नई दिल्ली,15 अक्टूबर (युआईटीवी)- लगभग दो वर्षों से जारी गाजा संघर्ष के बाद अंततः एक बड़ा ऐतिहासिक मोड़ सामने आया है। इजरायल और हमास के बीच सीजफायर (युद्धविराम) लागू हो गया है,जिससे लंबे समय से चल रही हिंसा,तबाही और खून-खराबे के बीच शांति की एक उम्मीद जगी है। यह सीजफायर अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की मध्यस्थता में तैयार किए गए ट्रंप शांति योजना के पहले चरण के तहत लागू किया गया है। इस समझौते के बाद पहली बार दोनों पक्षों ने मानवीय आधार पर कैदियों और बंधकों की अदला-बदली की है।
ट्रंप के सीजफायर प्लान के पहले चरण के तहत हमास ने 20 जीवित इजरायली बंधकों को रिहा किया और साथ ही चार बंधकों के शव भी रेड क्रॉस को सौंप दिए। यह कदम गाजा में चल रहे संघर्ष के दौरान खोई हुई जिंदगियों और दर्दनाक अनुभवों के बीच एक मानवीय पहल के रूप में देखा जा रहा है।
इजरायली प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू के कार्यालय ने एक बयान जारी कर पुष्टि की कि शवों को गाजा पट्टी में इजरायली रक्षा बलों (आईडीएफ) और इजरायल की खुफिया एजेंसी शिन बेट के जवानों को सौंपा गया। बाद में इन शवों को सेना की निगरानी में इजरायल की सीमा पार ले जाया गया और तेल अवीव स्थित राष्ट्रीय फोरेंसिक मेडिसिन केंद्र में पहचान के लिए भेजा गया।
इजरायल वॉर रूम के अनुसार,चार शवों में से दो की पहचान पहले ही हो चुकी है। बयान में कहा गया कि “तामिर निमरोदी के परिवार ने पुष्टि की है कि उनका पार्थिव शरीर इजरायल लौटा दिया गया है। 7 अक्टूबर 2023 को हमास आतंकियों ने तामिर को उनके बेस से गाजा ले जाया था। लगभग दो वर्षों तक उनके जीवित होने का कोई प्रमाण नहीं मिलने के कारण परिवार और सरकार दोनों ही चिंतित थे।”
वहीं दूसरे शव की पहचान करते हुए इजरायल वॉर रूम ने बताया, “उरीएल बारूक के परिवार ने पुष्टि की है कि उनके अवशेष भी अब दफनाने के लिए इजरायल पहुँच गए हैं। 7 अक्टूबर 2023 को गाजा में आयोजित नोवा संगीत समारोह में हमास के आतंकवादियों ने उनकी हत्या कर दी थी और बाद में उनके शव को गाजा ले जाया गया था।”
हमास ने इस सीजफायर समझौते के तहत न केवल शव सौंपे,बल्कि 20 जीवित बंधकों को भी अंतर्राष्ट्रीय रेड क्रॉस के हवाले किया। इसके बदले में इजरायल ने करीब 2,000 फिलिस्तीनी कैदियों और बंदियों को रिहा करने की घोषणा की। यह कदम दोनों पक्षों के बीच लंबे समय से जमी कड़वाहट को कुछ हद तक कम करने की दिशा में अहम माना जा रहा है।
इजरायल की ओर से जारी बयान में कहा गया कि गाजा में अभी भी लगभग 20 और बंधकों के शव मौजूद हैं,जिनकी रिहाई या वापसी के लिए बातचीत जारी है। इजरायल ने हमास से इन शवों को भी तत्काल सौंपने की माँग की है। वहीं सोमवार को इजरायल ने यह भी घोषणा की कि अब हमास के पास कोई भी जीवित इजरायली बंधक नहीं है,जिससे यह संकेत मिला कि या तो सभी बंधक मारे जा चुके हैं या फिर उन्हें पहले के चरणों में ही रिहा कर दिया गया है।
