नई दिल्ली,14 अक्टूबर (युआईटीवी)- नई दिल्ली के हैदराबाद हाउस में सोमवार को भारत और कनाडा के बीच राजनयिक संबंधों में एक नया अध्याय जुड़ा,जब कनाडा की विदेश मंत्री अनीता आनंद अपने आधिकारिक विदेश दौरे पर भारत पहुँचीं और भारतीय विदेश मंत्री एस. जयशंकर से मुलाकात की। यह मुलाकात दोनों देशों के बीच बीते कुछ वर्षों से चली आ रही कूटनीतिक तनातनी के बाद एक सकारात्मक मोड़ के रूप में देखी जा रही है।
यह दौरा कनाडा की विदेश मंत्री अनीता आनंद का भारत का पहला आधिकारिक दौरा है। उनके आगमन पर विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने गर्मजोशी से स्वागत करते हुए कहा कि भारत और कनाडा के द्विपक्षीय संबंध पिछले कुछ महीनों में लगातार प्रगति कर रहे हैं। जयशंकर ने स्पष्ट किया कि दोनों देश अब अपनी साझेदारी को आगे बढ़ाने के लिए आवश्यक तंत्रों को “पुनर्स्थापित और पुनर्जीवित” करने पर काम कर रहे हैं।
बैठक के दौरान दोनों नेताओं ने व्यापार,शिक्षा,सुरक्षा सहयोग और जनसंपर्क जैसे कई महत्वपूर्ण मुद्दों पर चर्चा की। जयशंकर ने कहा, “जैसा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कनानसकीस में प्रधानमंत्री मार्क कार्नी के साथ अपनी मुलाकात के दौरान कहा था,भारत का दृष्टिकोण सकारात्मक सोच के साथ आगे बढ़ने का है। आज सुबह आपने प्रधानमंत्री से मुलाकात की और उनसे व्यक्तिगत रूप से सहयोग के हमारे दृष्टिकोण को समझा। हमें विश्वास है कि भारत और कनाडा के बीच संबंध एक नई दिशा में बढ़ रहे हैं।”
यह उल्लेखनीय है कि कनाडा में हाल ही में हुए राजनीतिक परिवर्तन के बाद दोनों देशों के रिश्तों में सुधार देखने को मिल रहा है। ट्रूडो सरकार के कार्यकाल के दौरान भारत और कनाडा के बीच संबंध काफी तनावपूर्ण रहे थे। 2023 में कुख्यात खालिस्तानी आतंकवादी हरदीप सिंह निज्जर की हत्या को लेकर कनाडा के प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रूडो द्वारा भारत पर लगाए गए आरोपों ने दोनों देशों के रिश्तों में कड़वाहट पैदा कर दी थी। भारत ने उस समय ट्रूडो के बयान को पूरी तरह निराधार बताया था और कड़ा विरोध दर्ज कराया था।
हालाँकि,मार्क कार्नी के प्रधानमंत्री बनने के बाद कनाडा की विदेश नीति में एक स्पष्ट परिवर्तन देखा जा रहा है। कार्नी सरकार के तहत दोनों देशों ने संवाद और सहयोग की राह पर आगे बढ़ने का संकल्प लिया है। अनीता आनंद की भारत यात्रा इसी दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम मानी जा रही है।
विदेश मंत्री जयशंकर ने बताया कि भारत और कनाडा के राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकारों — अजीत डोभाल और नथाली के बीच हाल ही में हुई मुलाकात ने दोनों देशों के बीच सुरक्षा और खुफिया सहयोग को नई गति दी है। जयशंकर ने कहा, “हमारे देशों के एनएसए स्तर की बातचीत ने कई लंबित मुद्दों को सुलझाने में अहम भूमिका निभाई है। सुरक्षा और आतंकवाद निरोधक सहयोग हमारे रिश्तों का एक मजबूत आधार बन सकता है।”
