भारतीय निर्वाचन आयोग

बिहार विधानसभा चुनाव 2025: निर्वाचन आयोग ने राजनीतिक दलों को दूरदर्शन और आकाशवाणी पर मुफ्त प्रसारण समय देने की घोषणा की

नई दिल्ली,16 अक्टूबर (युआईटीवी)- बिहार विधानसभा चुनाव 2025 की तैयारियों के बीच भारत निर्वाचन आयोग (ईसीआई) ने एक महत्वपूर्ण कदम उठाते हुए सभी राष्ट्रीय और राज्य स्तरीय मान्यता प्राप्त राजनीतिक दलों को दूरदर्शन और आकाशवाणी पर मुफ्त प्रसारण समय देने की घोषणा की है। यह निर्णय जनप्रतिनिधित्व अधिनियम, 1951 की धारा 39ए के तहत लिया गया है,जिसका उद्देश्य सभी राजनीतिक दलों को समान अवसर प्रदान करना और चुनाव प्रचार में निष्पक्षता बनाए रखना है। आयोग का यह कदम चुनावी प्रक्रिया में पारदर्शिता लाने और मतदाताओं तक दलों की नीतियों,दृष्टिकोणों और घोषणाओं को प्रभावी ढंग से पहुँचाने के उद्देश्य से उठाया गया है।

निर्वाचन आयोग ने बताया कि बिहार में मान्यता प्राप्त सभी राष्ट्रीय और राज्य स्तरीय दलों को एक डिजिटल आईटी प्लेटफॉर्म के माध्यम से प्रसारण समय के वाउचर जारी किए गए हैं। इन वाउचरों के जरिए दलों को दूरदर्शन और आकाशवाणी के क्षेत्रीय नेटवर्क पर मुफ्त प्रसारण का अवसर मिलेगा। प्रत्येक राजनीतिक दल को 45 मिनट का आधारभूत प्रसारण समय दिया गया है। इसके अलावा,पिछले विधानसभा चुनावों में दलों के प्रदर्शन के आधार पर उन्हें अतिरिक्त समय भी आवंटित किया गया है। इस व्यवस्था का उद्देश्य यह सुनिश्चित करना है कि जिन दलों का जनाधार व्यापक है,उन्हें अपनी नीतियाँ प्रस्तुत करने के लिए पर्याप्त अवसर मिले,वहीं छोटे दलों को भी अपनी बात रखने का समान मंच मिल सके।

निर्वाचन आयोग ने स्पष्ट किया है कि प्रसारण का शेड्यूल और समय निर्धारण लॉटरी प्रणाली के माध्यम से तय किया जाएगा। इस लॉटरी में राजनीतिक दलों के प्रतिनिधियों के साथ बिहार के मुख्य निर्वाचन अधिकारी (सीईओ) के कार्यालय के अधिकारी भी उपस्थित रहेंगे,ताकि पूरे प्रक्रिया में पारदर्शिता और निष्पक्षता बनी रहे। आयोग ने कहा है कि प्रसारण का समय प्रत्येक चरण में उम्मीदवारों की सूची प्रकाशित होने की तारीख से लेकर मतदान से दो दिन पहले तक निर्धारित रहेगा। इस अवधि में दलों को अपने प्रचार संदेश,घोषणापत्र और विचार जनता तक पहुँचाने का अवसर मिलेगा।

आयोग ने राजनीतिक दलों को निर्देश दिया है कि वे अपने प्रसारण की स्क्रिप्ट और रिकॉर्डिंग पहले से जमा करें। ये स्क्रिप्ट और रिकॉर्डिंग प्रसार भारती के तकनीकी और प्रसारण मानकों के अनुरूप होनी चाहिए। दल चाहें तो अपनी रिकॉर्डिंग किसी प्रमाणित निजी स्टूडियो में करा सकते हैं या फिर सीधे दूरदर्शन और आकाशवाणी केंद्रों पर भी रिकॉर्डिंग करवा सकते हैं। रिकॉर्डिंग से पहले आयोग द्वारा दी गई गाइडलाइनों का पालन करना अनिवार्य होगा। किसी भी आपत्तिजनक,भड़काऊ या गलत सूचना वाले कंटेंट को प्रसारण से रोकने के लिए सख्त निगरानी रखी जाएगी।

इसके अतिरिक्त,प्रसार भारती ने बिहार विधानसभा चुनावों के दौरान दो विशेष पैनल चर्चाओं या वाद-विवादों के आयोजन की योजना बनाई है। इन चर्चाओं में सभी पात्र राजनीतिक दलों को अपने एक प्रतिनिधि को शामिल करने की अनुमति दी जाएगी। इन पैनल चर्चाओं का संचालन एक स्वतंत्र समन्वयक द्वारा किया जाएगा,ताकि चर्चा का माहौल निष्पक्ष,संतुलित और पारदर्शी बना रहे। इन कार्यक्रमों का उद्देश्य जनता को विभिन्न राजनीतिक दलों के दृष्टिकोणों से अवगत कराना और मुद्दों पर सीधी बहस को प्रोत्साहित करना है,ताकि मतदाता तथ्यों और नीतियों के आधार पर अपना निर्णय ले सकें।

निर्वाचन आयोग ने इस पूरी प्रक्रिया को डिजिटल प्लेटफॉर्म के माध्यम से प्रबंधित करने का निर्णय लेकर पारदर्शिता और तकनीकी दक्षता को बढ़ावा दिया है। पहले जहाँ प्रसारण समय के वितरण में प्रशासनिक औपचारिकताएँ अधिक समय लेती थीं,वहीं अब इस डिजिटल प्रणाली से दलों को समय पर जानकारी और प्रसारण की सुविधा प्राप्त होगी। आयोग ने सभी दलों से आग्रह किया है कि वे अपने प्रसारण की सामग्री समय पर जमा करें और निर्धारित समय का पालन करें,ताकि शेड्यूल में किसी तरह की बाधा न आए।

चुनाव आयोग के इस कदम का स्वागत कई राजनीतिक विश्लेषकों ने किया है। उनका मानना है कि यह व्यवस्था लोकतांत्रिक प्रक्रिया को मजबूत करेगी और छोटे दलों को भी समान अवसर प्रदान करेगी,जिससे मतदाता सभी विकल्पों को समझकर सूचित निर्णय ले सकेंगे। वहीं प्रसार भारती के अधिकारियों ने कहा है कि सभी कार्यक्रमों का प्रसारण तकनीकी रूप से उच्च गुणवत्ता का होगा और यह सुनिश्चित किया जाएगा कि प्रसारण के दौरान कोई भी दल तकनीकी कारणों से नुकसान न उठाए।

बिहार विधानसभा चुनाव 2025 में यह पहल न केवल तकनीकी दृष्टि से आधुनिक चुनाव प्रबंधन का उदाहरण बनेगी,बल्कि यह लोकतंत्र की उस भावना को भी मजबूत करेगी जिसमें प्रत्येक दल,चाहे बड़ा हो या छोटा,समान अवसर का अधिकारी है। निर्वाचन आयोग ने साफ कहा है कि यह कदम मतदाताओं के हित में उठाया गया है,ताकि जनता सभी दलों की नीतियों और दृष्टिकोणों को सीधे सुन सके और अपने मत का उपयोग विवेकपूर्ण ढंग से कर सके। इस निर्णय से बिहार में होने वाले चुनावों में निष्पक्षता और पारदर्शिता की नई मिसाल कायम होने की उम्मीद जताई जा रही है।