डोनाल्ड ट्रम्प और शी जिनपिंग

मलेशिया में होने जा रही ट्रंप-जिनपिंग मुलाकात पर टिकी दुनिया की निगाहें,टैरिफ विवाद के बीच सुलह की उम्मीदें

वाशिंगटन,24 अक्टूबर (युआईटीवी)- अमेरिका और चीन के बीच लंबे समय से चल रहे व्यापारिक तनाव के बीच अब दोनों देशों के शीर्ष नेता एक बार फिर आमने-सामने बैठने जा रहे हैं। अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप और चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग की मुलाकात अगले हफ्ते मलेशिया में होने वाली है। यह बैठक एशिया-प्रशांत आर्थिक सहयोग (एपीईसी) शिखर सम्मेलन के इतर 30 अक्टूबर को आयोजित की जाएगी। यह मुलाकात ऐसे समय पर हो रही है,जब ट्रंप ने हाल ही में चीन पर 155 फीसदी तक का टैरिफ 1 नवंबर से लागू करने की घोषणा की है। इसलिए यह बैठक न केवल एशिया बल्कि पूरी दुनिया की अर्थव्यवस्थाओं के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण मानी जा रही है।

व्हाइट हाउस की प्रेस सचिव कैरोलिन लेविट ने गुरुवार को इसकी औपचारिक पुष्टि की। उन्होंने बताया कि दोनों देशों के बीच कई मुद्दों पर मतभेद के बावजूद,राष्ट्रपति ट्रंप और शी जिनपिंग ने संवाद के रास्ते को खुला रखा है। लेविट ने कहा कि इस बैठक का मुख्य उद्देश्य व्यापारिक तनाव को कम करना,रणनीतिक स्थिरता बढ़ाना और दोनों देशों के बीच संवाद के माध्यम से एक नया संतुलन स्थापित करना है। उन्होंने यह भी स्पष्ट किया कि ट्रंप प्रशासन चीन के साथ “न्यायपूर्ण और संतुलित व्यापारिक संबंध” स्थापित करने का इच्छुक है,लेकिन वह अमेरिकी हितों से किसी भी तरह का समझौता नहीं करेगा।

गौरतलब है कि कुछ हफ्ते पहले तक यह बैठक अनिश्चित थी। अमेरिकी राष्ट्रपति ट्रंप ने वाशिंगटन और बीजिंग के बीच बढ़ते टैरिफ विवाद को देखते हुए इसे रद्द करने की धमकी दी थी। उन्होंने कहा था कि जब तक चीन “न्यायसंगत व्यापारिक रवैया” नहीं अपनाता,तब तक बातचीत का कोई मतलब नहीं है। हालाँकि,बुधवार को अचानक अपने बयान में नरमी लाते हुए ट्रंप ने कहा कि उन्हें “हर मुद्दे पर समझौते की उम्मीद” है। इस बदलाव ने वैश्विक बाजारों में उम्मीद की एक नई लहर पैदा कर दी है।

व्हाइट हाउस के अनुसार, राष्ट्रपति ट्रंप शुक्रवार को वाशिंगटन से रवाना होंगे और रविवार को दक्षिण पूर्व एशियाई राष्ट्र संघ (आसियान) शिखर सम्मेलन में भाग लेने के लिए मलेशिया पहुँचेंगे। यह भी उल्लेखनीय है कि अपने पिछले कार्यकाल के दौरान ट्रंप कई बार इस बैठक में शामिल नहीं हुए थे,इसलिए इस बार उनकी उपस्थिति विशेष महत्व रखती है। मलेशिया में वह न केवल एपीईसी सम्मेलन में हिस्सा लेंगे,बल्कि मलेशियाई प्रधानमंत्री अनवर इब्राहिम के साथ एक द्विपक्षीय व्यापार समझौते पर हस्ताक्षर भी करेंगे।

मलेशियाई प्रधानमंत्री अनवर इब्राहिम ने अपने बयान में कहा कि राष्ट्रपति ट्रंप इस क्षेत्र में स्थिरता और शांति के लिए प्रतिबद्ध हैं। उन्होंने यह भी बताया कि ट्रंप थाईलैंड और कंबोडिया के बीच चल रही शांति वार्ता की निगरानी करेंगे और इसके सकारात्मक परिणाम देखने के लिए उत्सुक हैं। इस पहल को एशिया में अमेरिकी प्रभाव को पुनर्स्थापित करने की रणनीति के रूप में देखा जा रहा है।

