नई दिल्ली,15 अक्टूबर (युआईटीवी)- ऑस्ट्रेलिया में 16 साल से कम उम्र के बच्चों के सोशल मीडिया इस्तेमाल पर प्रतिबंध लागू होने से महज दो महीने पहले इंस्टाग्राम ने किशोरों के लिए बड़ा और सख्त कदम उठाया है। फोटो और वीडियो शेयरिंग प्लेटफॉर्म ने अपने प्लेटफॉर्म पर उपलब्ध कंटेंट और पेरेंटल कंट्रोल से जुड़ी नीतियों में अहम बदलावों की घोषणा की है। इंस्टाग्राम की मूल कंपनी मेटा ने मंगलवार को इस संबंध में वैश्विक स्तर पर घोषणा की और बताया कि ये बदलाव 13 से 18 साल के यूज़र्स के लिए “सुरक्षित डिजिटल वातावरण” सुनिश्चित करने के लिए किए जा रहे हैं।
मेटा के अनुसार,अब किशोरों के अकाउंट्स में दिखाई देने वाली सामग्री अमेरिका की पीजी-13 (पैरेंटल गाइडेंस-13) रेटिंग के बराबर होगी। इसका मतलब यह है कि किशोर यूज़र्स को किसी भी प्रकार की हिंसक,अश्लील या वयस्क सामग्री से दूर रखा जाएगा। कंपनी ने कहा कि यह फैसला युवाओं की मानसिक और भावनात्मक सुरक्षा को ध्यान में रखते हुए लिया गया है,ताकि उन्हें सोशल मीडिया पर मिलने वाली संवेदनशील या अनुचित सामग्री से बचाया जा सके।
मेटा ने अपने एआई चैटबॉट्स को लेकर भी बड़ा बदलाव किया है। हाल ही में कंपनी के चैटबॉट्स पर यह आरोप लगा था कि वे किशोरों के साथ अनुचित या रोमांटिक बातचीत में शामिल हो सकते हैं। इन आलोचनाओं के बाद कंपनी ने निर्णय लिया कि किशोरों को मिलने वाला एआई अनुभव भी अब पीजी-13 श्रेणी के दायरे में आएगा। इसका मतलब है कि इंस्टाग्राम पर कोई भी एआई चैटबॉट किशोरों को अनुचित या रोमांटिक बातचीत में शामिल नहीं कर सकेगा।
नए नियमों के तहत किशोर यूज़र्स उन अकाउंट्स को फॉलो नहीं कर पाएँगे,जिन्हें “अनुचित सामग्री साझा करने वाला” माना जाता है। इनमें विशेष रूप से वे अकाउंट शामिल होंगे,जिन्होंने अपने बायो में ओनली फैंस या अन्य वयस्क प्लेटफॉर्म्स के लिंक शेयर किए हैं। अगर कोई किशोर पहले से ऐसे किसी अकाउंट को फॉलो कर रहा है, तो वह अब उसकी सामग्री नहीं देख पाएगा,न ही उससे डीएम (डायरेक्ट मैसेज) कर पाएगा और न ही उसकी पोस्ट पर टिप्पणी कर सकेगा। इन बदलावों से प्रभावित अकाउंट्स को इंस्टाग्राम द्वारा सूचित किया जाएगा कि किशोर अब उनके अकाउंट्स को फॉलो नहीं कर पाएँगे।
इंस्टाग्राम ने सर्च रिजल्ट्स में भी सख्ती बढ़ाई है। अब “ब्लॉक किए गए सर्च टर्म्स” की सूची का विस्तार किया गया है,जिसमें शराब,नशे,खून-खराबे या हिंसा जैसे विषयों से जुड़े शब्द शामिल होंगे। हालाँकि,कंपनी ने स्पष्ट किया है कि “गे” या “ट्रांस” जैसे एलजीबीटीक्यू से जुड़े शब्दों को ब्लॉक नहीं किया जाएगा। मेटा की सार्वजनिक नीति की वैश्विक निदेशक तारा हॉपकिंस ने इस बात पर जोर दिया कि कंपनी किसी भी समूह या समुदाय के प्रति भेदभाव नहीं करना चाहती,इसलिए एलजीबीटीक्यू से संबंधित शब्द सर्च में बने रहेंगे।
