नई दिल्ली,15 अक्टूबर (युआईटीवी)- दीपावली से पहले सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को एक अहम फैसला सुनाते हुए दिल्ली-एनसीआर में ग्रीन पटाखों की बिक्री और जलाने की सशर्त अनुमति दे दी है। मुख्य न्यायाधीश बी. आर. गवई और न्यायमूर्ति विनोद चंद्रन की पीठ ने कहा कि ग्रीन पटाखों का सीमित और नियंत्रित उपयोग पर्यावरण संतुलन के साथ उत्सव की भावना को भी बनाए रख सकता है। अदालत ने यह स्पष्ट किया कि यह अनुमति परंपरागत पटाखों पर नहीं,बल्कि केवल प्रमाणित ग्रीन पटाखों पर लागू होगी।
सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि दीपावली के दौरान नागरिकों के धार्मिक और सांस्कृतिक अधिकारों का सम्मान किया जाना चाहिए,लेकिन इसके साथ ही पर्यावरण की सुरक्षा भी उतनी ही आवश्यक है। अदालत ने सॉलिसिटर जनरल और एमिकस क्यूरी के सुझावों पर विचार करते हुए यह संतुलित निर्णय दिया। सीजेआई गवई ने कहा कि उद्योग जगत की चिंताएँ और पर्यावरण संरक्षण,दोनों के बीच सामंजस्य आवश्यक है। उन्होंने कहा कि पारंपरिक पटाखों से निकलने वाला धुआँ वायु गुणवत्ता पर गहरा प्रभाव डालता है,जबकि ग्रीन पटाखे अपेक्षाकृत कम प्रदूषण फैलाते हैं। इसलिए नियंत्रित दायरे में इनके प्रयोग की अनुमति दी जा सकती है।
न्यायालय ने अपने आदेश में कहा कि दिल्ली और एनसीआर क्षेत्र में 18 अक्टूबर से 21 अक्टूबर 2025 तक ग्रीन पटाखों की बिक्री और इस्तेमाल की अनुमति होगी। हालाँकि,यह बिक्री केवल उन ग्रीन पटाखों की होगी जिन पर क्यूआर कोड लगा होगा। यह कोड यह सुनिश्चित करेगा कि पटाखे पर्यावरण मंत्रालय द्वारा प्रमाणित हैं और इनमें प्रदूषक तत्वों की मात्रा पारंपरिक पटाखों से 30 प्रतिशत तक कम है। कोर्ट ने कहा कि किसी भी विक्रेता को बिना प्रमाणित पटाखे बेचने की अनुमति नहीं दी जाएगी और ऐसा करने पर उसके खिलाफ सख्त दंडात्मक कार्रवाई की जाएगी।
सुप्रीम कोर्ट ने ग्रीन पटाखों के इस्तेमाल के लिए समय सीमा भी तय की है। दीपावली के दिन लोग केवल सुबह 6 बजे से 7 बजे तक और रात 8 बजे से 10 बजे तक ही पटाखे फोड़ सकेंगे। अदालत ने यह स्पष्ट किया कि इस समय सीमा से बाहर पटाखे जलाना नियमों का उल्लंघन माना जाएगा और संबंधित व्यक्ति के खिलाफ कार्रवाई की जाएगी। पुलिस और स्थानीय प्रशासन को आदेश दिया गया है कि वे गश्ती दल बनाकर बाजारों और सार्वजनिक स्थलों की निगरानी करें,ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि केवल अधिकृत ग्रीन पटाखों की ही बिक्री हो रही है।
मुख्य न्यायाधीश गवई ने अपने बयान में यह भी उल्लेख किया कि पिछले छह वर्षों में ग्रीन पटाखों की पहल के बाद दिल्ली-एनसीआर में प्रदूषण के स्तर में कुछ कमी देखी गई है। उन्होंने कहा कि “जब कोविड काल के अलावा पटाखों पर पूरी तरह प्रतिबंध था,तब भी वायु गुणवत्ता में उल्लेखनीय सुधार नहीं हुआ। यह दर्शाता है कि प्रदूषण के अन्य स्रोत जैसे वाहन,निर्माण कार्य और पराली जलाना भी उतने ही जिम्मेदार हैं।” कोर्ट ने कहा कि इस वास्तविकता को ध्यान में रखते हुए उत्सव के समय पूरी तरह प्रतिबंध लगाने के बजाय जिम्मेदार तरीके से अनुमति देना अधिक उपयुक्त होगा।
हरियाणा के 22 जिलों में से 14 जिले एनसीआर क्षेत्र में आते हैं,जहाँ यह आदेश लागू होगा। अदालत ने राज्यों को निर्देश दिया है कि वे इस फैसले के अनुपालन के लिए विशेष निगरानी तंत्र बनाएँ। पुलिस और प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड को संयुक्त रूप से काम करने को कहा गया है,ताकि किसी भी गैरकानूनी पटाखा बिक्री को रोका जा सके।
कोर्ट ने यह भी स्पष्ट किया कि ई-कॉमर्स प्लेटफॉर्म जैसे अमेजन,फ्लिपकार्ट या अन्य वेबसाइटों पर पटाखों की ऑनलाइन बिक्री पूरी तरह से प्रतिबंधित रहेगी। न्यायालय ने कहा कि ऑनलाइन माध्यम से पटाखों की बिक्री की निगरानी मुश्किल होती है और ऐसे प्लेटफॉर्म से बिना जाँचे-परखे उत्पाद जनता तक पहुँच सकते हैं,जिससे पर्यावरण को नुकसान हो सकता है। इसलिए इस तरह की ऑनलाइन बिक्री को तत्काल प्रभाव से प्रतिबंधित रखा जाएगा।
अदालत ने राज्य सरकारों को यह भी निर्देश दिया कि वे ग्रीन पटाखों के उत्पादन, परिवहन और वितरण से जुड़े सभी व्यापारिक प्रतिष्ठानों की नियमित जाँच करें। अगर कोई व्यापारी या निर्माता गलत लेबलिंग कर पारंपरिक पटाखों को ग्रीन पटाखों के रूप में बेचने की कोशिश करता है,तो उसके खिलाफ सख्त दंडात्मक कार्रवाई की जाएगी।
सुप्रीम कोर्ट का यह फैसला दीपावली से पहले आया है,जब हर साल दिल्ली-एनसीआर में प्रदूषण का स्तर खतरनाक स्तर पर पहुँच जाता है। अदालत ने कहा कि यह आदेश नागरिकों को पर्यावरण संरक्षण की जिम्मेदारी निभाने की दिशा में भी प्रेरित करेगा। सीजेआई गवई ने कहा, “उत्सव का अर्थ केवल ध्वनि और प्रकाश नहीं,बल्कि समाज और पर्यावरण के प्रति संवेदनशीलता भी है। अगर हम जिम्मेदारी से ग्रीन पटाखों का इस्तेमाल करें,तो हम परंपरा और पर्यावरण दोनों की रक्षा कर सकते हैं।”
सुप्रीम कोर्ट का यह निर्णय एक संतुलित दृष्टिकोण पेश करता है,जहाँ लोगों की धार्मिक भावनाओं और पर्यावरणीय चिंताओं के बीच सामंजस्य स्थापित करने की कोशिश की गई है। दीपावली पर इस आदेश के लागू होने से यह देखना दिलचस्प होगा कि दिल्ली-एनसीआर में प्रदूषण का स्तर कितना नियंत्रित रह पाता है और क्या यह फैसला भविष्य में पर्यावरण-सुरक्षित त्योहारों की दिशा में एक नई मिसाल बन पाएगा।
