अयोध्या राम मंदिर (तस्वीर क्रेडिट@OpIndia_in)

25 नवंबर को अयोध्या राम मंदिर में आम श्रद्धालुओं के लिए दर्शन बंद, प्रधानमंत्री मोदी करेंगे शिखर पर ध्वजारोहण

अयोध्या,28 अक्टूबर (युआईटीवी)- अयोध्या में भव्य राम मंदिर निर्माण अपने अंतिम चरण में है और इसी बीच 25 नवंबर को एक विशेष अवसर पर मंदिर परिसर में श्रद्धालुओं के प्रवेश पर रोक लगाने का निर्णय लिया गया है। श्रीराम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट और मंदिर निर्माण समिति की ओर से यह व्यवस्था इसलिए की गई है,ताकि उस दिन होने वाले विशेष धार्मिक अनुष्ठान और ध्वजारोहण कार्यक्रम को शांतिपूर्ण और सुव्यवस्थित तरीके से संपन्न कराया जा सके।

राम मंदिर निर्माण समिति के अध्यक्ष नृपेंद्र मिश्र ने मीडिया से बातचीत में कहा कि 25 नवंबर के कार्यक्रम के दौरान केवल आमंत्रित लोगों को ही भगवान श्रीराम के दर्शन का अवसर मिलेगा। उन्होंने स्पष्ट किया कि इस दिन आम श्रद्धालुओं को मंदिर में प्रवेश की अनुमति नहीं दी जाएगी। कार्यक्रम में लगभग आठ हजार लोगों को आमंत्रित किया गया है,जिनके लिए विशेष व्यवस्थाएँ की जा रही हैं। इन आमंत्रितों में धार्मिक नेता,संत-समाज,मंदिर निर्माण में योगदान देने वाले प्रमुख कार्यकर्ता,आर्किटेक्ट, इंजीनियर और देश के विभिन्न हिस्सों से आए विशिष्ट अतिथि शामिल होंगे।

नृपेंद्र मिश्र ने बताया कि यह निर्णय सुरक्षा और व्यवस्था के दृष्टिकोण से लिया गया है। 25 नवंबर को अयोध्या में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के आगमन की संभावना है।प्रधानमंत्री इस दिन श्रीराम जन्मभूमि मंदिर के शिखर पर ध्वज फहराएँगे और यह कार्यक्रम मंदिर निर्माण की दिशा में एक महत्वपूर्ण मील का पत्थर माना जा रहा है। उन्होंने कहा, “25 नवंबर को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी मंदिर के शिखर पर ध्वजारोहण करेंगे। इस कार्यक्रम के दौरान सुरक्षा अत्यंत कड़ी रहेगी और मंदिर परिसर में केवल आमंत्रित व्यक्तियों को ही प्रवेश की अनुमति होगी।”

उन्होंने बताया कि कार्यक्रम के अगले दिन से यानी 26 नवंबर से श्रद्धालुओं के लिए मंदिर के दर्शन फिर से शुरू कर दिए जाएँगे। हालाँकि,उन्होंने यह भी कहा कि ट्रस्ट इस बात पर विचार कर रहा है कि क्या श्रद्धालु सभी क्षेत्रों में बिना सुरक्षा जाँच के स्वतंत्र रूप से जा सकेंगे या नहीं। सुरक्षा कारणों से कुछ क्षेत्रों में प्रवेश सीमित रखा जाएगा। नृपेंद्र मिश्र ने कहा, “हमारा निरंतर प्रयास है कि जो भी निर्माण कार्य हो रहा है,वह श्रद्धालुओं के हित में हो और उन्हें एक सहज,सुरक्षित और भव्य अनुभव मिल सके।”

मंदिर परिसर में निर्माण कार्य तेजी से आगे बढ़ रहा है। मिश्र ने बताया कि उनका लक्ष्य है कि इस वर्ष के अंत तक श्रीराम जन्मभूमि परिसर में सभी मंदिर खोल दिए जाएँ, वाटिकाएँ तैयार कर दी जाएँ और कुबेर टीला तक श्रद्धालुओं की पहुँच संभव हो सके। उन्होंने कहा कि ट्रस्ट यह सुनिश्चित करना चाहता है कि श्रद्धालु बिना किसी कठिनाई के पूरे परिसर का दर्शन कर सकें और उन्हें धार्मिक तथा आध्यात्मिक संतोष का अनुभव मिले।

