केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण

दिवाली पर रिकॉर्ड बिक्री: निर्मला सीतारमण ने 6.05 लाख करोड़ रुपए के आँकड़ें साझा किए,जीएसटी कट और स्वदेशी उत्पादों ने बढ़ाई माँग

नई दिल्ली,23 अक्टूबर (युआईटीवी)- केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने बुधवार को इस वर्ष दिवाली के दौरान देश में हुई बिक्री के आँकड़ें साझा किए। उन्होंने बताया कि इस बार दिवाली की बिक्री रिकॉर्ड 6.05 लाख करोड़ रुपए तक पहुँच गई है। इस वृद्धि के पीछे जीएसटी दरों में कटौती और स्वदेशी उत्पादों की मजबूत माँग प्रमुख कारण रहे। वित्त मंत्री ने यह आँकड़ा कन्फेडरेशन ऑफ ऑल इंडिया ट्रेडर्स (कैट) द्वारा किए गए सर्वेक्षण के आधार पर प्रस्तुत किया।

कैट के अनुसार,इस वर्ष दिवाली की कुल बिक्री में 5.4 लाख करोड़ रुपए वस्तुओं की बिक्री और 65,000 करोड़ रुपए सेवाओं की बिक्री शामिल हैं। यह आँकड़ा पिछले साल 2024 की नवरात्रि से दिवाली तक की अवधि के दौरान हुई 4.25 लाख करोड़ रुपए की बिक्री से लगभग 25 प्रतिशत अधिक है। इस तरह की वृद्धि ने देश की ट्रेडिंग हिस्ट्री में अब तक की सबसे बड़ी दिवाली बिक्री का रिकॉर्ड बनाया है। सर्वेक्षण में यह भी बताया गया कि कुल बिक्री का लगभग 85 प्रतिशत मुख्य खुदरा क्षेत्र से आया,जो खुदरा बाजार के मजबूत पुनरुद्धार का संकेत है।

विशेष रूप से कन्फेक्शनरी,होम डेकोर,फुटवियर,रेडीमेड गारमेंट,कंज्यूमर ड्यूरेबल और दैनिक उपयोग की वस्तुएँ जैसी प्रमुख उपभोक्ता और खुदरा श्रेणियों में जीएसटी रेट कट का बड़ा असर देखा गया। इससे मूल्य प्रतिस्पर्धा में सुधार हुआ और खरीदारी की गति बढ़ी। सर्वे में शामिल व्यापारियों में से लगभग 72 प्रतिशत ने कहा कि उनकी बिक्री बढ़ने का मुख्य कारण जीएसटी में कटौती है।

वित्त मंत्री ने यह भी उल्लेख किया कि उपभोक्ताओं ने इस वर्ष की त्योहारी माँग के बीच स्थिर कीमतों और बेहतर मूल्य प्रतिस्पर्धा पर संतोष व्यक्त किया। इस संतोषजनक उपभोक्ता अनुभव ने दिवाली के बाद भी खपत को जारी रखने में मदद की। कैट के सर्वेक्षण के अनुसार,गैर-कॉर्पोरेट और गैर-कृषि क्षेत्र भारत के विकास का एक केंद्रीय स्तंभ बनकर उभरा है। यह क्षेत्र लगभग 9 करोड़ छोटे व्यवसायों,करोड़ों छोटी मैन्युफैक्चरिंग यूनिट्स और देश के विशाल उपभोक्ता आधार द्वारा संचालित होता है।

इस साल दिवाली की बिक्री में ग्रामीण और अर्ध-शहरी क्षेत्रों की बढ़ती क्रय शक्ति ने भी महत्वपूर्ण योगदान दिया। आँकड़ों के अनुसार,कुल बिक्री का लगभग 28 प्रतिशत हिस्सा ग्रामीण और अर्ध-शहरी उपभोक्ताओं से आया। यह दर्शाता है कि छोटे शहरों और गाँवों में उपभोक्ता क्रय शक्ति में स्थिरता और वृद्धि देखने को मिली है,जो देश की समग्र अर्थव्यवस्था के लिए उत्साहवर्धक संकेत है।

वित्त मंत्री ने यह भी बताया कि दिवाली के इस रिकॉर्ड व्यापार में लॉजिस्टिक्स, ट्रांसपोर्ट,खुदरा सहायता,पैकेजिंग और डिलीवरी जैसे क्षेत्रों में लगभग 50 लाख लोगों के लिए अस्थायी रोजगार उत्पन्न हुआ। यह आँकड़ा यह दर्शाता है कि दिवाली न केवल बिक्री और व्यापार के लिए महत्वपूर्ण है,बल्कि रोजगार सृजन और आर्थिक गतिविधियों को भी प्रोत्साहित करती है।

कैट ने इस अवसर पर कहा, “इस वर्ष की दिवाली ने भारतीय रिटेल और ट्रेडिंग इकोनॉमी में एक नया मानदंड स्थापित किया है। यह भारतीय उद्यम,परंपरा,टेक्नोलॉजी और विश्वास के मिश्रण का प्रतीक है।” उन्होंने आगे कहा कि इस वर्ष की दिवाली प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के दूरदर्शी नेतृत्व में ‘आत्मनिर्भर भारत’ के निर्माण में एक महत्वपूर्ण मील का पत्थर साबित हुई है।

वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण के अनुसार,इस साल की दिवाली ने देश की अर्थव्यवस्था की मजबूती को दिखाया है। जीएसटी रेट कट और स्थानीय उत्पादों के प्रति बढ़ती माँग ने न केवल व्यापारियों और उपभोक्ताओं को लाभ पहुँचाया,बल्कि देश में आत्मनिर्भरता और डिजिटल पेमेंट सिस्टम को भी प्रोत्साहित किया। सरकार की नीतियों के सकारात्मक प्रभाव से व्यापारियों ने अधिक निवेश और स्टॉकिंग की रणनीति अपनाई,जिससे दुकानों और ऑनलाइन प्लेटफॉर्म दोनों पर बिक्री में इजाफा हुआ।

विशेषज्ञों का कहना है कि इस साल की दिवाली की बिक्री ने यह स्पष्ट कर दिया है कि भारत की उपभोक्ता अर्थव्यवस्था मजबूत है और त्योहारी सीजन में उपभोक्ताओं की बढ़ती क्रय शक्ति अर्थव्यवस्था के लिए महत्वपूर्ण रोल निभा रही है। इसके साथ ही,यह भी देखा गया कि छोटे और मझोले व्यवसायों ने डिजिटल माध्यमों और ऑनलाइन प्लेटफॉर्म के माध्यम से बिक्री बढ़ाने में सफलता पाई।

2025 की दिवाली ने न केवल भारत के व्यापार और उपभोक्ता बाजार के लिए नए रिकॉर्ड स्थापित किए हैं,बल्कि यह भी स्पष्ट किया है कि स्थिर कीमतें,जीएसटी रेट कट और स्वदेशी उत्पादों की लोकप्रियता मिलकर देश में आर्थिक गतिविधियों को गति प्रदान करती हैं। यह त्योहारी बिक्री का अनुभव भारत की आर्थिक मजबूती और व्यापारिक प्रतिस्पर्धा की दिशा में एक सकारात्मक संकेत माना जा रहा है।

इस तरह,दिवाली 2025 ने भारत के रिटेल और ट्रेडिंग सेक्टर के लिए एक नए मानक और उत्साहवर्धक मील का पत्थर तय किया है,जो आने वाले वर्षों में व्यापार और उपभोक्ता व्यवहार को प्रभावित करेगा।