मलेशिया के बाद ट्रंप का अगला पड़ाव जापान होगा,जहाँ वह मंगलवार को पहुँचेंगे। बुधवार को वह जापान की नई प्रधानमंत्री साने ताकाइची से मुलाकात करेंगे,जिन्होंने हाल ही में देश की पहली महिला प्रधानमंत्री के रूप में पदभार संभाला है। ट्रंप के ‘टैरिफ बम’ से अब तक जापान सुरक्षित रहा है,लेकिन विशेषज्ञों का कहना है कि अगर अमेरिका-चीन व्यापारिक टकराव नहीं सुलझा,तो जापान पर भी इसका असर पड़ सकता है।

इसके बाद ट्रंप दक्षिण कोरिया पहुँचेंगे, जहाँ वह राष्ट्रपति ली जे म्युंग के साथ बैठक करेंगे। इसके अलावा वे एपीईसी लंच में व्यापारिक नेताओं को संबोधित करेंगे और अमेरिकी टेक कंपनियों के सीईओ के साथ डिनर पर मुलाकात करेंगे। यह बैठक दक्षिण कोरिया के ग्योंगजू शहर में आयोजित की जाएगी,जहाँ एपीईसी सम्मेलन से इतर कई द्विपक्षीय वार्ताएँ भी होंगी।

इसी दौरान,राष्ट्रपति ट्रंप और शी जिनपिंग के बीच होने वाली बहुप्रतीक्षित बैठक का आयोजन भी होगा। यह दोनों नेताओं की पदभार ग्रहण करने के बाद पहली आधिकारिक मुलाकात होगी। विश्व समुदाय की निगाहें इस पर टिकी हैं कि क्या यह बैठक अमेरिका और चीन के बीच जारी व्यापार युद्ध को कम कर पाएगी या नहीं। अंतरराष्ट्रीय विश्लेषकों का मानना है कि अगर दोनों देशों के बीच किसी भी स्तर पर सहमति बनती है,तो यह वैश्विक बाजारों में स्थिरता लाने में बड़ी भूमिका निभा सकती है।

हालाँकि,ट्रंप की शैली को देखते हुए यह भी अनुमान लगाया जा रहा है कि वह बातचीत में सख्त रुख अपनाएँगे। उन्होंने पहले ही संकेत दे दिए हैं कि चीन को “अमेरिका की तकनीक की चोरी और अनुचित व्यापारिक प्रथाओं” का जवाब देना होगा। वहीं,बीजिंग की ओर से कहा गया है कि “चीन किसी भी प्रकार के दबाव के आगे झुकने वाला नहीं है,लेकिन वह आपसी सम्मान और सहयोग की भावना से संवाद के लिए तैयार है।”

इस दौरे में उत्तर कोरिया का मुद्दा भी चर्चा का केंद्र रहेगा। कुछ दिन पहले ही उत्तर कोरिया ने कई बैलिस्टिक मिसाइलें दागी थीं,जिससे क्षेत्र में तनाव बढ़ गया है। इसके चलते दक्षिण कोरिया ने असैन्यीकृत क्षेत्र (डीएमजेड) के कुछ हिस्सों में यात्राओं पर अस्थायी रोक लगा दी है। इस घटनाक्रम के बाद ट्रंप और उत्तर कोरियाई नेता किम जोंग उन की संभावित मुलाकात को लेकर अटकलें तेज हो गई हैं,हालाँकि व्हाइट हाउस ने अभी तक ऐसी किसी बैठक की पुष्टि नहीं की है।

मलेशिया में होने वाली यह ट्रंप-जिनपिंग बैठक न केवल अमेरिका-चीन संबंधों के भविष्य के लिए अहम होगी,बल्कि यह आने वाले वर्षों में वैश्विक आर्थिक समीकरणों को भी गहराई से प्रभावित कर सकती है। विशेषज्ञों का मानना है कि यदि दोनों देशों के नेता सहयोग की दिशा में आगे बढ़ते हैं,तो यह न केवल व्यापारिक अस्थिरता को कम करेगा,बल्कि दुनिया की अर्थव्यवस्था को भी राहत देगा,लेकिन अगर बातचीत विफल रही,तो यह वैश्विक व्यापार के लिए एक और झटका साबित हो सकता है। फिलहाल,पूरी दुनिया की निगाहें मलेशिया की उस बैठक पर टिकी हैं,जो आने वाले समय में अंतर्राष्ट्रीय राजनीति की दिशा तय कर सकती है।