प्रधानमंत्री मोदी और डोनाल्ड ट्रंप

ट्रंप ने पीएम मोदी और भारत की तारीफ के साथ रूस से तेल न खरीदने का किया दावा,भारत ने स्पष्ट किया अपना रुख

नई दिल्ली,16 अक्टूबर (युआईटीवी)- अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने हाल ही में एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और भारत के लिए बेहद सकारात्मक और कभी-कभी चौंकाने वाले बयान दिए। ट्रंप ने पीएम मोदी को “महान व्यक्ति” बताया और कहा कि भारत “एक अविश्वसनीय देश” है। इस बीच उन्होंने यह भी दावा किया कि मोदी ने उन्हें भरोसा दिलाया है कि भारत अब रूस से तेल नहीं खरीदेगा। इस बयान ने अंतर्राष्ट्रीय और क्षेत्रीय ऊर्जा नीतियों पर नई बहस को जन्म दिया और भारत ने इसे लेकर अपना स्पष्ट रुख भी पेश किया।

व्हाइट हाउस में आयोजित प्रेस कॉन्फ्रेंस के दौरान मलेशिया में पीएम मोदी से संभावित मुलाकात के सवाल पर ट्रंप ने कहा, “हाँ, जरूर। वह मेरे दोस्त हैं। हमारे बीच बहुत अच्छे संबंध हैं। वह एक महान व्यक्ति हैं। वह ट्रंप से प्यार करते हैं। मैंने वर्षों से भारत को देखा है। यह एक अविश्वसनीय देश है और हर साल एक नया नेता आता है। मेरा मतलब है,कुछ नेता कुछ महीनों के लिए ही वहाँ रहते हैं और यह साल दर साल होता रहा है और मेरे दोस्त लंबे समय से वहाँ हैं।” ट्रंप ने अपने बयान में भारतीय नेतृत्व की स्थिरता और पीएम मोदी के साथ व्यक्तिगत संबंध की तारीफ की।

इस दौरान ट्रंप ने रूस से तेल खरीद को लेकर भी चौंकाने वाला दावा किया। उन्होंने कहा कि उन्हें पीएम मोदी ने आश्वासन दिया है कि भारत रूस से तेल नहीं खरीदेगा। ट्रंप ने कहा, “उन्होंने आज मुझे आश्वासन दिया कि वे रूस से तेल नहीं खरीदेंगे। इसे तुरंत नहीं किया जा सकता है। यह एक छोटी प्रक्रिया है,लेकिन यह प्रक्रिया जल्द ही पूरी हो जाएगी और हम राष्ट्रपति पुतिन से बस यही चाहते हैं कि वे युद्ध रोकें।” उन्होंने यह भी कहा कि “कुछ ही समय में,वे रूस से तेल नहीं खरीदेंगे और युद्ध समाप्त होने के बाद वे फिर से रूस से तेल का व्यापार करेंगे।” इसके साथ ही ट्रंप ने चीन पर भी समान दबाव डालने की बात की,क्योंकि चीन वर्तमान में रूस का सबसे बड़ा ऊर्जा खरीदार है।

हालाँकि,भारत ने इस दावे को लेकर अपना स्पष्ट रुख पेश किया। विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता रणधीर जायसवाल ने कहा, “भारत तेल और गैस का एक महत्वपूर्ण आयातक है। अस्थिर ऊर्जा परिदृश्य में भारतीय उपभोक्ताओं के हितों की रक्षा करना हमारी निरंतर प्राथमिकता रही है। हमारी आयात नीतियाँ पूरी तरह इसी उद्देश्य से निर्देशित होती हैं। स्थिर ऊर्जा मूल्य और सुरक्षित आपूर्ति सुनिश्चित करना हमारी ऊर्जा नीति के दोहरे लक्ष्य रहे हैं। इसमें हमारी ऊर्जा स्रोतों का व्यापक आधार बनाना और बाजार की स्थितियों के अनुरूप विविधीकरण करना शामिल है।” उन्होंने यह भी स्पष्ट किया कि भारत की ऊर्जा नीतियाँ किसी अन्य देश के दबाव में बदलती नहीं हैं।

जायसवाल ने आगे कहा, “जहाँ तक अमेरिका का संबंध है,हम कई वर्षों से अपनी ऊर्जा खरीद का विस्तार करने का प्रयास कर रहे हैं। पिछले दशक में इसमें लगातार प्रगति हुई है। वर्तमान प्रशासन ने भारत के साथ ऊर्जा सहयोग को गहरा करने में रुचि दिखाई है। इस पर चर्चाएँ जारी हैं।” उनका बयान यह संकेत देता है कि भारत अपनी ऊर्जा सुरक्षा और विविधता बनाए रखने के लिए नीति-निर्माण में स्वतंत्र और संतुलित दृष्टिकोण अपनाता रहेगा।

