भारत को सातवीं बार चुना गया संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार परिषद का सदस्य (तस्वीर क्रेडिट@pm_saiprasad)

भारत को सातवीं बार चुना गया संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार परिषद का सदस्य

नई दिल्ली,15 अक्टूबर (युआईटीवी)- भारत को संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार परिषद (यूएनएचआरसी) के लिए लगातार सातवीं बार चुने जाने की खुशखबरी सामने आई है। यह चुनाव 2026-28 के कार्यकाल के लिए किया गया है। भारत के स्थायी प्रतिनिधि पार्वथानेनी हरीश ने इस महत्वपूर्ण उपलब्धि की जानकारी सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स के माध्यम से दी। उन्होंने अपने संदेश में कहा कि यह चुनाव भारत की मानवाधिकारों और मौलिक स्वतंत्रताओं के प्रति अटूट प्रतिबद्धता को दर्शाता है और देश अपने कार्यकाल के दौरान इस उद्देश्य की पूर्ति के लिए तत्पर रहेगा।

संयुक्त राष्ट्र महासभा ने मंगलवार को 1 जनवरी 2026 से मानवाधिकार परिषद में सेवा देने के लिए कुल 14 सदस्य देशों का चुनाव किया। इन 14 देशों में अंगोला,ब्रिटेन,चिली,इक्वाडोर,मिस्र,एस्टोनिया,भारत,इराक,इटली,मॉरीशस,पाकिस्तान,स्लोवेनिया,दक्षिण अफ्रीका और वियतनाम शामिल हैं। ये सभी सदस्य देश तीन साल के कार्यकाल के लिए परिषद में सेवा देंगे।

जिनेवा स्थित मानवाधिकार परिषद संयुक्त राष्ट्र प्रणाली के अंतर्गत एक अंतर-सरकारी निकाय है,जो दुनियाभर में मानवाधिकारों को बढ़ावा देने और उनकी रक्षा करने के लिए जिम्मेदार है। परिषद में कुल 47 सदस्य देशों को शामिल किया जाता है और इनमें से लगभग एक तिहाई सदस्यों को हर साल बदल दिया जाता है। इसका उद्देश्य यह सुनिश्चित करना है कि परिषद के सदस्य तीन साल के अलग-अलग कार्यकालों में निरंतरता के साथ सेवा प्रदान करें।

मानवाधिकार परिषद की सीटें भौगोलिक समूहों के आधार पर आवंटित की जाती हैं। इसके तहत अफ्रीका और एशिया-प्रशांत समूह के लिए 13-13 सीटें,लैटिन अमेरिका और कैरिबियन के लिए आठ सीटें,पश्चिमी यूरोप और अन्य देशों के लिए सात सीटें और पूर्वी यूरोप के लिए छह सीटें निर्धारित हैं। यह प्रणाली सुनिश्चित करती है कि परिषद में सभी क्षेत्रों का संतुलित प्रतिनिधित्व हो और वैश्विक स्तर पर मानवाधिकारों के मुद्दों पर समान रूप से ध्यान दिया जाए।

भारत का लगातार सातवीं बार मानवाधिकार परिषद में चयन होना यह दर्शाता है कि अंतर्राष्ट्रीय समुदाय भारत की वैश्विक मानवाधिकार नीति और प्रयासों को मान्यता देता है। यह उपलब्धि देश की कूटनीतिक ताकत और मानवाधिकारों के प्रति उसके सतत प्रयासों का प्रमाण भी है। भारतीय प्रतिनिधि ने इस अवसर पर सभी प्रतिनिधिमंडलों को उनके समर्थन के लिए धन्यवाद दिया और कहा कि परिषद में भारत की भूमिका हमेशा सकारात्मक और सहयोगात्मक रहेगी।

मानवाधिकार परिषद का मुख्य उद्देश्य विश्वभर में मानवाधिकारों की रक्षा करना और उनके उल्लंघनों की निगरानी करना है। परिषद की जिम्मेदारी केवल अधिकारों की रक्षा तक सीमित नहीं है,बल्कि यह देशों को मानवीय अधिकारों के संरक्षण,शिक्षा और जागरूकता के लिए भी मार्गदर्शन प्रदान करती है। भारत अपने कार्यकाल के दौरान परिषद में न केवल नीति निर्माण में सक्रिय भूमिका निभाएगा,बल्कि देशों के बीच सहयोग बढ़ाने और मानवाधिकारों के वैश्विक मानकों को मजबूत करने में भी योगदान देगा।

भारत ने पिछले वर्षों में परिषद के विभिन्न मुद्दों पर अपनी सक्रिय भागीदारी से पहचान बनाई है। देश ने मानवाधिकारों के संरक्षण,महिला सशक्तिकरण,बाल अधिकार के अधिकारों और डिजिटल युग में मानवाधिकारों के मुद्दों पर महत्वपूर्ण पहल की है। इन प्रयासों को अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर सराहा गया और यही वजह रही कि भारत को लगातार सातवीं बार सदस्य के रूप में चुना गया।

विशेषज्ञों का कहना है कि भारत की लगातार सदस्यता दुनिया के सामने उसकी जिम्मेदार और समर्पित भूमिका को स्पष्ट रूप से प्रदर्शित करती है। परिषद के मंच पर भारत न केवल अपने अनुभव और दृष्टिकोण साझा करेगा,बल्कि अन्य देशों के साथ सहयोग और संवाद के माध्यम से वैश्विक मानवाधिकारों के लिए ठोस नीतियाँ और समाधान भी पेश करेगा।

इस चुनाव से यह भी संकेत मिलता है कि भारत को अंतर्राष्ट्रीय मंच पर विश्वास और सम्मान प्राप्त है। यह न केवल भारत की कूटनीतिक सक्रियता को दर्शाता है,बल्कि यह भी बताता है कि वैश्विक समुदाय भारत को विश्वसनीय और जिम्मेदार मानवाधिकार रक्षक के रूप में देखता है।

मानवाधिकार परिषद के सदस्य के रूप में भारत का यह नया कार्यकाल 2026 से शुरू होगा और 2028 तक चलेगा। इस दौरान भारत परिषद के विविध अंतर्राष्ट्रीय मुद्दों,मानवाधिकार उल्लंघनों की जाँच,नीति निर्माण और सहयोगात्मक पहलों में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगा। परिषद के इस मंच से भारत वैश्विक मानवाधिकार एजेंडा को आगे बढ़ाने और न्यायपूर्ण समाज की स्थापना में योगदान देने के लिए प्रतिबद्ध रहेगा।

इस तरह भारत का सातवीं बार संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार परिषद में चुना जाना न केवल देश के लिए गर्व का क्षण है,बल्कि यह दुनिया के सामने यह संदेश भी है कि भारत मानवाधिकारों और लोकतांत्रिक मूल्यों के प्रति दृढ़ संकल्पित और सक्रिय है।