भारत के उपराष्ट्रपति सीपी राधाकृष्णन (तस्वीर क्रेडिट@JaipurDialogues)

सीपी राधाकृष्णन 26 अक्टूबर से सेशेल्स की दो दिवसीय यात्रा पर,राष्ट्रपति हर्मिनी के शपथ ग्रहण में भारत का प्रतिनिधित्व करेंगे

नई दिल्ली,25 अक्टूबर (युआईटीवी)- भारत के उपराष्ट्रपति सीपी राधाकृष्णन 26 अक्टूबर से सेशेल्स की दो दिवसीय यात्रा पर जा रहे हैं। इस यात्रा का मुख्य उद्देश्य सेशेल्स के नवनिर्वाचित राष्ट्रपति पैट्रिक हर्मिनी के शपथ ग्रहण समारोह में भारत का आधिकारिक प्रतिनिधित्व करना है। विदेश मंत्रालय के अनुसार,उपराष्ट्रपति राधाकृष्णन इस दौरान राष्ट्रपति हर्मिनी को भारत की ओर से हार्दिक शुभकामनाएँ देंगे और दोनों देशों के बीच घनिष्ठ,दीर्घकालिक और समय-परीक्षित संबंधों की पुष्टि करेंगे।

विदेश मंत्रालय ने शुक्रवार को बयान जारी करते हुए कहा कि सेशेल्स भारत के लिए विजन महासागर और ग्लोबल साउथ के प्रति प्रतिबद्धता के तहत एक महत्वपूर्ण साझेदार है। यह यात्रा भारत की उस गहरी प्रतिबद्धता को दर्शाती है,जिसके तहत वह सेशेल्स के साथ अपनी साझेदारी को और मजबूत और विस्तारित करना चाहता है। दोनों देशों के बीच संबंध सिर्फ राजनयिक नहीं,बल्कि गहरी मित्रता,समझ और सहयोग का प्रतीक भी हैं।

भारत और सेशेल्स के संबंधों का इतिहास कई दशकों पुराना है। विदेश मंत्रालय के अनुसार,वर्ष 1770 में पाँच भारतीयों का एक छोटा समूह सात अफ्रीकी दासों और 15 फ्रांसीसी उपनिवेशवादियों के साथ बागान श्रमिकों के रूप में सेशेल्स पहुँचा था। इन्हें द्वीप समूह का पहला निवासी माना जाता है। इसके बाद भारत और सेशेल्स के बीच राजनयिक संबंध 1976 में स्थापित हुए। 29 जून 1976 को जब सेशेल्स को स्वतंत्रता मिली,तो भारतीय नौसेना का जहाज,आईएनएस नीलगिरि,स्वतंत्रता दिवस समारोह में भाग लेने के लिए वहां गया।

भारतीय मिशन की स्थापना 1979 में विक्टोरिया में हुई,जिसमें उच्चायुक्त का कार्यालय दार-ए-सलाम में स्थित था और साथ ही सेशेल्स को भी यह मिशन सौंपा गया। मिशन का पहला निवासी उच्चायुक्त 1987 में नियुक्त किया गया। वहीं,सेशेल्स ने 2008 की शुरुआत में नई दिल्ली में अपना निवासी मिशन खोला। इससे स्पष्ट होता है कि दोनों देशों के बीच न केवल राजनयिक,बल्कि लोगों से लोगों के संबंध भी लंबे समय से प्रगाढ़ रहे हैं।

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने मार्च 2015 में सेशेल्स का दौरा किया था। यह दौरा 34 साल में किसी भारतीय प्रधानमंत्री की पहली यात्रा थी। उस समय पीएम मोदी ने कई महत्वपूर्ण समझौतों पर हस्ताक्षर किए थे। इन समझौतों में सेशेल्स के तटीय निगरानी रडार प्रणाली (सीआरएस) परियोजना का उद्घाटन,देश को दूसरा डोर्नियर विमान उपहार में देने की घोषणा और सेशेल्स के नागरिकों को भारत यात्रा के लिए तीन महीने का निःशुल्क वीजा प्रदान करने का निर्णय शामिल था। ये पहलें भारत-सेशेल्स के बीच गहरे सहयोग और भरोसे को उजागर करती हैं।

उपराष्ट्रपति राधाकृष्णन की यह यात्रा दोनों देशों के बीच सहयोग के नए आयामों को जोड़ने की दिशा में अहम मानी जा रही है। इस यात्रा के दौरान आर्थिक,सांस्कृतिक और रणनीतिक क्षेत्रों में सहयोग को बढ़ावा देने पर भी चर्चा होने की संभावना है। भारत और सेशेल्स के बीच समुद्री सुरक्षा और आपसी व्यापार संबंध भी महत्वपूर्ण एजेंडे का हिस्सा होंगे।

विशेषज्ञों का मानना है कि उपराष्ट्रपति की यह यात्रा भारत की दूरस्थ और द्वीप देशों के साथ रणनीतिक साझेदारी को मजबूत करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है। सेशेल्स,जो हिन्द महासागर में स्थित है,भू-राजनीतिक दृष्टि से महत्वपूर्ण स्थान रखता है। यह द्वीप समूह न केवल समुद्री मार्गों के निगरानी और सुरक्षा में अहम भूमिका निभाता है,बल्कि वैश्विक जलवायु परिवर्तन और समुद्री जैव विविधता संरक्षण के मामलों में भी एक सक्रिय साझेदार है।

विदेश मंत्रालय ने इस यात्रा को लेकर कहा कि भारत और सेशेल्स के बीच सहयोग केवल आर्थिक और रणनीतिक नहीं है,बल्कि यह सांस्कृतिक और ऐतिहासिक संबंधों की भी पुष्टि करता है। दोनों देशों के बीच शिक्षा,स्वास्थ्य,पर्यटन और आईटी जैसे क्षेत्रों में सहयोग को बढ़ाने की दिशा में कई प्रस्ताव तैयार हैं। इस यात्रा के दौरान ऐसे समझौतों पर भी विचार होने की संभावना है,जो द्विपक्षीय संबंधों को और मजबूती प्रदान करेंगे।

इससे पहले भारत ने हमेशा सेशेल्स को एक भरोसेमंद साझेदार के रूप में देखा है। न केवल तटीय सुरक्षा और समुद्री मार्गों की निगरानी में सहयोग,बल्कि अंतर्राष्ट्रीय मंचों पर एक-दूसरे का समर्थन भी दोनों देशों के रिश्तों को मजबूत बनाता है। उपराष्ट्रपति राधाकृष्णन के इस दौरे से यह संकेत मिलता है कि भारत न केवल रणनीतिक दृष्टि से बल्कि भावनात्मक और ऐतिहासिक दृष्टि से भी सेशेल्स के साथ गहरे संबंध बनाए रखना चाहता है।

अंततः यह दौरा भारत-सेशेल्स के बीच सहयोग,विश्वास और मित्रता की लंबी परंपरा को और मजबूती प्रदान करेगा। उपराष्ट्रपति राधाकृष्णन के नेतृत्व में यह यात्रा दोनों देशों के बीच घनिष्ठ संबंधों,साझा दृष्टिकोण और सहयोग के नए आयामों को सामने लाने का अवसर साबित होगी। 26 और 27 अक्टूबर की यह दो दिवसीय यात्रा न केवल शपथ ग्रहण समारोह का हिस्सा होगी,बल्कि द्विपक्षीय संबंधों को नए सिरे से मजबूत करने और भविष्य में सहयोग के लिए नींव रखने में भी अहम भूमिका निभाएगी।