वाशिंगटन,15 अक्टूबर (युआईटीवी)- अमेरिका और वेनेजुएला के बीच तनाव एक बार फिर से बढ़ गया है। अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने खुलासा किया है कि अमेरिका की सेना ने वेनेजुएला के तट के पास अंतर्राष्ट्रीय जलक्षेत्र में मादक पदार्थों की तस्करी कर रहे एक जहाज पर हमला किया। इस हमले में छह लोगों की मौत हुई है। राष्ट्रपति ट्रंप ने इस कार्रवाई की जानकारी अपने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म ट्रुथ सोशल पर दी और कहा कि यह हमला “नशे के खिलाफ वैश्विक युद्ध” का हिस्सा है।
समाचार एजेंसी सिन्हुआ के मुताबिक,सितंबर से अब तक अमेरिका ने वेनेजुएला के आसपास के जलक्षेत्र में नशा तस्करी में शामिल संदिग्ध जहाजों पर कई सैन्य हमले किए हैं,जिनमें अब तक कुल 27 लोगों की मौत हो चुकी है। इन घटनाओं ने न केवल लैटिन अमेरिकी देशों को चिंतित किया है,बल्कि अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर भी यह सवाल उठने लगे हैं कि अमेरिका की यह सैन्य नीति कहां तक जायज है।
ट्रंप ने अपने बयान में कहा कि अमेरिकी खुफिया एजेंसियों ने पहले ही पुष्टि कर दी थी कि जिस जहाज को निशाना बनाया गया,वह अवैध मादक पदार्थों की तस्करी के लिए इस्तेमाल होने वाले एक “पहचाने गए समुद्री मार्ग” पर जा रहा था। इसके साथ ही उन्होंने यह भी दावा किया कि यह जहाज ड्रग कार्टेलों से जुड़े आतंकवादी नेटवर्क का हिस्सा था। राष्ट्रपति ट्रंप ने कहा कि अमेरिका ऐसे सभी कार्टेलों और उनके सहयोगियों को “अवैध लड़ाके” मानते हुए कार्रवाई करेगा।
कुछ दिन पहले ही ट्रंप प्रशासन ने अमेरिकी कांग्रेस को एक ज्ञापन भेजा था,जिसमें यह बताया गया था कि अब अमेरिका “उन ड्रग कार्टेलों के खिलाफ एक गैर-अंतर्राष्ट्रीय सशस्त्र संघर्ष” की स्थिति में है,जिन्हें अमेरिका ने “आतंकवादी संगठन” घोषित किया है। इस ज्ञापन में कहा गया कि ऐसे संगठन अमेरिकी नागरिकों और सहयोगी देशों की सुरक्षा के लिए खतरा हैं,इसलिए उनके खिलाफ सैन्य कार्रवाई को कानूनी आधार दिया गया है। हालाँकि,इस दस्तावेज़ में यह स्पष्ट नहीं किया गया कि किन-किन कार्टेलों को इस सूची में शामिल किया गया है और किन मानकों के आधार पर किसी व्यक्ति या समूह को निशाना बनाया जाएगा।
इस कदम ने अंतर्राष्ट्रीय समुदाय के भीतर बहस छेड़ दी है कि क्या अमेरिका इस नीति के ज़रिए लैटिन अमेरिका में अपनी सैन्य उपस्थिति बढ़ाने की कोशिश कर रहा है। वेनेजुएला की सरकार ने इस पर कड़ी प्रतिक्रिया दी है। राष्ट्रपति निकोलस मादुरो ने अमेरिका पर आरोप लगाया है कि वह “ड्रग्स कार्टेलों का बहाना बनाकर” वेनेजुएला की सरकार को अस्थिर करने की कोशिश कर रहा है। मादुरो ने कहा कि वाशिंगटन का असली उद्देश्य दक्षिण अमेरिकी देशों पर नियंत्रण बढ़ाना और अपने रणनीतिक हितों को सुरक्षित करना है।
