें राजनीतिक गतिरोध और बजट संकट का सामना करना पड़ रहा है।

अब दुनिया की निगाहें मिस्र में होने वाले इस गाजा शांति सम्मेलन पर टिकी हैं। अगर यह सम्मेलन सफल रहता है,तो ट्रंप प्रशासन को न केवल अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर बड़ी सफलता मिलेगी,बल्कि घरेलू राजनीति में भी उनकी स्थिति मजबूत हो सकती है। परंतु फिलहाल यह कहना गलत नहीं होगा कि ट्रंप के सामने “शटडाउन खत्म करने” और “मिडिल ईस्ट में स्थायी शांति लाने” दोनों ही कार्य समान रूप से कठिन चुनौती हैं।