हालाँकि,उन्होंने यह भी स्वीकार किया कि कुछ स्थान ऐसे हैं,जहाँ एक समय में सीमित संख्या में ही श्रद्धालुओं को प्रवेश दिया जा सकेगा। उदाहरण के तौर पर कुबेर टीला जैसे स्थानों पर जगह सीमित है,इसलिए वहाँ नियंत्रित संख्या में ही श्रद्धालुओं को जाने की अनुमति दी जाएगी। इसी तरह,मंदिर के प्रथम तल पर भी एक समय में केवल निश्चित संख्या में ही लोग जा सकेंगे,ताकि भीड़भाड़ और सुरक्षा संबंधी परेशानियों से बचा जा सके।

नृपेंद्र मिश्र ने कहा कि ट्रस्ट पूरी जिम्मेदारी और निष्ठा के साथ अपने कार्य में जुटा हुआ है। उन्होंने कहा कि, “हमारी कोशिश है कि जल्दी-से-जल्दी निर्माण कार्य पूरा कर श्रद्धालुओं के सामने जा सकें और कह सकें कि जो दायित्व हमें देशवासियों ने अपने विश्वास के साथ सौंपा था,उसे हमने पूरी श्रद्धा और गुणवत्ता के साथ पूरा किया है।”

अयोध्या में 25 नवंबर का दिन ऐतिहासिक होने जा रहा है। इस दिन राम मंदिर के शिखर पर पहली बार ध्वज फहराया जाएगा,जो मंदिर निर्माण के एक महत्वपूर्ण अध्याय की शुरुआत का प्रतीक होगा। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के इस कार्यक्रम में शामिल होने की पुष्टि श्रीराम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट ने की है। ट्रस्ट के अनुसार,यह ध्वजारोहण समारोह मंदिर के मुख्य शिखर पर आयोजित किया जाएगा और इसके लिए सुरक्षा एजेंसियों,प्रशासन और स्थानीय निकायों की ओर से व्यापक तैयारियाँ की जा रही हैं।

इस कार्यक्रम के मद्देनज़र अयोध्या में सुरक्षा व्यवस्था चाक-चौबंद कर दी गई है। जिला प्रशासन ने मंदिर परिसर के आसपास आने-जाने वाले सभी मार्गों पर सख्त निगरानी का आदेश दिया है। आम श्रद्धालुओं को इस दिन दर्शन से रोकने का उद्देश्य केवल सुरक्षा और सुचारू आयोजन सुनिश्चित करना है,ताकि समारोह में कोई भी व्यवधान न हो।

25 नवंबर को अयोध्या एक बार फिर धार्मिक और सांस्कृतिक इतिहास का साक्षी बनेगी। यह आयोजन न केवल मंदिर निर्माण की प्रक्रिया में एक अहम पड़ाव है,बल्कि भारत की आस्था और संस्कृति का भी प्रतीक बन जाएगा। कार्यक्रम के अगले दिन यानी 26 नवंबर से मंदिर के द्वार फिर से श्रद्धालुओं के लिए खोल दिए जाएँगे,जिससे वे अपने आराध्य श्रीराम के दर्शन कर सकें और इस ऐतिहासिक क्षण का हिस्सा बन सकें।

नृपेंद्र मिश्र ने अंत में यह भी कहा कि ट्रस्ट का हर निर्णय श्रद्धालुओं की सुविधा और सुरक्षा को ध्यान में रखकर लिया जा रहा है। उनका लक्ष्य है कि जब श्रद्धालु मंदिर में प्रवेश करें तो उन्हें लगे कि उन्होंने न केवल एक दिव्य स्थल का दर्शन किया है,बल्कि उस युगांतकारी निर्माण कार्य का भी साक्षात्कार किया है,जो भारत की सांस्कृतिक चेतना का प्रतीक है।