इसके अलावा,इंस्टाग्राम ने माता-पिता को भी अधिक नियंत्रण देने की दिशा में कदम उठाया है। अब पेरेंट्स के पास ऐसी “सख्त सेटिंग्स” उपलब्ध होंगी,जिनके जरिए वे तय कर सकेंगे कि उनके बच्चे पोस्ट के नीचे टिप्पणियाँ देख या छोड़ सकते हैं या नहीं। यह नियंत्रण किशोरों द्वारा की जाने वाली एआई बातचीत तक भी सीमित रहेगा,यानी माता-पिता यह तय कर सकेंगे कि उनका बच्चा प्लेटफॉर्म पर किस प्रकार के इंटरैक्शन में शामिल हो सकता है।
इन सभी बदलावों को अमेरिका,ब्रिटेन,ऑस्ट्रेलिया और कनाडा में किशोरों के अकाउंट्स पर पहले चरण में लागू किया जा रहा है। कंपनी के अनुसार,ये नए नियम इस सप्ताह से धीरे-धीरे लागू होंगे और साल के अंत तक वैश्विक स्तर पर पूरी तरह प्रभावी हो जाएँगे।
इंस्टाग्राम का यह कदम ऐसे समय में आया है,जब कई देशों में किशोरों के सोशल मीडिया उपयोग को लेकर बहस तेज हो गई है। ऑस्ट्रेलिया की सरकार ने हाल ही में घोषणा की थी कि 16 वर्ष से कम उम्र के बच्चों को सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म्स से प्रतिबंधित किया जाएगा और यह नियम आने वाले दो महीनों में लागू होने वाला है। हालाँकि,तारा हॉपकिंस ने इस बात से इनकार किया कि इंस्टाग्राम के ये बदलाव ऑस्ट्रेलियाई सरकार के दबाव में किए गए हैं। उन्होंने कहा कि कंपनी लगातार किशोरों के डिजिटल अनुभव को सुरक्षित बनाने के लिए काम कर रही है और यह नीति उसी दिशा में एक स्वाभाविक कदम है।
पिछले कुछ वर्षों में सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म्स पर किशोरों की सुरक्षा को लेकर कई विवाद सामने आए हैं। मानसिक स्वास्थ्य पर पड़ने वाले नकारात्मक प्रभाव,साइबर बुलिंग और वयस्क सामग्री तक आसान पहुँच जैसी चिंताओं ने कंपनियों पर दबाव बढ़ाया है कि वे अपने प्लेटफॉर्म्स को अधिक जिम्मेदार बनाएँ। इंस्टाग्राम के इस नए निर्णय को उसी प्रयास का हिस्सा माना जा रहा है।
मेटा ने कहा है कि उसका उद्देश्य सोशल मीडिया को किशोरों के लिए “सकारात्मक और शिक्षाप्रद अनुभव” बनाना है। कंपनी चाहती है कि युवा उपयोगकर्ता सोशल प्लेटफॉर्म का उपयोग केवल मनोरंजन या आत्म-अभिव्यक्ति के लिए नहीं,बल्कि सुरक्षित डिजिटल समाज का हिस्सा बनने के लिए करें।
इन नई नीतियों से उम्मीद की जा रही है कि ऑनलाइन दुनिया में किशोरों की सुरक्षा को नई दिशा मिलेगी और भविष्य में सोशल मीडिया कंपनियों के बीच भी “जिम्मेदार प्लेटफॉर्म” बनने की होड़ बढ़ेगी।