विदेश मंत्री ने आगे कहा कि हाल ही में दोनों देशों के विदेश मंत्रालयों के सचिव स्तर पर 19 सितंबर को एक महत्वपूर्ण बैठक हुई थी,जिसमें समग्र द्विपक्षीय संबंधों की समीक्षा की गई। इसके अलावा,भारत और कनाडा के व्यापार मंत्रियों ने 11 अक्टूबर को बातचीत की थी,जिसमें व्यापारिक सहयोग बढ़ाने,निवेश के अवसरों को तलाशने और तकनीकी साझेदारी को मजबूत करने पर सहमति बनी।
जयशंकर ने बैठक के दौरान कहा, “जब हम कनाडा को देखते हैं,तो हमें एक पूरक अर्थव्यवस्था दिखाई देती है,एक ऐसा समाज जो खुला और विविधतापूर्ण है। यही वे तत्व हैं जो भारत और कनाडा के बीच एक घनिष्ठ, टिकाऊ और दीर्घकालिक सहयोगात्मक ढाँचे की नींव रखते हैं।” उन्होंने यह भी जोड़ा कि दोनों देशों के बीच शिक्षा,विज्ञान,तकनीक और आपसी निवेश के क्षेत्र में अपार संभावनाएँ हैं,जिन्हें साकार करने के लिए यह सही समय है।
कनाडा की विदेश मंत्री अनीता आनंद ने भी भारत के साथ संबंधों को लेकर सकारात्मक रुख दिखाया। उन्होंने कहा कि भारत के साथ कनाडा के संबंध ऐतिहासिक रूप से गहरे और बहुआयामी रहे हैं। दोनों देशों के बीच व्यापार और निवेश से लेकर संस्कृति और शिक्षा तक का जुड़ाव है। अनीता आनंद ने कहा कि कार्नी सरकार भारत को “रणनीतिक साझेदार” के रूप में देखती है और भविष्य में सहयोग को और व्यापक बनाने की दिशा में कार्य करेगी।
भारत और कनाडा के बीच इस बैठक में दोनों देशों के प्रतिनिधिमंडलों ने भी हिस्सा लिया। चर्चा के दौरान ऊर्जा सुरक्षा,हरित तकनीक,कृषि अनुसंधान,डिजिटल सहयोग और आप्रवासन नीति जैसे विषयों पर भी विचार-विमर्श हुआ। बताया जा रहा है कि दोनों देशों के अधिकारी अब एक “ज्वाइंट वर्किंग ग्रुप” बनाने की दिशा में काम करेंगे,जो व्यापारिक समझौतों और सुरक्षा तंत्रों को स्थायी स्वरूप देने में मदद करेगा।
जयशंकर ने कहा कि विदेश मंत्रियों के रूप में दोनों की जिम्मेदारी है कि वे सहयोग के पुनर्निर्माण की प्रक्रिया का नेतृत्व करें और यह सुनिश्चित करें कि यह साझेदारी दोनों देशों के प्रधानमंत्रियों की अपेक्षाओं और दोनों राष्ट्रों के नागरिकों के हितों पर खरी उतरे। उन्होंने कहा, “मैं आपके साथ मिलकर काम करते हुए इस दिशा में आगे बढ़ने के लिए उत्सुक हूँ।”
भारत-कनाडा के संबंधों में यह सकारात्मक परिवर्तन ऐसे समय में आया है,जब दोनों देश वैश्विक मंचों पर अपनी भूमिका को और मजबूत करना चाहते हैं। भारत इस समय जी-20 के प्रमुख सदस्य के रूप में वैश्विक आर्थिक संतुलन में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहा है,जबकि कनाडा ऊर्जा और शिक्षा के क्षेत्र में अग्रणी राष्ट्रों में से एक है। दोनों देशों के बीच सहयोग बढ़ने से न केवल द्विपक्षीय संबंधों में मजबूती आएगी बल्कि यह वैश्विक स्थिरता और विकास के लिए भी लाभकारी सिद्ध होगा।
अनीता आनंद की यह यात्रा भारत और कनाडा के बीच रिश्तों की दिशा बदलने का संकेत देती है। लंबे समय से चले आ रहे मतभेदों के बाद अब दोनों देश एक साझा दृष्टिकोण के साथ आगे बढ़ने की कोशिश कर रहे हैं। विशेषज्ञों का मानना है कि अगर इस सकारात्मक गति को बनाए रखा गया,तो आने वाले वर्षों में भारत-कनाडा संबंध एक नई ऊँचाई पर पहुँच सकते हैं,जिससे दोनों देशों के बीच सहयोग का एक नया अध्याय शुरू होगा।