मादुरो ने अपने बयान में कहा, “अमेरिका की यह कार्रवाई सिर्फ ड्रग्स के खिलाफ नहीं है,बल्कि यह वेनेजुएला की संप्रभुता और स्वतंत्रता के खिलाफ एक साजिश है। अमेरिका हमारी सीमाओं के पास सैन्य उपस्थिति बढ़ा रहा है और हमें भयभीत करने की कोशिश कर रहा है।” उन्होंने यह भी कहा कि वेनेजुएला अपनी सीमाओं की रक्षा के लिए हर आवश्यक कदम उठाएगा।
वेनेजुएला के रक्षा मंत्रालय और विदेश मंत्रालय ने भी हाल के दिनों में अमेरिका के खिलाफ तीखी प्रतिक्रिया दी है। मंत्रालयों ने अमेरिका के लड़ाकू विमानों की अवैध घुसपैठ की निंदा की है। विदेश मंत्री इवान गिल ने 2 अक्टूबर 2025 को सोशल मीडिया पर जानकारी दी कि अमेरिका के युद्धक विमान वेनेजुएला के तट से लगभग 75 किलोमीटर की दूरी पर देखे गए थे। गिल ने इसे “उकसाने वाला और अवैध कदम” बताया और कहा कि यह कार्रवाई “अंतर्राष्ट्रीय कानून” और “अंतर्राष्ट्रीय नागरिक उड्डयन संधि” का खुला उल्लंघन है।
वेनेजुएला ने इस घटना को अपने देश की संप्रभुता पर हमला करार दिया है। सरकार ने संयुक्त राष्ट्र और अन्य अंतर्राष्ट्रीय संगठनों से अपील की है कि वे अमेरिका की इन कार्रवाइयों पर ध्यान दें और क्षेत्र में शांति बनाए रखने के लिए हस्तक्षेप करें।
दूसरी ओर,ट्रंप प्रशासन का कहना है कि अमेरिका केवल “वैश्विक ड्रग तस्करी” को रोकने की दिशा में कदम उठा रहा है और किसी देश की संप्रभुता का उल्लंघन नहीं कर रहा। व्हाइट हाउस के एक अधिकारी ने कहा कि “हमारे अभियान का लक्ष्य वे संगठन हैं,जो ड्रग्स के माध्यम से आतंकवाद को फंड करते हैं,न कि कोई सरकार।”
हालाँकि,विश्लेषकों का मानना है कि इस तरह की कार्रवाइयाँ अमेरिका और लैटिन अमेरिकी देशों के बीच पुराने घावों को फिर से हरा कर सकती हैं। पिछले दशकों में अमेरिका ने इसी तरह के अभियानों के तहत कई देशों में सैन्य हस्तक्षेप किए हैं,जिनके परिणामस्वरूप क्षेत्र में अस्थिरता और अविश्वास बढ़ा।
वर्तमान परिस्थिति में,यह स्पष्ट है कि अमेरिका और वेनेजुएला के बीच कूटनीतिक तनाव एक नए स्तर पर पहुँच गया है। जहाँ एक ओर अमेरिका इसे अपने “वैश्विक ड्रग्स युद्ध” की रणनीति बता रहा है,वहीं वेनेजुएला इसे “राजनीतिक हस्तक्षेप और सैन्य विस्तारवाद” का नाम दे रहा है।
अंतर्राष्ट्रीय समुदाय अब यह देख रहा है कि आने वाले दिनों में यह विवाद किस दिशा में बढ़ता है। क्या अमेरिका अपने “गैर-अंतर्राष्ट्रीय सशस्त्र संघर्ष” की नीति को और देशों तक फैलाएगा या फिर बढ़ते वैश्विक दबाव के बीच उसे अपने रुख में बदलाव करना पड़ेगा? एक बात तय है कि वेनेजुएला के तट पर हुई यह ताजा कार्रवाई न केवल क्षेत्रीय राजनीति बल्कि विश्व मंच पर भी नई बहस का विषय बन गई है।