विशेषज्ञों ने भी ट्रंप के इस बयान पर प्रतिक्रिया दी है। उनका मानना है कि अमेरिकी राष्ट्रपति अक्सर अपनी प्रेस कॉन्फ्रेंस में इस तरह के दावे कर देते हैं,जो वास्तविक स्थिति से मेल नहीं खाते। ट्रंप की शैली हमेशा ध्यान आकर्षित करने वाली रही है और कभी-कभी यह वास्तविक तथ्यों से दूर भी हो सकती है। आँकड़ें बताते हैं कि भारत वर्तमान में रूस का दूसरा सबसे बड़ा कच्चे तेल का आयातक देश है। सितंबर 2025 में भारत ने रूस से 25,597 करोड़ रुपए का कच्चा तेल खरीदा,जबकि चीन रूस का सबसे बड़ा कच्चे तेल का खरीदार बना हुआ है।

रूस से तेल खरीद को लेकर ट्रंप का दावा इसलिए भी विवादास्पद माना गया क्योंकि भारत ने पिछले कुछ वर्षों में रूस से तेल खरीदने की नीति अपनाई है,जो भारत की ऊर्जा सुरक्षा और आर्थिक हितों के अनुरूप है। ऊर्जा विशेषज्ञों का मानना है कि भारत की नीतियाँ स्थिरता,सुरक्षा और विविधीकरण पर आधारित हैं और इस दिशा में विदेशों से किसी भी तरह का दबाव निर्णायक नहीं होगा।

ट्रंप की प्रेस कॉन्फ्रेंस में इसके अलावा कई अन्य दावे भी सामने आए। उन्होंने कहा कि उन्होंने सात युद्धों को सुलझाया है और खुद के लिए नोबेल शांति पुरस्कार की माँग भी की। इसके अलावा उन्होंने भारत और पाकिस्तान के बीच सीजफायर का भी दावा किया,जिसे भारत ने पूरी तरह खारिज कर दिया। भारत ने साफ किया कि ऐसे दावे वास्तविक स्थिति का प्रतिनिधित्व नहीं करते और किसी भी तरह से भारत की नीति या स्थिति को प्रभावित नहीं करते।

विशेषज्ञों का मानना है कि ट्रंप की शैली में यह बात आम है कि वे अपने बयान में वास्तविकता और व्यक्तिगत दृष्टिकोण का मिश्रण करते हैं। वे अक्सर तथ्यों के बजाय अपने दृष्टिकोण के अनुसार बयान देते हैं,जिससे अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर भ्रम की स्थिति उत्पन्न हो सकती है। भारत ने इस प्रकार के दावों को हमेशा अपने द्विपक्षीय संबंधों और नीति निर्धारण के आधार पर देखना सीखा है।

भारत की प्रतिक्रिया और विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता के बयान ने यह स्पष्ट कर दिया कि भारत अपनी ऊर्जा नीति,आर्थिक हित और राष्ट्रीय सुरक्षा को ध्यान में रखते हुए ही निर्णय लेता है। भारत ने हमेशा अपने अंतर्राष्ट्रीय सहयोग को संतुलित और रणनीतिक दृष्टिकोण के आधार पर विकसित किया है। चाहे वह अमेरिका हो,रूस हो या कोई अन्य देश,भारत के निर्णय स्वतंत्र और राष्ट्रीय हितों पर आधारित होंगे।

अंतर्राष्ट्रीय कूटनीति और ऊर्जा व्यापार के विश्लेषक मानते हैं कि ट्रंप का बयान भारत-यूएस संबंधों के एक सामान्य संवाद का हिस्सा है,लेकिन इसे वास्तविक नीतिगत बदलाव या किसी तरह के दबाव के रूप में नहीं देखा जा सकता। भारत ने हमेशा यह सिद्ध किया है कि वह अपने उपभोक्ताओं और अर्थव्यवस्था के हित में संतुलित निर्णय लेने में सक्षम है और किसी बाहरी दबाव में अपनी ऊर्जा नीतियों को नहीं बदलता।

इस प्रकार,ट्रंप के बयान और उसके बाद भारत की प्रतिक्रिया ने स्पष्ट कर दिया है कि भारत अपनी ऊर्जा सुरक्षा और विदेश नीति में स्वतंत्र और संतुलित दृष्टिकोण बनाए रखेगा। रूस से तेल खरीद को लेकर ट्रंप के आश्वासन और भारत के वास्तविक आंकड़े इस अंतर को स्पष्ट करते हैं कि वास्तविक नीति और अंतर्राष्ट्रीय बयान अक्सर अलग हो सकते हैं। भारत ने यह स्पष्ट किया कि उसकी ऊर्जा रणनीति,आर्थिक हित और राष्ट्रीय सुरक्षा प्राथमिकताएँ किसी अन्य देश के दावों या आश्वासनों पर आधारित नहीं हैं और वह अपने निर्णय स्वतंत्र और जिम्मेदारीपूर्ण ढंग से लेता रहेगा।