नई दिल्ली,22 अक्टूबर (युआईटीवी)- दक्षिण अमेरिकी देश बोलीविया में राष्ट्रपति चुनाव के दूसरे दौर में बड़ी राजनीतिक हलचल देखने को मिली है। ईसाई लोकतांत्रिक पार्टी (पीडीसी) के उम्मीदवार रोड्रिगो पाज परेरा ने शानदार जीत हासिल कर देश के नए राष्ट्रपति के रूप में उभरे। उन्होंने पूर्व राष्ट्रपति जॉर्ज ‘तुटो’ क्विरोगा को परास्त किया। इस जीत के साथ ही लगभग दो दशकों से सत्ता में रही वामपंथी पार्टी ‘मूवमेंट टुवर्ड सोशलिज्म’ (एमएएस) का शासन समाप्त हो गया। पाज की जीत 2006 से देश में सत्ता में रहे एमएएस के लगभग 20 साल के प्रभाव को समाप्त करने वाली साबित हुई।
पाज की जीत के बाद भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने उन्हें सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर बधाई दी। प्रधानमंत्री मोदी ने लिखा, “बोलीविया के राष्ट्रपति चुने जाने पर रोड्रिगो पाज परेरा को हार्दिक बधाई। भारत और बोलीविया के बीच घनिष्ठ और मैत्रीपूर्ण संबंध लंबे समय से हमारे पारस्परिक सहयोग की आधारशिला रहे हैं। मैं आने वाले वर्षों में साझा प्रगति और समृद्धि के लिए हमारी साझेदारी को और मजबूत बनाने की उम्मीद करता हूँ।” प्रधानमंत्री मोदी की यह बधाई दोनों देशों के बीच बढ़ते द्विपक्षीय संबंधों और सहयोग की दिशा में एक सकारात्मक संदेश मानी जा रही है।
रोड्रिगो पाज,जो कि 58 वर्ष के हैं,ने चुनावी जीत के बाद अपनी पहली प्रतिक्रिया में कहा कि उनका उद्देश्य पूँजीवाद को बढ़ावा देना और अमेरिका समेत अन्य देशों के साथ संबंधों को सुधारना है। उन्होंने यह भी स्पष्ट किया कि उनकी शासन शैली सर्वसम्मति पर आधारित होगी और वे समाज के विभाजित तबकों के बीच जनता का विश्वास हासिल करने की पूरी कोशिश करेंगे। पाज के अनुसार,उनका प्रशासन पारदर्शिता,आर्थिक विकास और स्थिरता पर केंद्रित होगा,जो बोलीविया के लिए राजनीतिक और आर्थिक परिवर्तन का संकेत है।
बोलीविया में 2006 से एमएएस पार्टी सत्ता में रही। एमएएस के तहत देश में वामपंथी नीतियों का पालन किया गया और इसका राजनीतिक प्रभाव देश के सामाजिक और आर्थिक ढाँचे पर गहरा रहा,लेकिन इस बार एमएएस का उम्मीदवार दूसरे दौर तक भी नहीं पहुँच सका,जो पार्टी के प्रभाव में कमी का प्रतीक है। इस चुनावी बदलाव के साथ ही देश की राजनीति में लंबे समय से स्थायी रहे वामपंथी शासन का अंत हो गया।
पहले दौर का मतदान अगस्त 2025 में हुआ था। उस दौर में किसी भी दल को स्पष्ट बहुमत नहीं मिला,जिसके कारण चुनाव का अंतिम दौर आवश्यक हो गया। दूसरे दौर में रोड्रिगो पाज ने शानदार चुनावी अभियान चलाया और जनता के बीच व्यापक समर्थन हासिल किया। इस जीत से पाज की लोकप्रियता और जनता में उम्मीद की भावना स्पष्ट रूप से दिखाई दी।
अंतर्राष्ट्रीय प्रतिक्रिया भी इस चुनावी परिणाम पर सकारात्मक रही। अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने पाज को बधाई संदेश भेजा। इसके साथ ही अमेरिकी विदेश मंत्री मार्को रुबियो ने कहा कि वाशिंगटन नवनिर्वाचित राष्ट्रपति पाज के साथ साझा प्राथमिकताओं के आधार पर साझेदारी के लिए तैयार है। रुबियो ने यह भी कहा कि “दो दशकों के कुप्रबंधन के बाद पाज का चुनाव बोलीविया और अमेरिका दोनों के लिए एक परिवर्तनकारी अवसर है।”
पाज 8 नवंबर को औपचारिक रूप से राष्ट्रपति पद की शपथ लेंगे। उनकी शपथ ग्रहण के बाद देश में राजनीतिक और आर्थिक नीतियों में बदलाव की उम्मीद जताई जा रही है। विशेषज्ञों का मानना है कि पाज के प्रशासन में पूँजीवादी नीतियों पर जोर देने के साथ-साथ विदेशी निवेश और आर्थिक सुधारों की दिशा में नए प्रयास होंगे।
हालाँकि,इस चुनावी प्रक्रिया में चुनौतियाँ और विवाद भी सामने आए। मात खाने वाली पार्टी ने चुनावी नतीजों पर सवाल उठाए हैं। उनका कहना है कि चुनावी प्रक्रिया में पारदर्शिता बनाए रखना आवश्यक था और उन्हें लगा कि वोटों की गिनती और मतदान के तरीके पर असंतोष रहा। बावजूद इसके,चुनावी आयोग ने परिणामों को वैध और निष्पक्ष घोषित किया है।
बोलीविया की जनता ने इस चुनाव में अपने मत से यह स्पष्ट संदेश दिया कि वे 20 साल से चली आ रही वामपंथी नीतियों और शासन से परिवर्तन चाहते हैं। पाज की जीत से देश में न केवल राजनीतिक बदलाव आया है,बल्कि सामाजिक और आर्थिक दृष्टि से भी नई उम्मीदें जग गई हैं। उनकी नीतियों और नेतृत्व शैली पर देश की निगाहें टिकी हुई हैं और यह देखा जाएगा कि वह किस प्रकार से आर्थिक सुधार,विदेशी निवेश और अंतर्राष्ट्रीय संबंधों को सुदृढ़ करते हैं।
भारत के साथ संबंधों के संदर्भ में पाज ने स्पष्ट संकेत दिए हैं कि वे भारत समेत अन्य देशों के साथ सहयोग बढ़ाने के पक्षधर हैं। प्रधानमंत्री मोदी की बधाई और उनके मैत्रीपूर्ण संदेश के माध्यम से यह स्पष्ट हो गया है कि भारत-बोलीविया संबंध भविष्य में और मजबूत होने की संभावना रखते हैं।
इस तरह,रोड्रिगो पाज परेरा का राष्ट्रपति बनना न केवल बोलीविया में राजनीतिक बदलाव का प्रतीक है,बल्कि यह दक्षिण अमेरिका में वामपंथी शासन के लंबे दौर के समाप्त होने और देश में नए आर्थिक और राजनीतिक अवसरों के आने का संकेत भी देता है। आने वाले महीनों में पाज की नीतियों और प्रशासनिक दिशा के आधार पर यह तय होगा कि बोलीविया किस दिशा में आगे बढ़ता है और अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर उसका प्रभाव कैसे दिखता है।