दरअसल,ट्रंप शांति योजना का यह पहला चरण लंबे और जटिल वार्तालापों के बाद संभव हुआ है। अमेरिका की मध्यस्थता के अलावा इसमें मिस्र और कतर जैसे देशों ने भी पर्दे के पीछे से भूमिका निभाई है। ट्रंप प्रशासन का कहना है कि इस योजना का उद्देश्य न केवल हिंसा को रोकना है,बल्कि गाजा में मानवीय सहायता को पुनः प्रारंभ करना और दीर्घकालिक स्थिरता के लिए माहौल तैयार करना भी है।
गौरतलब है कि 7 अक्टूबर 2023 को हमास द्वारा किए गए अभूतपूर्व हमले ने गाजा-इजरायल संघर्ष को नई दिशा दे दी थी। हमास के आतंकियों ने इजरायल के दक्षिणी हिस्सों में घुसकर सैकड़ों नागरिकों की हत्या की थी और सैकड़ों इजरायली नागरिकों व सैनिकों को बंधक बना लिया था। इसके जवाब में इजरायल ने गाजा पर भीषण सैन्य अभियान चलाया,जिसमें हजारों लोगों की जानें गईं और गाजा के कई हिस्से मलबे में तब्दील हो गए।
इस संघर्ष ने न केवल मध्य पूर्व बल्कि पूरे विश्व को झकझोर कर रख दिया था। संयुक्त राष्ट्र और अंतर्राष्ट्रीय मानवाधिकार संगठनों ने बार-बार दोनों पक्षों से संयम बरतने की अपील की थी। अब जबकि यह सीजफायर लागू हुआ है,अंतर्राष्ट्रीय समुदाय इसे “शांति की दिशा में पहला ठोस कदम” मान रहा है।
हालाँकि,विश्लेषकों का कहना है कि यह सीजफायर स्थायी शांति की गारंटी नहीं है। इजरायल और हमास के बीच गहरे अविश्वास की खाई अभी भी मौजूद है। इजरायल की सुरक्षा चिंताएँ और हमास की राजनीतिक-सामाजिक माँगें दोनों ही जटिल हैं। फिर भी यह युद्धविराम आने वाले समय में राजनयिक संवाद के लिए अवसर पैदा कर सकता है।
प्रधानमंत्री नेतन्याहू ने इस समझौते पर प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि “हमारा पहला कर्तव्य अपने नागरिकों की सुरक्षा और उन्हें घर वापस लाना है। इस दिशा में यह एक बड़ा कदम है। हालाँकि,इजरायल तब तक चैन से नहीं बैठेगा जब तक गाजा में फँसे हर एक नागरिक का पता नहीं चल जाता।”
वहीं,व्हाइट हाउस ने बयान जारी कर कहा कि “राष्ट्रपति ट्रंप इस समझौते का स्वागत करते हैं और इसे मध्य पूर्व में स्थायी शांति की दिशा में एक ऐतिहासिक कदम मानते हैं। अमेरिका आगे भी क्षेत्रीय स्थिरता और मानवीय राहत के लिए काम करता रहेगा।”
सीजफायर लागू होने के बाद गाजा के कई इलाकों में खामोशी का माहौल देखा गया। दो साल से लगातार जारी बमबारी और गोलीबारी के बीच पहली बार लोग अपने घरों से बाहर निकले। बच्चों ने सड़कों पर खेलना शुरू किया और मानवीय संगठनों ने राहत कार्यों को पुनः प्रारंभ किया। हालाँकि,गाजा प्रशासन ने चेतावनी दी है कि स्थिति अभी नाजुक है और किसी भी उकसावे से हालात फिर बिगड़ सकते हैं।
दो वर्षों से जमे तनाव और संघर्ष के बाद यह सीजफायर गाजा और इजरायल दोनों के लिए राहत का क्षण है। यद्यपि यह केवल एक शुरुआती कदम है,लेकिन इससे यह उम्मीद अवश्य जगी है कि भविष्य में यह युद्धविराम स्थायी शांति की नींव रख सकेगा। अंतर्राष्ट्रीय समुदाय अब उत्सुकता से देख रहा है कि क्या यह समझौता गाजा की जमीं पर शांति की फसल उगा पाएगा या यह केवल एक अस्थायी विराम साबित होगा।
